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सरकार का 11.56 लाख जीबी डेटा पड़ गया था खतरे में, उत्तराखंड की मशीनरी ने सूझबूझ से बचाया

उत्तराखंड पर हुए सबसे बड़े साइबर अटैक से सूझबूझ से बाहर निकल रहा आइटी विभाग, 72 वेबसाइट और 60 से 70 एप्लिकेशन आईं साइबर हमले की चपेट में

Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड पर हुए अब तक के सबसे बड़े साइबर अटैक से राज्य सरकार और उसकी मशीनरी का 11 लाख 56 हजार गीगाबाइट (जीबी) डेटा खतरे में पड़ गया था। यदि राज्य की इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट एजेंसी (आईटीडीए) समय पर हरकत में नहीं आती और सिस्टम को बंद नहीं किया जाता तो कुछ भी संभव था। हो सकता था कि हैकर डेटा को डिलीट कर देते या उसमें छेड़छाड़ भी कर सकते थे। ऐसे में महत्वपूर्ण डेटा को रिकवर करना या उसे दोबारा तैयार करना आसान नहीं होता। साथ ही इससे पहुंचने वाली चोट का अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है। फिलहाल, राज्य की आईटी मशीनरी ने डेटा को सुरक्षित कर लिया है और अब ई-ऑफिस या उससे जुड़ी सेवाओं को चालू किया जा रहा है। अब तक 50 प्रतिशत से अधिक सेवाओं को सुचारू कर दिया गया है।

उत्तराखंड के स्टेट डेटा सेंटर पर साइबर अटैक 02 अक्टूबर को दोपहर 2.30 पर हुआ था। यह हमला मालवेयर (वायरस) के माध्यम से किया गया। जिसके चलते ई-ऑफिस जैसी अहम प्रणाली समेत 72 वेबसाइट और सरकारी सेवाओं से जुड़ी 60 से 70 एप्लिकेशन चपेट में आ गई थी। इससे पहले की साइबर अपराधी अपने मंशा पर कामयाब हो पाते इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट एजेंसी (आईटीडीए) की टीम ने 15 मिनट के भीतर स्टेट डाटा सेंटर, सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और प्रदेश के कार्यालयों को आपस में जोड़ने वाले स्वान (स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क) को बंद कर दिया गया। इससे प्रदेश में ई-ऑफिस प्रणाली के साथ ही सीएम हेल्पलाइन, अपणी सरकार, ई-रवन्ना, पुलिस विभाग की सीसीटीएनएस समेत तमाम सरकारी विभागों की ऑनलाइन सेवाएं ठप पड़ गईं।

उत्तराखंड पर साइबर अटैक के बाद प्रमुख अधिकारियों के साथ बैठक करते मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी।

इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट एजेंसी (आईटीडीए) निदेशक नितिका खंडेलवाल के मुताबिक यह बहुत बड़ा साइबर हमला था और इसकी चुनौती स्वीकार करते हुए सभी स्तर पर ऑनलाइन सिस्टम को पटरी पर लाने का काम तत्काल शुरू कर दिया गया था। आइटी टीम ने अथक प्रयास के बाद 48 घंटे के भीतर (04 अक्टूबर रात 12 बजे से) प्रदेश की आइटी मशीनरी की स्कैनिंग और रीस्टोरिंग कर दी थी। जिसके बाद क्रमवार सेवाओं को बहाल किया जाने लगा। अब रविवार दोपहर तक 50 प्रतिशत से अधिक ऑनलाइन सेवाओं को बहाल कर दिया गया है। हालांकि, इससे भी अधिक राहत की बात यह रही कि किसी भी डेटा को क्षति नहीं पहुंचने दी गई।

1373 वर्चुअल मशीन की स्कैनिंग की गई
इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट एजेंसी (आईटीडीए) निदेशक नितिका खंडेलवाल के अनुसार प्रदेश के आइटी सिस्टम में मालवेयर को हटाने के लिए 1373 वर्चुअल मशीन (सर्वर से होस्टिंग की सर्विस देने की व्यवस्था) और उससे संबंधित एक-एक डेटा की स्कैनिंग की गई। इसमें ई-ऑफिस से ही संबंधित 60 वर्चुअल मशीन शामिल रहीं। इसके लिए पूरी टीम ने सरकार के नेतृत्व में अथक प्रयास किए।

नितिका खंडेलवाल, निदेशक (आइटीडीए)

कहां से आया मालवेयर, यह जानना अहम
आईटीडीए की निदेशक नितिका के अनुसार जिस मालवेयर से प्रदेश आइटी सिस्टम चपेट में आया, स्रोत का पता लगाने के प्रायस किए जा रहे हैं। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि मालवेयर किस देश या जगह से भेजा गया। साथ ही इसकी जानकारी भी जुटाई जा रही है कि मालवेयर किस फाइल या ईमेल को खोलने से सिस्टम में प्रवेश कर दिया। जिसके लिए सभी लॉग्स को एनालाइज किया जा रहा है। इसकी जानकारी मिलने के साथ ही हैकर की जानकारी भी मिल जाएगी।

सीएम ने दिखाया सख्त रुख, बनेगी साइबर सिक्योरिटी टास्क फोर्स
प्रदेश पर हुए अब तक के सबसे बड़े साइबर अटैक को मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने स्टेट डेटा सेंटर में अधिकारियों की बैठक लेने के साथ ही इस तरह के हमलों को रोकने और बचाव के लिए साइबर सिक्योरिटी टास्क फोर्स के गठन के निर्देश दिए हैं। दूसरी तरफ प्रदेश की ई-व्यवस्था को ध्वस्त करने वाले
मालवेयर और उसके पीछे की मंशा जानने के लिए उत्तराखंड की टास्क फोर्स समेत केंद्रीय एजेंसी भी जांच में जुट गई हैं।

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