जबरन धर्मांतरण पर कड़ा वार, उत्तराखंड में अब होगी कड़ी सजा
उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट बैठक में पारित किया गया संशोधित विधेयक

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखण्ड सरकार ने अवैध धर्मांतरण की जड़ों पर प्रहार करते हुए उत्तराखण्ड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी है। यह विधेयक न केवल कठोर दंड का प्रावधान करता है, बल्कि डिजिटल माध्यम से होने वाले धर्मांतरण प्रचार को भी अपराध की श्रेणी में लाता है। साथ ही, पीड़ितों को पूर्ण संरक्षण और पुनर्वास की मजबूत व्यवस्था भी सुनिश्चित करता है।
विधेयक की अहम धाराएं जो इसे ऐतिहासिक बनाती हैं
प्रलोभन की नई और सख्त परिभाषा – नकद, उपहार, वस्तु लाभ, नौकरी, निःशुल्क शिक्षा, विवाह का वादा, धार्मिक भावनाओं को आहत करना या अन्य धर्म का बढ़ाचढ़ा कर महिमामंडन – इन सभी को अब सीधे अपराध माना जाएगा।
डिजिटल धर्मांतरण पर लगाम – सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप और किसी भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से धर्मांतरण के लिए प्रचार, उकसावा या प्रलोभन देने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी।
कठोर सजा का प्रावधान
सामान्य मामलों में 3 से 10 वर्ष की सजा।
नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति/जनजाति से जुड़े मामलों में 5 से 14 वर्ष की सजा।
गंभीर मामलों में 20 वर्ष से आजीवन कारावास और भारी जुर्माना।
छद्म पहचान कर विवाह पर सख्ती – धर्म छिपाकर विवाह करने वालों को अब कड़ी कानूनी सजा भुगतनी होगी।
पीड़ितों के अधिकार और सुरक्षा – पुनर्वास, चिकित्सा, यात्रा और भरण-पोषण का पूरा खर्च सरकार उठाएगी।
सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया है – धोखे, दबाव या लालच से धर्मांतरण किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगा। इस कानून का उद्देश्य नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करते हुए राज्य में सामाजिक सद्भाव और पारंपरिक सांस्कृतिक मूल्यों को सुरक्षित रखना है।