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निलंबित संयुक्त निदेशक त्रिपाठी 15 करोड़ रुपये के घपले में भी आएंगे लपेटे में

हरिद्वार में सरकार को 06 करोड़ रुपये की चपत लगाए जाने के मामले में पंचायतीराज विभाग के संयुक्त निदेशक राजीव कुमार नाथ त्रिपाठी किए जा चुके निलंबित, अब राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान में घपले की फाइल भी खुलेगी

Rajkumar Dhiman, Dehradun: सरकारी सिस्टम चलता भले ही कछुए की चाल है, लेकिन यहां पाई-पाई का हिसाब दिए बिना पिंड नहीं छूटता। कुछ ऐसा ही इन दिनों पंचायतीराज विभाग में देखने को मिल रहा है। जिला पंचायत हरिद्वार में सरकार को 6.08 करोड़ रुपये का चूना लगाए जाने का मामला भले ही वर्ष 2018 से गतिमान है, लेकिन उसकी आंच अब हरिद्वार जिला पंचायत के तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी राजीव कुमार नाथ त्रिपाठी को अपनी चपेट में ले चुकी है। उस घपले में शासन ने अक्टूबर 2019 में तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष सविता चौधरी को बर्खास्त कर दिया था, लेकिन अपर मुख्य अधिकारी त्रिपाठी बच निकले थे। हालांकि, प्रकरण ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और 06 मई 2024 को सचिव पंचायतीराज एचसी सेमवाल ने त्रिपाठी को निलंबित कर दिया। उन दिनों 03 से 06 मई के बीच विभागीय मंत्री बाहर थे, लिहाजा यह कार्रवाई सचिव स्तर से ही प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए कर दी गई थी। त्रिपाठी का हिसाब अभी यहीं पूरा नहीं होता दिख रहा। उनकी वह फाइल भी खोल दी गई है, जिसमें 15 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान बिना सक्षम अनुमति के कर दिया गया।

15 करोड़ रुपये के गोलमाल का यह मामला हरिद्वार के प्रकरण से कहीं अधिक गंभीर नजर आ रहा है। क्योंकि, इसमें जो धनराशि खर्च की गई है, वह भारत सरकार ने जारी की थी। दरअसल, वर्ष 2022-23 में राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के अंतर्गत पंचायत प्रतिनिधियों को विभिन्न प्रकरण की ट्रेनिंग दी गई। इस काम के लिए 45.34 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। अधिकारियों ने इस काम में 15.67 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान समिति की सहमति के बिना ही जारी कर दिया। भुगतान में प्रदेश से बाहर की 03 संस्थाओं को भी प्राथमिकता दी गई। जिसके चलते प्रदेश की संस्थाओं का भुगतान भी अटक गया है। क्योंकि, यह भुगतान स्वीकृत बजट की सीमा से बाहर जाकर किया गया था।

इस मामले में न सिर्फ समिति के चयरमैन ने गंभीर नाराजगी जताई, बल्कि जब 04 मई 2023 को जब सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी की बैठक आयोजित की गई तो अधिकारी इस अतिरिक्त खर्च की बात छुपा गए। बाद में यह बात बाहर आने पर केंद्र सरकार ने इस मामले में जांच कमेटी गठित कर दी। इस दौरान यह जानकारी भी मिली कि जिन संस्थाओं को कार्य आवंटित किए गए, उनमें 03 संस्थाओं प्राथमिकता दी गई। जिनमें पॉजिटिव मूव्स गुड़गांव को हरिद्वार के 12 बड़े विकासखंड, तत्व फाउंडेशन नोएडा को टिहरी गढ़वाल के 09 विकासखंड, जबकि मां चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ को ऊधमसिंहनगर के 07 बड़े विकासखंडों का जिम्मा दिया गया।

गंभीर बात यह भी है कि उसी वित्तीय वर्ष में तीनों संस्थाओं को 80 प्रतिशत भुगतान कर दिया गया था। जबकि उत्तराखंड की संस्थाएं बजट की खाईबाड़ी के चलते आज भी अपने भुगतान के लिए तरस रही हैं। इन तमाम अनियमितताओं पर निलंबित संयुक्त निदेशक की भूमिका की जांच शुरू की जा रही है। बताया जा रहा है कि प्रशिक्षण में राजीव कुमार नाथ त्रिपाठी ने अहम भूमिका निभाई थी। जिस तरह अब विभाग घपलेबाजी पर कार्रवाई की दिशा में सख्त दिख रहा है, उसे देखते हुए लग रहा है कि निलंबित संयुक्त निदेशक की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं।

हरिद्वार के प्रकरण में निलंबन से आगे बढ़ेगी कार्रवाई
देखा जाए तो हरिद्वार का प्रकरण तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी त्रिपाठी की कार्यशैली के प्रति काफी कुछ बयां करता है। तब भगवानपुर व ज्वालापुर में स्थित दुकानों की नीलामी में जिलाधिकारी हरिद्वार की ओर से तय दरों के मुताबिक 9.43 करोड़ रुपये मिलने थे, जबकि जिला पंचायत की निष्क्रियता के चलते सिर्फ 3.34 करोड़ रुपये ही मिल पाए थे। इस तरह जिलाधिकारी की ओर से निर्धारित मूल्य से 6.08 करोड़ रुपये कम प्राप्त हुए थे। यह प्रकरण हाई कोर्ट भी पहुंचा था, जिसमें कोर्ट की टिप्पणी में स्पष्ट था कि जब तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष पर कार्रवाई की गई तो उस चेन में शामिल अधिकारियों को कार्रवाई से बाहर क्यों रखा गया है। इसी दिशा में तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी की कुंडली बांचने का जो क्रम शुरू हुआ, वह अब और आगे बढ़ता दिख रहा है।

मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर उत्पात मचाने की घटना का भी संज्ञान
अप्रैल 2023 में नवभारत टाइम्स के न्यूज पोर्टल पर एक वीडियो प्रसारित हुआ। जिसमें दिखाया गया कि विभाग के संयुक्त निदेशक राजीव कुमार नाथ त्रिपाठी ने मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर यात्रियों से अभद्रता की और उत्पात मचाया। इसका संज्ञान लेते हुए सचिव पंचायतीराज ने उत्तर रेलवे मुरादाबाद के वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त/रेलवे सुरक्षा बल मुरादाबाद को पत्र लिखकर प्रकरण पर की गई कार्रवाई की जानकारी अपडेट स्थिति के साथ उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। यह घटना सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर चर्चा का विषय भी बनी थी। खबर के साथ उक्त घटना का वीडियो (साभार नवभारत टाइम्स) भी जारी किया जा रहा है।

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