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रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा: डीड के 1 लाख और साइन के 25 हजार लेता था पालीवाल

कंवरपाल सिंह से बैनामे का मोटा कमीशन लेता था हैंडराइटिंग एक्सपर्ट पालीवाल

Amit Bhatt, Dehradun: देहरादून रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के आरोपियों पर पुलिस शिकंजा कसती जा रही है। एक के बाद एक गिरफ्तारियों ने बड़ी मछलियों की धड़कन बढ़ा दी है। कंवरपाल सिंह (केपी सिंह) के खास हैंडराइटिंग एक्सपर्ट अजय मोहन पालीवाल को पकड़कर पुलिस बड़े और नामी लोगों के गिरेबान तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। पालीवाल हैंडराइटिंग एक्सपर्ट तो था ही, उसने फॉरेंसिक साइंस में भी डिप्लोमा किया है। शातिर पालीवाल एक-एक बैनामे/सेल डीड के एक लाख रुपये कंवरपाल सिंह से लेता था। साथ ही एक नकली दस्तखत कराने के लिए वह 25 हजार प्राप्त करता था। सब कुछ प्लान के मुताबिक चल रहा था, लेकिन रजिस्ट्री फर्जीवाड़े का खेल उजागर होता चला गया और पुलिस ने गुनाह की कड़ी जोड़ते-जोड़ते आखिरकार शातिर खिलाड़ी पालीवाल को भी दबोच लिया। इसके साथ ही कई अन्य नामी लोग भी रडार पर आ गए हैं।

रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा में गिरफ्तार मुजफ्फरनगर का हेंड राइटिंग एक्सपर्ट अजय मोहन पालीवाल ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उसने वर्ष 1988 में दून फॉरेंसिक साइंस का डिप्लोमा पत्राचार के माध्यम से किया था। वर्ष 1994 में डीएवी मुजफ्फरनगर से एलएलबी, वर्ष 2017 में आइएफएस पूना से पीजी सर्टिफिकेशन इन फॉरेंसिक और वर्ष 2019 में ग्लोबल ओपन यूनिवर्सिटी दीमापुर नगालैंड से एमएससी फॉरेंसिक साइंस किया।

 

पालीवाल मुजफ्फरनगर में कोर्ट के चेंबर C-35 में बैठता था। उसने वर्ष 1988 से हस्ताक्षर मिलान व हस्तलेख मिलान की प्रैक्टिस का काम किया। फर्जीवाड़े में शातिर बनने के बाद पहले उसने सुभाष विरमानी का साइन कंपेयर का काम किया, फिर कमल विरमानी ने भी उसके फर्जी काम के बारे में सुना, तो उससे संपर्क किया। पालीवाल हस्तलेख, हस्ताक्षर विशेषज्ञ था, इसलिए कंवरपाल सिंह व ओमवीर तोमर ने उसे फर्जी दस्तावेज तैयार करने और उसके एवज में अच्छी खासी रकम देने की बात कही तो अजय मोहन पालिवाल मान गया। कंवरपाल व उसके अन्य साथी ठेकेदारी के टेंडर के साथ दाखिल स्टांप पेपरों को कार्यालय की विनिष्टीकरण की कार्यवाही में से हटाकर नमक के तेजाब से धुलकर कोरा बना देते थे।

 

इसके लिए बहुत पुराने मोटे कागजों को गीली रुई से रगड़ते थे, जिससे स्याही कागज की पतली परत के साथ उतर जाती थी और कागज कोरा हो जाता था। इसके बाद स्केच पेन को गीला कर उन्हीं लाइनों के ऊपर लिख देते थे व अधिकारियों के हस्ताक्षर स्कैन कर कागज पर छापते थे। आरोपित अजय मोहन पालीवाल ने इसी तरह रक्षा सेन, फरखंदा रहमान, राजेंद्र सिंह, त्रिभुवन, दिपांकर नेगी, मांगे राम, प्रेमलाल, रामनाथ, राम चंद्र, पदमा कुमारी, मोती लाल, चंद्र बहादुर सिंह, गोवर्धन, सुभाष, रवि मित्तल, जगमोहन सहित कुछ अन्य जमीनें, जोकि रायपुर, चकरायपुर, जाखन, राजपुर रोड, क्लेमेनटाउन, ब्रह्माणवाला, रैनापुर, नवादा आदि जगहों पर हैं, के फर्जी बैनामे व विलेख वसीयतें तैयार की थी।

इसके अलावा आरोपित ने क्लेमेनटाउन स्थित डीके मित्तल, शीला मित्तल वाली फर्जी वसीयत भी तैयार की थी। पुलिस जांच में वर्ष 2021-22 में केपी के खाते से अजय मोहन पालीवाल के खाते में फर्जी अभिलेख तैयार करने के एवज में कई लाख रुपये के ट्रांजेक्शन होना पाया गया है। प्रकरण में अब तक पुलिस 13 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है।

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