ऑल वेदर रोड की टनल में भूस्खलन, 40 से अधिक मजदूर फंसे
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा और जंगल चट्टी के बीच 4.5 किलोमीटर लंबी निर्माणाधीन टनल में हुआ भूस्खलन, ऑक्सीजन सप्लाई की लाइन भी टूटी
Amit Bhatt, dehradun: ऑल वेदर रोड के तहत यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही 4.5 किलोमीटर लंबी टनल में भूस्खलन हो गया। इस घटना में टनल में काम कर रहे 40 से अधिक श्रमिकों के फंसे होने की सूचना है। भूस्खलन में निर्माण स्थल पर ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए डाली गई लाइन भी क्षतिग्रस्त हो गई है। हालांकि, निर्माण कंपनी के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि टनल के भीतर पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन और पानी आदि का इंतजाम है। दूसरी तरफ श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकलने के लिए उत्तरकाशी जिला प्रशासन, जिला आपदा प्रबंधन की टीम प्रयास में सुबह से ही जुटी है। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए सचिव आपदा प्रबंधन डॉ रंजीत सिन्हा ने घटनास्थल पर एसडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीम के साथ हेलीकाप्टर व अन्य संसाधन तैनात करा दिए हैं। टनल से मलबा हटाने का काम तेजी से किया जा रहा है।
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर 4.5 किलोमीटर लंबी टनल का निर्माण सिलक्यारा और जंगल चट्टी के बीच किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि रविवार तड़के टनल के मुख्य द्वार से 300 से 350 मीटर की दूरी पर टनल के ऊपरी हिस्से से भारी मलबा गिर गया। जिससे टनल बाधित हो गई। यह वह समय तह, जब ड्यूटी शिफ्ट चेंज हो रही है। भीतर के श्रमिक बाहर निकल रहे थे और बाहर से श्रमिक भीतर काम के लिए जा रहे थे। फिलहाल, ऑक्सीजन की आपूर्ति बहाल करने के लिए मशीन से मलबा हटाने का कार्य जोरों पर है और ऑक्सीजन के लिए दूसरा पाइप भी डाला जा रहा है।
विभिन्न एजेंसियों के 112 सदस्य जुटे राहत एवं बचाव कार्य में
टनल में फंसे श्रमिकों को सकुशल बाहर निकलने के लिए मौके पर एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, अग्निशमन, पुलिस, राजस्व/प्रशासन, वन विभाग आदि एजेंसियों के 112 से अधिक अधिकारी, कर्मचारी व विशेषज्ञ राहत एवं बचाव कार्य में जुटे हैं। बताया जा रहा है कि 850 करोड़ रुपये से अधिक की लागत की इस टनल का निर्माण राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम की देखरेख में वर्ष 2019 में शुरू किया गया था। निर्माण पूरा करने का लक्ष्य फरवरी 2024 तक रखा गया है। टनल का निर्माण अत्याधुनिक न्यू आस्ट्रियन टनलिंग मैथड से किया जा रहा है। टनल के निर्माण के बाद गंगोत्री और यमुनोत्री के बीच की दूरी करीब 25 किलोमीटर कम हो जाएगी।