आरटीओ सुनील शर्मा की ताजपोशी पर सवाल, सीएम को भी किया बाईपास
आरटीओ देहरादून (प्रशासन) पद के लिए शैलेश तिवारी को स्थानांतरण संबंधी कमेटी ने पाया था उपयुक्त, मुख्य सचिव की कमेटी में भी नहीं रखा प्रकरण
Amit Bhatt, Dehradun: आरटीओ देहरादून (प्रशासन) पद पर सुनील शर्मा की ताजपोशी को नियमों के विपरीत बताया गया है। आरटीआई कार्यकर्ता विजय वर्धन डंडरियाल ने सूचना का अधिकार अधिनयम (आरटीआई) में प्राप्त सूचनाओं के आधार पर कहा है कि इस पद के लिए शैलेश तिवारी योग्य उम्मीदवार थे।
स्थानांतरण से संबंधित शासन की कमेटी ने भी उनके नाम पर मुहर लगाई थी। उनका आरोप है कि इसके बाद भी परिवहन सचिव व परिवहन मंत्री ने अपने स्तर पर सुनील शर्मा को आरटीओ प्रवर्तन से एक साल के भीतर ही आरटीओ प्रशासन की कुर्सी सौंप दी। कमेटी की राय से भिन्न निर्णय लेने के लिए प्रकरण को मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी में नहीं ले जाया गया और मुख्यमंत्री का भी अनुमोदन नहीं लिया गया।
सोमवार को पत्रकार वार्ता में आरटीआई कार्यकर्ता विजय वर्धन डंडरियाल ने कहा कि आरटीओ सुनील शर्मा का स्थानांतरण 25 नवंबर 2021 को पौड़ी से करते हुए उन्हें देहरादून में आरटीओ प्रवर्तन बनाया गया। इसके एक साल के भीतर ही 25 अक्टूबर 2022 को उन्हें आरटीओ प्रशासन की कुर्सी सौंप दी गई। उन्होंने कहा कि स्थानांतरण के लिए शासन की कमेटी ने इस पद के लिए तत्कालीन आरटीओ (प्रशासन) अल्मोड़ा शैलेश तिवारी को उपयुक्त पाया था। दुर्गम से सुगम में तैनाती के लिए वही एकमात्र पात्र अधिकारी माने गए थे। हालांकि, इस संस्तुति को दरकिनार कर दिया गया।
विजय वर्धन डंडरियाल ने आरटीआई में प्राप्त दस्तावेज रखते हुए कहा कि यदि सामान्य प्रक्रिया से बाहर जाकर स्थानांतरण की जरूरत महसूस होती है तो उसके लिए प्रकरण को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति के सम्मुख रखना होगा। साथ ही मुख्यमंत्री का भी अनुमोदन प्राप्त करना होगा। डंडरियाल ने आरोप लगाया कि आरटीओ सुनील शर्मा के मामले में ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने आरटीओ सुनील शर्मा पर विभिन्न अनियमितता के आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी प्रेषित किया है। जिसमें उन्होंने आरटीओ सुनील शर्मा के स्थानांतरण के साथ ही उनके कार्यों की जांच सीबीआई से कराने की मांग उठाई है।