फोरैस पॉलीमर्स से 03 करोड़ मिले, अफसरों के नाम वाली डायरी खोलेगी राज?
आयकर विभाग उत्तराखंड की इन्वेस्टिगेशन विंग हरिद्वार की केमिकल कंपनी पर कर रही छापेमारी
Amit Bhatt, Dehradun: हरिद्वार में केमिकल बनाने वाली कंपनी फोरैस पॉलीमर्स प्रा.लि. पर आयकर की छापेमारी में अब तक 03 करोड़ रुपये से अधिक नकदी और बड़ी मात्रा में ज्वेलरी बरामद की गई है। छापेमारी में सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि कंपनी और इसके संचालकों के ठिकाने से एक डायरी भी मिली है। डायरी में तमाम बड़े अधिकारियों के नाम और उनके साथ कनेक्शन की जानकारी दर्ज है। इसके राज बाहर आने के डर से तमाम अधिकारी भी डरे हुए हैं। आयकर उत्तराखंड की इन्वेस्टिगेशन विंग की छापेमारी हरिद्वार के बहादराबाद स्थित कंपनी के कारपोरेट आफिस समेत गुजरात, झारखंड, कोयंबटूर, कोलापुर आदि के ठिकानों पर एक साथ शुरू की गई।
इस दौरान आयकर अधिकारियों ने कंपनी के आय-व्यय के तमाम रिकार्ड, कंप्यूटर हार्ड डिस्क आदि कब्जे में लिए। हरिद्वार में जांच कर रही उत्तराखंड की इन्वेस्टिगेशन विंग को कंपनी के पदाधिकारियों के पास से 03 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी और बड़ी मात्रा में आभूषण मिलने की बात भी सामने आ रही है। छापेमारी अभी जारी है और माना जा रहा है कि आयकर की कार्रवाई अभी लंबी चल सकती है। अघोषित आय के प्रमाण को लेकर कंपनी के संचालक विकास गर्ग और सोनिया गर्ग से सवाल भी किए जा रहे हैं।
क्या अधिकारियों के राज खोलेगी डायरी
आयकर सूत्रों के मुताबिक जो डायरी कंपनी के ठिकानों पर जांच के दौरान हाथ लगी है, उसमें कई बड़े अधिकारियों के नाम दर्ज हैं। डायरी में शराब की पेटियों को विभिन्न पतों पर भेजे जाने का जिक्र भी है। बताया जा रहा है कि कंपनी का कारोबार काफी विस्तृत है और इसके अनुसार कर चोरी का आंकड़ा काफी ऊपर पहुंच सकता है। हालांकि, अभी कर चोरी के स्पष्ट आंकड़े को लेकर कोई पुष्टि नहीं की जा सकी है। छापेमारी में इन्वेस्टिगेशन विंग के अपर निदेशक टीएस मपवाल, उप निदेशक रितेश भट्ट, राजेश पटवाल आदि अधिकारी शामिल हैं।
बर्थडे पार्टी के खर्च और जहाज से कार मंगाने पर आए रडार पर
आयकर सूत्रों के मुताबिक फोरैस पॉलीमर्स के संचालक हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं। उन्होंने कुछ समय पहले बर्थडे पार्टी की थी, जिसमें मोटी धनराशि खर्च की गई थी। इसके साथ ही कंपनी संचालक ने विदेश से जहाज से बेहद महंगी कार भी मंगाई है। इन तमाम खर्चों और उसके मुताबिक रिटर्न में कमी को लेकर ही यह कंपनी अधिकारियों के रडार पर आई।