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वन विभाग में भ्रष्टाचार उजागर करने वाला ईमानदार अफसर क्यों खटक रहा?

वन विभाग में गड़बड़ियों का भंडाफोड़ करने वाले अधिकारी को कर दिया किनारे

Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड शासन ने भारतीय वन सेवा (IFS) के 29 अधिकारियों के दायित्वों में बड़ा फेरबदल किया है। कागजों पर तो ये आदेश “कार्यक्षमता बढ़ाने” के लिए जारी किए गए हैं, लेकिन अंदरूनी हलकों में चर्चा है कि इस फेरबदल का असली निशाना भ्रष्टाचार उजागर करने वाले अधिकारी हैं। वन विभाग में भ्रष्टाचार उजागर करने वाला ईमानदार अधिकारी आखिर क्यों और किसे खटक रहा है यह चर्चा का विषय बन गया है।

सबसे ज्यादा सवाल खड़े हो रहे हैं IFS संजीव चतुर्वेदी के तबादले पर। संजीव, जो मुख्य वन संरक्षक (कार्ययोजना) के पद पर रहते हुए वन विभाग में चल रही बड़ी अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ कर रहे थे, अब उन्हें स्थायी निदेशक, वन प्रशिक्षण अकादमी हल्द्वानी बनाकर “प्रशिक्षण” की जिम्मेदारी सौंप दी गई है।

संजीव चतुर्वेदी की ‘पर्दाफाश की कीमत: मुख्य वन संरक्षक (कार्ययोजना) के पद पर रहते हुए संजीव चतुर्वेदी के पास किसी भी वन प्रभाग में हो रहे कार्यों की जांच का अधिकार था। इसी अधिकार के दम पर उन्होंने

वन भूमि पर बड़े पैमाने पर हो रहे अतिक्रमण, विकास परियोजनाओं में भ्रष्टाचार और वन विभाग में ऊंचे स्तर पर मिलीभगत जैसे कई मामलों को उजागर किया। लेकिन, शासन ने इन खुलासों पर कोई ठोस कार्रवाई करने के बजाय जांचकर्ता को ही जांच से हटा दिया। वन मुख्यालय से लेकर शासन तक के अधिकारी इन खुलासों से असहज थे, और अब ऐसा लग रहा है कि संजीव को साइडलाइन कर उनके हाथ बांध दिए गए हैं।

बड़े पैमाने पर किए गए फेरबदल
-इस आदेश में कई अन्य अधिकारियों की जिम्मेदारियां भी बदल दी गईं:
-नीना ग्रेवाल को उत्तराखंड वन विकास निगम का प्रबंध निदेशक (MD) बनाया गया।
-धीरज पांडेय को हल्द्वानी में मुख्य वन संरक्षक का कार्यभार सौंपा गया।
-पंकज कुमार को वन अनुसंधान एवं वृक्ष प्रजनन हल्द्वानी का प्रभार सौंपा गया।
-टीआर बिजूलाल को जैव विविधता बोर्ड का सचिव नियुक्त किया गया।
-कुल 29 अधिकारियों में से तीन प्रमुख वन संरक्षक, एक अपर प्रमुख वन संरक्षक और 16 वन संरक्षकों के कार्यक्षेत्र बदल दिए गए हैं।

यह फेरबदल कई बड़े सवाल खड़े करता है…
-क्या भ्रष्टाचार उजागर करना अफसरों के करियर के लिए खतरे की घंटी है?
-क्या शासन को गड़बड़ियों की जांच चाहिए, या सिर्फ ‘जांचकर्ताओं’ का तबादला?
-क्या वन विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलना “सिस्टम” से टकराने के बराबर है?

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