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नाराज पति ने किया वीडियो कॉल और जान देने चल पड़ा गंगा नदी की ओर

ऐन वक्त पर दून पुलिस ने बचा ली ऋषिकेश क्षेत्र के गंगा घाट से कूदने की तैयारी कर रहे विकासनगर निवासी युवक की जान

Amit Bhatt, Dehardun: हमारा पैदा होना हमारे हाथ में नहीं होता। मौत कब आएगी यह भी कोई नहीं जानता। जन्म और मृत्यु के बीच जो कुछ भी हम जी पाते हैं, कुछ कर पाते हैं, उसकी दशा और दिशा तय करना जरूर कुछ हद तक हमारे हाथ में हो सकता है। फिर आज के दौर में अधिकतर लोग अपनी मौजूदा स्थिति से संतुष्ट नहीं हो पाते हैं। यहां अमीर आदमी की भी अपनी उलझनें हैं और गरीब आदमी भी अपने जीवन को कोस-कोसकर दिन काटता है। इसी का नाम जिंदगी है। फिर ऐसा क्या होता है कि कुछ लोग प्रकृति की सबसे अनमोल नेमत यानी जीवन को असमय समाप्त करने पर तुले रहते हैं। वह भावनाओं के उस क्षणिक आवेश में आकर ऐसा कुछ कर जाते हैं या करने पर आमादा दिखते हैं, जो पीछे बस उम्रभर की एक टीस छोड़ जाता है।

पत्नी से किसी बात पर नाराज एक पति भी उसी क्षणिक आवेश में आकर रविवार को गंगा नदी में जान देने निकल पड़ता है। विकासनगर निवासी इस युवक का किसी बात को लेकर अपनी पत्नी से झगड़ा हो जाता है। वह तैश में आकर घर से निकलता है और सीधे ऋषिकेश की तरफ चल पड़ता हैं। एक गंगा घाट पर पहुंचकर वह पत्नी को वीडियो कॉल करता है और गंगा नदी में छलांग लगाने की बात कहने लगता है।

हालांकि, युवक के घर से गुस्स्से में कुछ कर गुजरने की मंशा से निकलने पर परिजन पहले ही पुलिस को सूचित कर चुके होते हैं। प्रकरण में एसओजी भी अविलंब सक्रिय हो जाती है और उसके मोबाइल की लोकेशन की ट्रेसिंग शुरू करा दी जारी है। इतने में पुलिस क्षेत्राधिकारी ऋषिकेश से एसओजी ग्रामीण को संदेश भेजा जाता है कि संबंधित युवक की लोकेशन लक्ष्मणझूला क्षेत्र में पाई जा रही है।

इस सूचना पर एसओजी प्रभारी कांस्टेबल नवनीत सिंह नेगी और वीरेंद्र गिरी को लोकेशन की तरफ रवाना करते हैं। परिजनों से युवक का फोटो और संबंधित मोटरसाइकिल की जानकारी लेकर खोजबीन शुरू कर दी जाती है। खोजबीन पर पता चलता है कि युवक की मोटरसाइकिल मुनिकीरेती पार्किंग में खड़ी है। थोड़ा आगे बढ़ने पर युवक पास के गंगा घाट पर मोबाइल पर बात करते हुए पाया गया। उसे पुलिस कर्मी बातों में उलझाते हैं और किसी तरह समझा-बुझाकर ऋषिकेश कोतवाली ले आते हैं। युवक के सकुशल मिल जाने पर परिजनों ने राहत की सांस ली और पुलिस की प्रशंसा की। अब युवक का आवेश भी ठंडा हो गया है।

यह महज एक घटना नहीं है, बल्कि जीवन और मृत्यु के बीच का ऐसा कदम है, जो आवेश में कई लोग उठा तो लेते हैं, मगर उसके परिणाम कभी भी माकूल नहीं होते। इस बात को अब युवक और उसके परिजन भी समझ रहे होंगे। लेकिन, सभी लोग इतने भाग्यशाली नहीं होते कि उन्हें अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने का मौका मिल सके। लिहाजा, अपने लिए और अपनों की खुशी के लिए गुस्से में कोई भी निर्णय लेने से पहले दस बार अवश्य सोचें।

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