साहित्य

प्रो.दिनेश चमोला ‘शैलेश’ बीवीएएपी के संपादक मंडल के सदस्य नामित, कई उपलब्धि कर चुके अपने नाम

प्रसिद्ध अनुसंधान पत्रिका 'भारतीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान पत्रिका' (बीवीएएपी) के संपादकीय मंडल का 03 वर्षों तक सदस्य किया गया नामित

Round The Watch: प्रख्यात हिंदी साहित्यकार, संपादक, प्रोफेसर (डॉ ) दिनेश चमोला ‘शैलेश’ को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार के राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली की पीयर रिव्यूड और यूजीसी केयर सूचीबद्ध (Carelisted) अंतर विषयक प्रसिद्ध अनुसंधान पत्रिका ‘भारतीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान पत्रिका’ (बीवीएएपी) के संपादकीय मंडल का 3 वर्षों तक सदस्य नामित किया गया है। देशभर के प्रख्यात वैज्ञानिकों, विज्ञान लेखकों, कुलपतियों एवं संपादकों के बीस सदस्यीय दल में प्रो. चमोला का शामिल होना उत्तराखंड के लिए अत्यंत गौरव का विषय है ।
ध्यातव्य है कि प्रोफेसर चमोला इससे पूर्व में भी देश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं यथा- कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कोच्चि (केरल) की शोध पत्रिका ‘अनुशीलन’ के पुनरीक्षक (Reviewer), पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला की शोध पत्रिका ‘पंचवटी’ के संपादकीय सलाहकार बोर्ड में सदस्य; यूकॉस्ट, उत्तराखंड की विज्ञान पत्रिका ‘विज्ञान परिचर्चा’ के पूर्व संपादकीय सलाहकार बोर्ड सदस्य; उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार की शोध पत्रिका ‘शोध प्रज्ञा’ के संपादकीय बोर्ड के सदस्य तथा प्रतिष्ठित हिंदी पत्रिका ‘अभिनव इमरोज़’ के कई विशेषांकों के अतिथि संपादक के रूप में भी कार्यरत रहे हैं । इससे पूर्व भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून की प्रसिद्ध पत्रिका ‘विकल्प’ का भी आपने लगभग 22 वर्षों तक श्रेष्ठ संपादन किया है जिसके अनेक प्रतिष्ठित विशेषांक,विद्वत समाज में न के बहुचर्चित हुए, बल्कि इन पर दो बार भारत अखिल भारतीय स्तर पर भारत सरकार के गृह मंत्रालय का प्रथम व द्वितीय पुरस्कार भी भारत के राष्ट्रपति से प्राप्त हुआ । विगत 41 वर्षों से भारतीय पत्रकारिता में अपना सतत रचनात्मक अवदान प्रदान करने वाले प्रोफेसर चमोला अपने बहुमुखी लेखन के लिए हिंदी जगत में विख्यात हैं ।

यही नहीं, आपके मौलिक साहित्य पर अभी तक देश के 10 से अधिक विश्वविद्यालयों- जिनमें मुंबई विश्वविद्यालय, मुंबई, कश्मीर विश्वविद्यालय, श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर); हेमवती नंदन केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर (उत्तराखंड); सौराष्ट्र विश्वविद्यालय, राजकोट; दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, चेन्नई; कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़, कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र आदि में दस से अधिक पीएचडी तथा 15 से अधिक लघुशोध कार्य संपन्न हो चुके हैं ।
ध्यातव्य है कि 14 जनवरी, 1964 को उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद के ग्राम कौशलपुर में स्व.पं. चिंतामणि चामोला ज्योतिषी एवं श्रीमती माहेश्वरी देवी के घर मेँ जन्मे प्रो. चमोला ने शिक्षा में प्राप्त कीर्तिमानों यथा एम.ए. अंग्रेजी, प्रभाकर; एम. ए. हिंदी (स्वर्ण पदक प्राप्त); पीएच-डी. तथा डी.लिट्. के साथ-साथ साहित्य के क्षेत्र में भी राष्ट्रव्यापी पहचान निर्मित की है। अभी तक प्रो. चमोला ने उपन्यास, कहानी, दोहा, कविता, एकांकी, बाल साहित्य, समीक्षा, शब्दकोश, अनुवाद, व्यंग्य, खंडकाव्य, व्यक्तित्व विकास, लघुकथा, साक्षात्कार, स्तंभ लेखन के साथ-साथ एवं साहित्य की विविध विधाओं में लेखन किया है ।
पिछले इकलीस (41) वर्षों से देश की अनेकानेक पत्र-पत्रिकाओं के लिए अनवरत लिखने वाले साहित्यकार प्रो.चमोला राष्ट्रीय स्तर पर साठ से अधिक सम्मान व पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं व तिरासी (83) मौलिक पुस्तकों के लेखक के साथ-साथ हिंदी जगत में अपने बहु-आयामी लेखन व हिंदी सेवा के लिए सुविख्यात हैं ।

आपकी चर्चित पुस्तकों में ‘यादों के खंडहर, ‘टुकडा-टुकड़ा संघर्ष, ‘प्रतिनिधि बाल कहानियां, ‘श्रेष्ठ बाल कहानियां, ‘दादी की कहानियां¸ नानी की कहानियां, माटी का कर्ज, ‘स्मृतियों का पहाड़, ’21श्रेष्ठ कहानियां‘ ‘क्षितिज के उस पार, ‘कि भोर हो गई, ‘कान्हा की बांसुरी, ’मिस्टर एम॰ डैनी एवं अन्य कहानियाँ,‘एक था रॉबिन, ‘पर्यावरण बचाओ, ‘नन्हे प्रकाशदीप’, ‘एक सौ एक बालगीत, ’मेरी इक्यावन बाल कहानियाँ, ‘बौगलु माटु त….,‘विदाई, ‘अनुवाद और अनुप्रयोग, ‘प्रयोजनमूलक प्रशासनिक हिंदी, ‘झूठ से लूट’, ‘गायें गीत ज्ञान विज्ञान के’ ‘मेरी 51 विज्ञान कविताएँ’ तथा ‘व्यावहारिक राजभाषा शब्दकोश’ आदि प्रमुख हैं। हाल ही में आपकी अनेक पुस्तकें- ‘सृजन के बहाने: सुदर्शन वशिष्ठ’; ’21 श्रेष्ठ कहानियां’ (कहानियां); ‘बुलंद हौसले’ (उपन्यास); ‘पापा ! जब मैं बड़ा बनूंगा’; ‘मेरी दादी बड़ी कमाल’ (बाल कविता संग्रह) तथा ‘मिट्टी का संसार’ (आध्यात्मिक लघु कथाएं) आदि प्रकाशित हुई हैं।

प्रो. चमोला ने 22 वर्षों तक चर्चित हिंदी पत्रिका “विकल्प” का भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून से संपादन किया है तथा दो बार इस पत्रिका को भारत के राष्ट्रपति के हाथों प्रथम व द्वितीय पुरस्कार दिलाया है । आप देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, आयोगों व संस्थानों की शोध समितियों ; प्रश्नपत्र निर्माण व पुरस्कार मूल्यांकन समितियों के सम्मानित सदस्य/विशेषज्ञ हैं।

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