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नाबार्ड ने उत्तराखंड के लिए तैयार की 40 हजार करोड़ की ऋण योजना

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के विभिन्न प्राथमिक क्षेत्रों के विकास में सहयोग के लिए नाबार्ड का किया धन्यवाद

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड के तमाम प्राथमिक क्षेत्रों के विकास के लिए प्रतिबद्ध नाबार्ड ने इस बार (वर्ष 2024-25) 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक की ऋण परियोजना तैयार की है। इस ऋण परियोजना का आकार बीते वित्तीय वर्ष 2023-24 के मुकाबले करीब 15 प्रतिशत अधिक है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के विकास में नाबार्ड की ओर से दिए जा रहे सहयोग के लिए धन्यवाद किया।
उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए नाबार्ड की ओर से तैयार की गई ऋण परियोजना।

सोमवार 15 जनवरी 2024 को नाबार्ड ने स्टेट क्रेडिट सेमिनार का आयोजन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्ष 2024-25 के स्टेट फोकस पेपर का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि सेमिनार का मुख्य उद्देश्य राज्य के लिए वर्ष 2024-25 हेतु आंकलित की गई ऋण संभाव्यताओं पर गहन चर्चा करना है। नाबार्ड ने वर्ष 2024-25 हेतु राज्य के लिए 40,158 करोड रुपए की ऋण संभाव्यता का आंकलन किया है, जो विगत वर्ष के वार्षिक ऋण योजना के 34,939 करोड़ रुपए के लक्ष्य से 15 प्रतिशत अधिक है।

नाबार्ड के स्टेट क्रेडिट सेमिनार को संबोधित करते मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और दूसरी तरफ मंचासीन अतिथिगण।

जिसमें कुल कृषि ऋण 16,241.36 करोड़, एमएसएमई 19,776.20 करोड़ तथा अन्य प्राथमिक क्षेत्र में 4140.90 करोड़ का आंकलन किया गया है। मुख्यमंत्री धामी ने नाबार्ड द्वारा उत्तराखंड के लिए की गई ऋण संभाव्यता की तुलना दूसरे पर्वतीय राज्यों से की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के केदारनाथ भ्रमण के दौरान दिए गए कथन को दोहराते हुए बताया की 21वीं सदी का दशक उत्तराखंड का दशक है एवं नाबार्ड इसमें एक अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

