सीबीआई की पूछताछ के बाद हरक को ईडी ने भेजा नोटिस, सोमवार को तलब
केदारनाथ विधानसभा सीट के उपचुनाव से पहले बढ़ती दिख रहीं हरक सिंह रावत की मुश्किलें
Rajkumar Dhiman, Dehradun: कार्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज में पेड़ों के अवैध कटान और निर्माण के मामले में भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार में वन मंत्री रहे हरक सिंह रावत की मुश्किलें फिर से बढ़ती दिख रही हैं। प्रकरण में 24 अगस्त को सीबीआई ने हरक सिंह रावत को अपने देहरादून के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में तलब कर पूछताछ की थी। अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की देहरादून शाखा ने हरक सिंह रावत को नोटिस जारी कर सोमवार को पेश होने को कहा है। कार्बेट सफारी प्रकरण में सीबीआई ने अक्टूबर 2023 में मुकदमा दर्ज किया, जबकि दिसंबर 2023 में ईडी की एंट्री हुई। ईडी फरवरी 2024 में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत समेत उनके करीबियों और कई वन अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी भी कर चुकी है।
निकट भविष्य के केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। अब फिर से कांग्रेस में शामिल हो चुके हरक सिंह रावत इस सीट से संभावित उम्मीदवार माने जा रहे हैं। ऐसे समय में सीबीआई और ईडी की सक्रियता से हरक सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हालांकि, हरक सिंह रावत बार-बार यही कह रहे हैं कि कार्बेट में उनके स्तर से कोई घपला नहीं किया गया है। उन्होंने हाल में सीबीआई के समक्ष पेश होकर न कुछ दस्तावेज अधिकारियों को सौंपे, बल्कि यह भी कहा कि वन मंत्री होने के नाते उन्होंने फाइलों पर हस्ताक्षर किए। यदि कहीं कोई गड़बड़ की गई है तो उसके लिए अफसर दोषी हैं। क्योंकि, नयमों का परीक्षण करना मंत्री का काम नहीं होता है।
यह है कार्बेट में पेड़ कटान का प्रकरण
पाखरो रेंज में टाइगर सफारी के लिए पेड़ों के अवैध कटान का मामला तब सामने आया था, जब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने इस संबंध में मिली शिकायत की स्थलीय जांच की। साथ ही शिकायत को सही पाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की गई। इस प्रकरण की अब तक कई एजेंसियां जांच कर चुकी हैं। यह बात सामने आई है कि सफारी के लिए स्वीकृति से अधिक पेड़ों के कटान के साथ ही बड़े पैमाने पर बिना वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति के निर्माण कराए गए। सुप्रीम कोर्ट की उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने इस प्रकरण में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह की भूमिका पर भी प्रश्न उठाते हुए उन्हें भी जिम्मेदार ठहराया था। भारतीय वन सर्वेक्षण की सेटेलाइट जांच में यहां छह हजार से ज्यादा पेड़ों के कटान की बात सामने आई थी। मामले में दो आएफएस पर भी कार्रवाई की जा चुकी है।
मुख्यमंत्री धामी के आदेश पर खुली परत, दर्ज किया गया था मुकदमा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर वर्ष-2022 में विजिलेंस के हल्द्वानी सेक्टर में इस मामले मे मुकदमा दर्ज किया गया। जांच के बाद विजिलेंस ने एक आरोपी बृजबिहारी शर्मा को गिरफ्तार किया और इसके बाद 24 दिसंबर 2022 को पूर्व डीएफओ किशनचंद को भी गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में विजिलेंस न्यायालय में आरोपपत्र भी दाखिल कर दिया था। विजिलेंस ने उसी वर्ष 30 अगस्त को पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत के परिवार से संबंधित देहरादून में एक शिक्षण संस्थान और एक पेट्रोल पंप पर भी छापा मारा था। इस बीच उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआइ ने विजिलेंस से जांच संबंधी दस्तावेज हासिल किए और मुकदमा दर्ज कर जांच शुरु की।
फरवरी 2024 से ईडी बढ़ा चुकी जांच का दायरा, की गई छापेमारी
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फरवरी 2024 में जांच का दायरा बढ़ाते हुए कार्बेट सफारी प्रकरण के साथ ही तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत से जुड़े जमीन खरीद प्रकरण को भी कवर किया। ईडी ने किशन चंद के साथ ही हरक सिंह रावत के 17 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान ईडी ने वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी सुशांत पटनायक के आवास पर भी छापा मारा। इस पूरी कार्रवाई में ईडी ने 1.1 करोड़ रुपये, 80 लाख रुपये का 1.3 किलो सोना और 10 लाख रुपये की विदेशी मुद्रा जब्त की थी।
कार्बेट सफारी मामले में रिटायर्ड आइएफएस की 31.8 करोड़ की संपत्ति जब्त कर चुकी ईडी
ईडी दिसंबर 2023 में अटैच की गई रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी किशन चंद की हरिद्वार-रुड़की में स्थित 31.8 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त कर चुकी है। इन संपत्ति में रुड़की में स्कूल, स्टोन क्रशर, भवन और भूमि शामिल हैं। कार्बेट टाइगर रिजर्व के प्रकरण में ईडी से पहले उत्तराखंड विजिलेंस और सीबीआई भी शिकंजा कस चुकी है। हालांकि, विजिलेंस पर ढुलमुल रवैया अपनाने के आरोप लगने के चलते नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर मामले में सीबीआई ने अक्टूबर 2023 में मुकदमा दर्ज किया। इसी क्रम में दिसंबर 2023 में ईडी ने भी एंट्री ली। साथ ही प्रकरण में भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार में वन मंत्री रहे हरक सिंह रावत, अन्य वन अधिकारियों और पूर्व मंत्री के स्वजनों और करीबियों को भी जांच के दायरे में लिया गया। जिसके क्रम में सीबीआई के साथ ही ईडी की जांच गतिमान है।