सड़कों की खोदाई के दौरान पर्यावरण और सामाजिक सुरक्षा जरूरी
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Round The Watch: उत्तराखण्ड शहरी क्षेत्र विकास एजेंसी (यू०यू०एस०डी०९०) परियोजना के पैकेज बजारावाला-03 के अन्तर्गत सामाजिक और पर्यावरणीय सुरक्षा तथा परियोजना में लैंगिक समानता के विषय में यू०यू०एस०डी०ए० नियोक्ता टाटा कन्सल्टिंग के विशेषज्ञों द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्याशाला में परियोजना से जुड़े निमार्ण संस्था मै० वी०पी०आर०पी०एल० के मजदूरों की निर्माण कार्यों के दौरान सुरक्षा उपकरणों के उपयोग करने तथा साइट इजीनीयरों, सुपरवाइजर एवं अन्य को परियोजना कार्यों के दौरान सामाजिक संवाद, लैंगिक समानता, शिकायतों के निराकरण, परियोजना कार्यों में पर्यावरणीय सुरक्षा तथा एशियन विकास बैंक की नियमावली के अनुपालन और परियोजना के दौरान वातावरणीय विवरण संकलन के सम्बन्ध में आवश्यक जानकारी पर विस्तार से एवं सरल भाषा प्रस्तुतिकरण कर प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रशिक्षण के दौरान रोचक खेलों व कहानी के माध्यम से सवाद एवं सम्प्रेषण के सम्बन्ध में स्पष्टता की गई।
कार्याशाला का आयोजन दो सत्रों में किया गया, जिसमें प्रथम सत्र का आयोजन पूर्वाहन में किया गया जिसमे परियोजना लेबर कैंप में मजदूरों को लेबर कैंप व निर्माण स्थलों में निर्माण कार्यों के दौरान आपसी सौहार्द बनाते हुए कार्य करने तथा सुरक्षा नियमावली के अनुपालन किये जाने के सम्बन्ध में अवगत कराया गया। तथा कार्याशाला का आयोजन अपराहन दूसरे सत्र अजयपुर स्थित एक सभागार में किया गया, जहां यूयू०एस०डी०ए० के अपर कार्यक्रम निदेशक, विनय मिश्रा द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर कार्याशाला का शुभारम्भ किया। कार्याशाला का संचालन कर रही पर्यावरणीय विशेषज्ञ सेमवाल द्वारा प्रारम्भ में परियोजना में पर्यावरणीय एवं सामाजिक सुरक्षा में निर्माणकर्ताओं की भागीदारी के विषय में संक्षिप्त परिचय दिया।
इसके बाद परियोजना प्रबन्धक जतिन सिंह सैनी द्वारा कहा गया गया कि कार्यशाला का औचित्य है परियोजना से जुड़े समस्य अभियन्ता एवं निर्माणकर्ता एवं अन्य निर्माणकार्य के दौरान परियोजना स्थलों पर सामाजिक एंव पर्यावरणीय पहलुओं को गम्भीरता व्यक्त करें तथा संवेदनशील बने। तदोपरान्त डॉ० सुधांशु कौशिक द्वारा निर्माण के समय एशियन विकास बैंक की पर्यावरणीय नियमावली का संक्षिप्त परिचय देते हुए अवगत कराया कि किस प्रकार पर्यावरण न्यूनतम हानि पहुचाकर निर्माण कार्यों को संपादित किया जा सकता है। तथा निर्माणस्थलों पर जल, वायु एवं मृदा के आकड़ों को एक निर्धारित समयावधि में एकत्र कर उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है। यही सामाजिक सुरक्षा विशेषज्ञ सुरेश एवं राजेश बहुगुणा द्वारा निर्माणस्थलों में सामाजिक संवाद बनाये रखने तथा शिकायतों का यथानुसार निस्तारण करने के विषय में संक्षिप्त रूप में बताया. साथ ही रोचक खेल के माध्यम से संवाद सम्प्रेषण प्रभावशीलता से अवगत कराया। इस बीच मोहित कुमार सामाजिक सुरक्षा विशेषज्ञ द्वारा परियोजनाओं में पुरूष एवं महिलाओं की समान भागीदारी और रिसेटेलमेट के विषय में गहनता से अवगत कराया।
कार्यक्रम का समापन उद्बोधन करते हुए यू०पू०एस०डी०ए० के अपर कार्यक्रम निदेशक विनय मिश्रा ने कहा कि एशियन विकास बैंक की सामाजिक एवं पर्यावरणीय सुरक्षा, लैंगिक समानता, रिसेटेलमेन्ट एवं शिकायतों के निस्तारण पर तय नियमावली का अनुपालन परियोजना से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है, जिसका निर्वहन निरन्तर किया जा रहा है। उन्होंने उपस्थित सभी साइट इंजीनियरों व सुपरवाइजरों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि निर्माण कार्य तेजी से हो रहा है. जिस कारण शिकायतें होना भी व्यावहारिक है। शिकायतों का निराकरण भी अच्छे और सौम्य व्यवहार से किया जा सकता है। चूंकि परियोजना सीधे तौर से जनता से जुड़ी है और जनता के बीच में रहकर कार्य किया जा रहा है, तो निश्चित तौर पर जनता की अपेक्षाएं भी उतनी ही अधिक रहती है, उनको असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है, कार्य जटिल है तो निश्चित तौर पर परेशानियां भी होंगी, किन्तु यथासंभव प्रयासरत रहें कि कम से कम सामाजिक व पर्यावरणीय असुविधा पहुचाते हुए काम करें। उन्होने निमार्ण एजेंसी से जुड़े सभी प्रतिभागियों से उम्मीद की कि भविष्य में शिकायतों में कमी आयेंगी और शिकायतों का निस्तारण एक निश्चित समयावधि में कर दिया जायेगा।
कार्यशाला में उपरोक्त के अतिरिक्त यू०यू०एस०डी०ए० के सहायक अभियन्ता संजीव कुमार, एस0के0वर्मा, अमित सैनी, अनिल सिंह रावत, राजवीर सिंह, टी०सी० पंत, रोहित जोशी, वैभव बहुगुणा, नितेश तडियाल, विकास बिष्ट उपस्थित रहे। टाटा कन्सल्टिंग के टीम लीडर राजीव कुमार डॉ० युद्धवीर सिंह, जितेन्द्र त्यागी, अनिल कुमार पाटनी, भावना अग्रवाल, सीमा भट्ट शामिल रहे। वहीं निर्माण एजेंसी मै० वी०पी०आर०पी०एल० के परियोजना प्रबन्धक श्री संजीव व अन्य ने प्रतिभाग किया।