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मृतक महिला का पोस्टमार्टम पुरुष क्यों करे, प्रमुख सचिव से मांगी आख्या

मानवाधिकार आयोग पहुंचे इस प्रकरण में आयोग सदस्य गिरधर सिंह धर्मशक्तू ने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य से मांगी आख्या

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड मानवाधिकर आयोग में एक ऐसा प्रकरण पहुंचा है, जिसमें प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार को मृत्यु के बाद भी संरक्षित रखने की बात कही गई है। जिसमें सवाल उठाया गया है कि मृतक महिला का पोस्टमार्टम किसी पुरुष चिकित्स्क को क्यों करना चाहिए। इसके लिए महिला चिकित्स्क की व्यवस्था किए जाने की मांग उठाई गई है। मामले में मानवाधिकार आयोग के सदस्य गिरधर सिंह धर्मशक्तू ने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य से प्रस्तरवार आख्या तलब की है। प्रकरण में अगली सुनवाई अब 31 जनवरी 2024 को की जाएगी।

प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को दिया गया मानवाधिकार आयोग का आदेश।

यह शिकायती पत्र डीएल रोड निवासी अधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद की ओर से मानवाधिकार आयोग में दाखिल किया गया है। जिसमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 का हवाला देते हुए कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया से ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं। इसी अनुच्छेद के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने आश्रय अधिकार अभियान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में यह कहा है कि प्राण या दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार केवल जीवनकाल तक सीमित नहीं है, बल्कि मृत्यु के पश्चात भी इस अधिकार का अस्तित्व रहता है। इसके अलावा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम-1993 की धारा 2(घ) में भी इस बात को कहा गया है।

महिला मृतकों का पोस्टमार्टम महिला चिकित्सक करे
अधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने इन तमाम नियमों और प्रविधान के मुताबिक मानवाधिकार आयोग के समक्ष कहा कि मृतक महिलाओं का पोस्टमार्टम पुरुष चिकित्सकों से कराया जाना, उनके मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिपेक्ष्य में महिलाओं की शिकायतों के निस्तारण के लिए महिला उपनिरीक्षक को नियुक्त किया जाना जरूरी है। यौन उत्पीड़न जैसे मामलों में भी महिला न्यायाधीश होना आवश्यक है। उन्होंने आयोग से मांग की है कि स्वास्थ्य विभाग को आदेशित कर मृतक महिलाओं का पोस्टमार्टम महिला चिकित्सकों से ही कराया जाए।

प्रमुख सचिव देंगे आख्या, सुनवाई 31 जनवरी को
प्रकरण पर सुनवाई करते हुए मानवाधिकार आयोग के सदस्य गिरधर सिंह धर्मशक्तू ने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को निर्देश दिए कि शिकायती पत्र में जो भी बातें उठाई गई हैं, उन पर प्रस्तरवार आख्या नियत तिथि से पूर्व आयोग में उपलब्ध करा दी जाए। प्रकरण में अगली सुनवाई अब 31 जनवरी 2024 को होगी।

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