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दून में गैस गोदाम का फर्जीवाड़ा, लीज समाप्त हुई और बीपीसीएल ने करवा दिया अवैध कब्जा

अपनी जमीन पर से अवैध गैस गोदाम को हटवाने के लिए दर-दर भटक रही 95 साल की वयोवृद्ध लीला गुरुंग

Amit Bhatt, Dehradun: राजधानी दून में तहसील सदर के अधिकारियों, जिला पूर्ति कार्यालय की अनदेखी और भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लि. के अफसरों की बड़ी कारगुजारी सामने आई है। रायपुर क्षेत्र में जिस नंदा गैस एजेंसी का गोदाम संचालित किया जा रहा है, उसकी लीज वर्ष 2000 से पहले ही समाप्त/निरस्त हो गई थी। इसके बाद लीज धारक ने एजेंसी को सरेंडर कर दिया, जबकि गोदाम के साथ जमीन पर किसी दूसरे व्यक्ति ने ही कब्जा जमा लिया। अब अपनी भूमि पर से अवैध कब्जा हटाने के लिए 95 वर्षीय लीला देवी गुरुंग दर-दर भटक रही हैं। गुरुवार को जिलाधिकारी देहरादून सविन बंसल की जनसुनवाई में इस फरियाद को लेकर लीला देवी की 75 वर्षीय अविवाहित पुत्री नीना गुरुंग पहुंचीं।

जिलाधिकारी की जनसुनवाई में मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह को अपनी व्यथा सुनातीं लीला देवी की पुत्री नीना गुरुंग।

जिलाधिकारी बंसल के आदेश पर सोमवार को जनसुनवाई में मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने फरियाद सुनी।उन्होंने नीना गुरुंग से शिकायत प्राप्त करते हुए यह प्रकरण जिला पूर्ति अधिकारी केके अग्रवाल के सुपर्द किया। जिला पूर्ति अधिकारी ने प्रकरण में जांच शुरू कर दी है। नीना गुरुंग ने कहा कि उनकी मां लीला देवी गुरुंग उम्र के आखिरी पड़ाव से गुजर रही हैं और अब उनमें यह हिम्मत नहीं है कि अपनी जमीन पर अवैध रूप से संचालित किए जा रहे गैस गोदाम को हटवा सके। इसलिए अब अंतिम उम्मीद के रूप में जिलाधिकारी की शरण में पहुंची हैं।

नीना गुरुंग ने कहा कि उनकी मां लीला देवी गुरुंग की रांझावाला क्षेत्र रायपुर स्थित भूमि पर भारत पेट्रोलियम का गैस गोदाम का अवैध रूप से संचालन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1988 में गैस गोदाम के लिए इस भूमि को उनके पिता स्व. रतन सिंह गुरुंग ने नंदा सुब्बा को 10 साल की लीज पर दिया था। नंदा सुब्बा ने वर्ष 2000 से किराया देना बंद कर दिया और वर्ष 2004 में कब्जे के आधार पर जमीन पर मालिकाना हक जताना शुरू कर दिया।

जबकि लीज की शर्तों में स्पष्ट था कि किराया अदा न करने की दशा या इसके अन्य को हस्तांतरण की दशा में इसे निरस्त माना जाएगा। किराया अदा न करने की दशा में गोदाम को हटाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई थी। उसी बीच नंदा सुब्बा ने गैस एजेंसी को सरेंडर कर दिया था। दूसरी तरफ भारत पेट्रोलियम के तत्कालीन अधिकारियों ने गोदाम को हटाने की जगह किसी तीसरे व्यक्ति लोकेश उनियाल पर कब्जा उनकी भूमि पर करवा दिया। जो कि पूरी तरह अवैध और सुरक्षा मानकों के लिहाज से खतरनाक है।

तहसील में फर्जीवाड़ा कर चढ़ा नाम, एडीएम ने किया खारिज
जिलाधिकारी को दी गई शिकायत में नीना गुरुंग ने कहा कि तहसील सदर के कार्मिकों की मिलीभगत ने राजस्व रिकार्ड में नंदा सुब्बा राव का नाम चढ़ा दिया था, जिसे अपर जिलाधिकारी प्रशासन ने वर्ष 2009 में खारिज कर दोबारा से उनकी मां का नाम दर्ज करा दिया गया। इसके बाद भी गैस गोदाम का आवंटन निरस्त नहीं किया जा रहा है। उन्होंने इस फर्जीवाड़े के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की मांग की।

विस्फोटक सुरक्षा संगठन के मानक दरकिनार
शिकायत के साथ दर्ज किए गए दस्तावेजों के अनुसार पेट्रोलियम एवं विस्फोटक संगठन के मानकों में साफ किया गया है कि लीज डीड समाप्त होने या किसी विवाद की स्थिति में भी लाइसेंस निरस्त किया जाएगा। ऐसे मामलों में वाद के निस्तारण का इंतजार नहीं किया जाएगा। फिर भी सुरक्षा मानकों और नियमों को दरकिनार कर बीपीसीएल के अधिकारी मूक दर्शक बने हुए हैं।

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