रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में नामी अधिवक्ता विरमानी की गिरफ्तारी की पुष्टि
दून के नामी अधिवक्ता कमल विरमानी को एसआईटी ने शनिवार देर रात पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था, रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में अब तक नौ आरोपितों को किया जा चुका गिरफ्तार
Amit Bhatt, Dehradun: देहरादून के सब रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने वरिष्ठ अधिवक्ता कमल विरमानी की गिरफ्तारी की पुष्टि कर दी है। अधिवक्ता विरमानी को शनिवार देर रात पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था। तभी से यह कहा जा रहा था कि पुलिस विरमानी को जल्द गिरफ़्तार कर सकती है। हालांकि, बीती रात इस मामले में पुलिस अधिकारी अधिकारिक रूप से कुछ भी कहने को तैयार नहीं थे। जमीन फर्जीवाड़े में शुरू से ही अधिवक्ता का नाम सामने आ रहा था, लेकिन पुलिस पर्याप्त साक्ष्य न होने के चलते हाथ नहीं डाल पा रही थी। शनिवार को पुलिस ने साक्ष्य के आधार पर अधिवक्ता को हिरासत में लिया और पूछताछ शुरू कर दी।
रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में अधिवक्ता विरमानी की गिरफ्तारी के बाद जल्द कुछ और बड़े नाम प्रकरण में आरोपित बनाए जा सकते हैं। खास बात यह है की रजिस्ट्री और जमीन फर्जीवाड़े के इस प्रकरण को मुख्य्मंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गंभीरता से लिया है। उन्हीं के निर्देश पर एसआईटी गठित की गई और अब तक दो मुक़दमे पंजीकृत कर निरंतर आरोपितों की गिरफ़्तारी की जा रही है। दूसरी तरफ मुख्य्मंत्री के निर्देश पर जिलाधिकारी सोनिका जमीन फर्जीवाड़े के प्रत्येक प्रकरण को गंभीरता से लेकर जांच व अन्य कार्रवाई करवा रही हैं।
विरमानी ने गिरफ़्तारी से बचने को 21 को दाखिल की थी सरेंडर एप्लिकेशन
अधिवक्ता कमल विरमानी ने इस गिरफ्तारी से बचने के लिए 21 अगस्त को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, देहरादून के समक्ष सरेंडर एप्लिकेशन भी दाखिल की थी। इससे पहले अधिवक्ता की ओर से कुछ और जुगत भिड़ाई जाती पुलिस ने प्रकरण में आरोपित बनाकर गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, यह कदम उठाने से पहले पुलिस ने पर्याप्त रूप से साक्ष्य एकत्रित कर लिए थे।
फर्जीवाड़े में दो मुक़दमे, आठ पहले हो चुके गिरफ्तार
संदीप श्रीवास्तव सहायक महानिरीक्षक निबंधन की ओर से रजिस्ट्री कार्यालय प्रथम व द्वितीय में विभिन्न भूमि विक्रय विलेख से संबंधित धारित जिल्दाें विलेख संख्या 2719/2720 वर्ष 1972, विलेख संख्या 3193, विलेख संख्या 3192, विलेख संख्या 545 वर्ष 1969, विलेख संख्या 10802 व 10803 के साथ छेड़छाड़ कर अभिलेखों की कूटरचना के संबंध में तहरीर दी गई थी। प्रकरण की जांच के लिए आइपीएस सर्वेश कुमार के नेतृत्व में गठित एसआइटी ने एसओजी की टीम के सहयोग से रजिस्ट्रार कार्यालय से रिकार्ड लेते हुए रिंग रोड से संबंधित 50 से अधिक रजिस्ट्रियों का अध्ययन किया।
कुछ दिन पहले पुलिस ने आरोपित रोहताश को गिरफ्तार किया था, जो कि पूर्व में अधिवक्ता कमल विरमानी का मुंशी था। सहारनपुर का भूमाफिया कुंवरपाल जब अधिवक्ता के चैंबर में आता जाता था तो फर्जी रजिस्ट्रियों का सारा काम रोहताश ही करता था। जब उसे फर्जीवाड़े की पूरी जानकारी हो गई तो उसने वर्ष 2020 में काम छोड़कर अपना काम करना शुरू कर दिया।बताया जा रहा है कि अधिवक्ता के माध्यम से सहारनपुर निवासी कुंवरपाल का रजिस्ट्री कार्यालय में आना-जाना हुआ और उसने वहां के कर्मचारियों को रुपयों के लालच देकर फंसाया, कार्यालय से रजिस्ट्रियां बाहर निकलवाई, जबकि उनकी जगह पर फर्जी रजिस्ट्री लगवा दी। इस मामले में एसआइटी की ओर से फर्जीवाड़े में अब तक आठ आरोपितों को गिरफ्तारी की जा चुकी है। इनमें संतोष अग्रवाल, दीपचंद अग्रवाल, रजिस्ट्रार कार्यालय पूर्व कर्मचारी डालचंद, अजय सिंह क्षेत्री व विकास पांडे, अधिवक्ता इमरान अहमद, पीलीभीत का रहने वाला मक्खन सिंह और अधिवक्ता कमल विरमानी का पूर्व मुंशी रोहताश सिंह शामिल है। अब यह बात भी सामने आ रही है कि रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में अभी कई और बिग शॉट की गिरफ्तारी भी संभव है। हालांकि, सब कुछ साक्ष्यों पर निर्भर करेगा।