Usha Gairola, Dehradun: डेंगू की रिपोर्ट में आंकड़े भी क्या हाथ से भरे जाते हैं। आज के कंप्यूटराइज्ड और डिजिटल जमाने में ऐसी उम्मीद कम ही की जा सकती है। लेकिन, सवास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने स्वयं ऐसा करते हए पैथोलॉजी लैब के कार्मिकों को पकड़ा है। इस समय वैसे ही डेंगू का खौफ चौतरफा फैला हुआ है और यदि कहीं हाथ से आंकड़े भरने में जरा सी ऊंच-नीच हो जाए तो उसका भारी खामियाजा मरीजों व तीमारदारों को भुगतना पड़ सकता है।
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कोटद्वार के बेस अस्पताल में डेंगू रोकथाम की व्यवस्था का जायजा लिया। उन्होंने अस्पताल की पैथोलॉजी लैब का निरीक्षण भी किया। उन्होंने देखा कि जिन मरीजों के सैंपल डेंगू की जांच के लिए एकत्रित किए गए हैं, उनकी रिपोर्ट हाथ से तैयार की जा रही है। प्लेटलेट्स व अन्य आंकड़े हाथ से दर्ज किए जा रहे हैं। यदि किसी की रिपोर्ट में गलत आंकड़े दर्ज कर दिए जाएं तो जवाबदेह कौन होगा और कैसे उस गलती को पकड़ने के लिए सच-या झूठ का पता लगाया जा सकेगा। स्वास्थ्य सचिव ने इस स्थिति पर गहरी नाराजगी जताते हुए पौड़ी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी समेत, अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक व लैब प्रभारी को जांच रिपोर्ट कंप्यूटराइज्ड माध्यम से जारी करने को कहा। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट भले ही सही भी क्यों न हो, हाथ की लिखावट में गड़बड़ी की आशंका अधिक रहती है।
24 घंटे तक सुरक्षित रहते हैं ब्लड सैंपल
स्वास्थ्य सचिव ने पाया कि डेंगू की रिपोर्ट में संदेह होने पर दोबारा जांच तो कराई जा रही है, लेकिन ब्लड सैंपल भी दोबारा लिया जा रहा है। वहीं, पुराने सैंपल को नष्ट कर दिया जा रहा था। उन्होंने कहा कि डेंगू की जांच के लिए एकत्रित ब्लड सैंपल 24 घंटे तक सुरक्षित रहते हैं। ऐसे में नया ब्लड सैंपल लेने की जगह उसी सैंपल को निर्धारित समय के भीतर दोबारा प्रयोग में लाया जा सकता है। इसके अलावा स्वास्थ्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वह निजी पैथोलॉजी लैब की जांच करते रहें। प्लेटलेट्स की रिपोर्ट में संदेह होने पर उसे क्रॉसचेक अवश्य कराएं। रेंडम आधार पर भी ऐसा किया जा सकता है।