उन्होने सभी बैंकों व राज्य के सभी विभागों को नाबार्ड द्वारा ऋण के लिए निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु हर संभव प्रयास करने के लिए अनुरोध किया। साथ ही उन्होंने ऋण की कमी से जूझ रहे आरबीआई द्वारा चिन्हित जिलों (credit starved districts) में विशेष अभियान चलाकर प्राथमिकता के आधार पर ऋण मुहैया करने का अनुरोध किया। साथ ही विकसित भारत संकल्प यात्रा एवं PM JANMAN अभियान के तहत केसीसी (KCC) परिपूर्णता को प्राप्त करने हेतु सार्थक प्रयास करने हेतु अनुरोध किया।
कार्यक्रम में कृषि मंत्री गणेश जोशी ने नाबार्ड के विभिन्न कार्यों, जैसे GI उत्पादों का पंजीकरण व जैविक कृषि में योगदान की सराहना की। उन्होने प्रदेश में चल रहे कृषि और बागवानी के क्षेत्र में हो रहे विभिन्न कार्यों के बारे में सदन को जानकारी दी। वहीं, सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने नाबार्ड का PACS के कंप्यूटरीकरण करने हेतु प्रदान की गई`5.00 करोड़ रुपये के अनुदान के लिए धन्यवाद किया। उन्होने बताया की उत्तराखंड सरकार की दीन दयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना से अब तक 8.5 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। सहकारिता मंत्रालय ने उत्तराखंड में 500 किसान उत्पादक संगठनो का लक्ष्य भी रखा है।
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक विनोद कुमार बिष्ट ने कार्यक्रम में उपस्थित मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने ऋण योजना में नाबार्ड की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए नाबार्ड द्वारा 2024-25 के लिए किए गए ऋण संभाव्यता के बारे में सदन को अवगत कराया। मुख्य महाप्रबंधक नाबार्ड ने राज्य में किए गए कार्यों जैसे-किसान उत्पादक संगठनों का गठन, जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचने हेतु प्रदेश में चल रही परियोजनाएं, स्वयं सहायता समूहों का गठन, राज्य सरकार को आधारभूत संरचना विकास हेतु प्रदत्त वित्तीय सहायता एवं सहकारिता को बल देने हेतु PACS कंप्यूटरीकरण के लिए नाबार्ड द्वारा प्रदान कि गयी सहायता के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कृषि एवं ग्रामीण विकास, लघु उद्योगों को बढ़ावा देना, वित्तीय साक्षरता व सूक्ष्म ऋण को लोगों तक पहुंचाना नाबार्ड की प्राथमिकता रही है।
उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में नाबार्ड बना मजबूत सहयोगी
स्टेट फोकस पेपर भारत और राज्य सरकार दोनों की विभिन्न नीतिगत पहलों को भी समन्वित करता है। नाबार्ड राज्य की स्थापना से ही राज्य के विकास में अनेक महत्वपूर्ण सहयोग दे रहा है, जिसमें आधारभूत संरचना के विकास से संबंधित योजनाएं, जैसे ग्रामीण आधारभूत सुविधा विकास निधि (RIDF), नाबार्ड आधारभूत सुविधा विकास सहायता (NIDA), गोदाम अवसंरचना कोष (WIF), दीर्घावधि सिंचाई निधि (LTIF) आदि प्रमुख हैं। जिसके माध्यम से राज्य में अच्छी सड़कों, भंडारण व्यवस्था, पेयजल तथा सिंचाई सुविधा आदि का विकास हो पाया है। नाबार्ड ने राज्य की स्थापना से लेकर अब तक 15,244 किमी लंबी ग्रामीण सड़कों का निर्माण/सुधार करवाया है व अनेक पुलों का निर्माण/सुधार भी करवाया। जिनकी कुल लंबाई 27,699 मीटर है। इन सड़कों व पुलों की सुविधा से 17,336 से अधिक गांव लाभान्वित हो रहे हैं। 23 लाख से ज्यादा लोगों के घरों में पीने के पानी की सुविधा पहुंचाई गई है। 02 लाख हैक्टेयर से अधिक भूमि के लिए सिंचाई सुविधा का निर्माण किया गया है। 221 से अधिक स्कूल/ आईटीआई/ पॉलिटक्निक के भवनों के निर्माण में सहयोग कर शिक्षा की नींव को मजूबत किया गया है।
पहाड़ की रीढ़ हैं महिलाएं, उन्हें बनाया गया स्वावलंबी
उत्तराखंड की महिलाएं अन्य राज्यों की महिलाओं के अपेक्षा देश में सबसे अधिक समय काम करती हैं। उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में भी महिलाओं को बड़ा योगदान है। नाबार्ड ने महिलाओं को सशक्त बनाने तथा उनके लिए सतत आजीविका सृजित करने के लिए 113 एमईडीपी व 36 एलईडीपी कार्यक्रम किये गए। 7195 स्वयं सहायता समूह/जेएलजी को प्रशिक्षण प्रदान किया है। जिसके माध्यम से उन्हें अपना व्यव्साय करने के लिए प्रेरित किया गया और महिलाओं ने समूह के माध्यम से अपने जीवन को नई दिशा दी है। महिलाओं द्वारा स्थानीय मांग के आधार पर अनेक उत्पादों का निर्माण कर आजीविका उपार्जक कार्य किया जा रहा है। स्वयं सहायता समूहों एवं अन्य कारीगरों को बाजार उपलब्ध कराने हेतु नाबार्ड द्वारा जिला एवं राज्य स्तर पर अनेक प्रदर्शनी सह बिक्री स्थल (मेलों) के आयोजन किये गए हैं। साथ ही ग्राम स्तर पर ग्रामीण हाट, ग्रामीण मार्ट एवं विपणन वैन की सहायता से उत्पादों की बिक्री में वृद्धि के लिए सहायता प्रदान की गई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग जागरूकता बढ़ाई
वित्तीय समावेशन के तहत बैंकिग सुविधाओं के प्रति लोगों को जागरूक किया गया है तथा जिन गांवों में बैंकिंग सुविधा नहीं हैं, वहां सुविधा पहुंचाने के लिए सहकारी बैंकों को मोबाइल डेमो वैन एटीएम की सुविधा सहित दी गई है।
पलायन तथा बेरोजगारी राज्य की सबसे बड़ी चुनौती है तथा नाबार्ड कोविड के बाद वापस लौटे युवाओं को रोजगार देने के लिए आरसैटी एवं अन्य संस्थानों के माध्यम से प्रशिक्षण कार्याक्रमों का आयोजन कर रहा है। युवाओं का कौशल विकास कर उन्हें मार्केट की मांग के अनुसार अपने स्वरोजगार का चयन करने में मदद कर रहा है। स्टेट फोकस पेपर राज्य सरकार को नीतिगत पहलों और वर्ष 2024-25 के लिए बजट की प्राथमिकता के निर्धारण में उपयोगी होगा, जो ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के संतुलित विकास को सुनिश्चित करने के साथ-साथ बैंकरों को भी वर्ष 2024-25 के लिए अपने प्राथमिकता क्षेत्र के अंतर्गत ऋण कार्यक्रमों को अंतिम रूप देने में मदद करेगा।
सेमिनार में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, आनंद बर्द्धन, सहकारिता सचिव डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम, कृषि सचिव विनोद कुमार सुमन, वीसी एसजी उद्यान एवं बागवानी विश्विद्यालय-भरसार के कुलपति, उत्तराखंड राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष दान सिंह रावत, निबंधक सहकारी समितियां आलोक पाण्डेय, भारतीय रिजर्व बैंक के महाप्रबंधक अरुन भगोलीवाल, राज्य स्तरीय बैंकर समिति के संयोजक भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य महाप्रबंधक कलपेश के अवासिया, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के अध्यक्ष हरीहर पटनायक, प्रबंध निदेशक राज्य सहकारी बैंक नीरज बेलवाल, जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के महाप्रबंधक, प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, ग्रामीण निर्माण विभाग एवं निदेशक उद्योग विभाग, डेयरी विकास विभाग, बागवानी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, मछली पालन विभाग, शिक्षा विभाग, पशुपालन विभाग, कृषि/मंडी विभाग एवं प्रशिक्षण एवं रोजगार विभाग, आदि उपस्थित रहे। इस अवसर पर कुछ बैंकों, सरकारी विभागों, समूहों, कृषि उत्पादक संगठनों, आदि को उनके उत्कृष्ट कार्य हेतु पुरुस्कृत भी किया गया।

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