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02 आइएएस और 01 मंत्री आए आईबी के रडार पर, केंद्र को जाएगी रिपोर्ट

01 वरिष्ठ आइएएस की पत्नी के प्रतिष्ठान, दूसरे के पैसा घुमाने और मंत्री के कार्यों का लेखा-जोखा किया जा रहा तैयार

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड के 02 वरिष्ठ नौकरशाह और 01 मंत्री आईबी के रडार पर आ गए हैं। आईबी इन दिनों एक वरिष्ठ आइएएस अधिकारी के पत्नी के प्रतिष्ठान में अधिकारी पति के सहयोग की पड़ताल में जुटी है, जबकि दूसरे आइएएस अफसर के सीएसआर फंड के नाम पर पैसा घुमाने और अन्य कार्यों की सूचना जुटा रही है। दूसरी तरफ सोचने से पहले करने में विश्वास रखने वाले मंत्री के कार्यों का ब्यौरा भी जुटाया जा रहा है। जिससे निकट भविष्य में रिपोर्ट कार्ड के क्रम में तीनों महानुभावों की दशा-दिशा तय की जा सकती है।

जिस वरिष्ठ आइएएस अधिकारी के प्रतिष्ठान को लेकर आईबी सूचनाएं एकत्रित कर रही हैं, वह राजपुर रोड पर बताया जाता है। बातें यहां तक हो रही हैं कि वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों को छोड़कर पीसीएस और अन्य रैंक के अधिकारियों को यहां खरीदारी के लिए भेजा जाता है। तमाम असफर यहां चाहे-अनचाहे भाव से कुछ न कुछ खरीदने को पहुंचे रहते हैं। बताया जा रहा है कि फिलहाल यह अधिकारी खुद को अपग्रेड कराने में लगे हैं। उनकी यह मुराद काफी हद तक आईबी के रिपोर्ट कार्ड पर भी निर्भर करेगी। आजकल भले ही यह कुछ नर्म दिख रहे हैं, लेकिन कई दफा यह आका तक की फाइलों को सीधे मुहं स्वीकार करने में भी नखरे दिखाते रहे हैं। हालांकि, सीधे उन तक आने वाली फाइलों पर इनका नजरिया व्यक्तिगत भी रहता है।

दूसरे आइएएस अधिकारी हमेशा फ्रंटफुट पर काम करते हैं। जिसमें वह अपनी विशेष योग्यताओं से कई बार परिणाम तक की भी परवाह नहीं करते। जिस कारण वह निरंतर अंतराल में अपने किसी न किसी काम के चलते चर्चा के केंद्र में भी रहते हैं। अब आईबी की नजर इनके सीएसआर फंड को घुमाने के काम पर भी पड़ी है। जिसमें एक बड़े बैंक पर दबाव बनाकर उसके 01 करोड़ रुपये किसी एनजीओ को जारी करवाए गए और इसके बाद फंड दूसरे एनजीओ को भिजवा दिया गया। इसके अलावा भी यह अधिकारी अपने हस्ताक्षरों को लेकर अति सक्रिय नजर आते हैं और इनके कई साइन फाइलों में फंसे हुए भी हैं।

अब बात करते हैं सरकार के एक मंत्री की। इनके कारनामों पर भले ही लंबे समय से पर्दा पड़ा हो, लेकिन अब आईबी की रिपोर्ट उनकी परतें उघाड़ सकती हैं। बताया जा रहा है कि मंत्री के कारनामों का एक बड़ा पुलिंदा या तो आईबी के हाथ लग भी चुका है या लगने वाला है। यह मंत्री अपने विभागों से उतने वाकिफ नजर नहीं आते हैं, जितनी इनकी दिलचस्पी अपने क्षेत्र में बने रहने में होती है। मंत्री बनने के बाद भी यह खुद विधायक की छवि से बाहर नहीं निकाल पा रहे हैं। आईबी की रिपोर्ट मंत्री जी की भी दशा-दिशा तय कर सकती है।

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