06 दिन से टनल में फंसे 40 श्रमिकों को निकालने को 30 मीटर की ड्रिल पूरी
जीवन और मौत के बीच की दूरी 60 मीटर, राहत और बचाव में जुटी मशीनरी ने आधी मंजिल पूरी की
Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में ऑल वेदर रोड की निर्माणाधीन टनल में फंसे 40 श्रमिकों को किसी भी कीमत पर सुरक्षित बाहर निकालने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की मशीनरी दिन-रात जुटी है। वायु सेना के जिस मालवाहक हरक्यूलिस विमान से अत्याधुनिक ऑगर ड्रिलिंग मशीन (25 टन वजन की) लाई गई है, उसने गुरुवार से अपना काम शुरू कर दिया है। श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए ऑगर मशीन से एस्केप टनल (निकासी सुरंग) बनाई जा रही है। इसके लिए स्टील के बड़े-बड़े पाइप (एमएस पाइप) को सुरंग को बाधित करने वाले मलबे को भेदकर दाखिल करवाया जा रहा है। यह कार्य युद्धस्तर पर जारी है और अब तक एस्केप टनल 30 मीटर तक तैयार की जा चुकी है। सुरंग के भीतर भूस्खलन के चलते जहां पर 40 श्रमिक फंसे हैं, वह दूरी राहत एवं बचाव दलों से 60 मीटर की दूरी पर है। लिहाजा, इस तरह जीवन और मौत की दूरी को आधा पूरा कर लिया गया है। उम्मीद है कि सभी श्रमिकों को शनिवार तक निकाल लिया जाएगा।
यमुनोत्री राजमार्ग पर करीब 4.5 किलोमीटर की निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल 12 नवंबर की सुबह 05 बजे भूस्खलन के चलते बाधित हो गई थी। इस हादसे में 40 श्रमिक भीतर ही फंस गए। यह स्थल टनल के प्रवेश द्वार से करीब 275 मीटर आगे है। प्रकरण को गंभीरता से लेते हए न सिर्फ उत्तराखंड राज्य सरकार की मशीनरी सक्रिय हुई, बल्कि केंद्र सरकार ने भी तत्परता दिखाते हुए राहत एवं बचाव कार्यों में मोर्चा संभाला। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सीधे राहत एवं बचाव कार्य की समीक्षा कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पल-पल की खबर ले रहे हैं। इसी बीच गुरुवार को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह (रिटायर) ने भी सिलक्यारा टनल का निरीक्षण कर राहत एवं बचाव कार्य का जायजा लिया था। हालांकि, इस दौरान श्रमिकों के परिजनों और कुछ स्थानीय नागरिकों का सब्र जरूर जवाब देने लगा है। इसको लेकर मौके पर निर्माण कंपनी नवयुग और निर्माणदाई संस्था एनएचआईडीसीएल के प्रति नाराजगी भी जाहिर की गई।
ड्रिलिंग के बीच टनल में फंसे मजदूरों को ऑक्सीजन, खाना और पानी का इंतजाम
सुरंग के भीतर जिंदगी और मौत से जूझ रहे श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने के लिए एक तरफ एस्केप टनल की ड्रिलिंग में तेजी लाई जा रही है, तो दूसरी तरफ श्रमिकों को सुरक्षित रखने के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति के साथ ही खाना और पानी का भी पर्याप्त प्रबंध किया जा रहा है। विशेषकर श्रमिकों के लिए भुने चने और मुरमुरे आदि भेजे जा रहे हैं। साथ ही कुछ आवश्यक दवाओं का इंतजाम भी किया जा रहा है। उत्तरकाशी जिले की मशीनरी भी रात-दिन मौके पर डटी है। जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला के मुताबिक प्रत्येक घंटे श्रमिकों का हालचाल पूछा जा रहा है। बताया जा रहा है कि बैकअप के लिए इंदौर से एक और ऑगर मशीन को एयरलिफ्ट कराने की व्यवस्था भी की गई है।
ट्रॉली स्ट्रक्चर से निकाले जाएंगे श्रमिक
सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए अमेरिकन ऑगर मशीन से एस्केप टनल तैयार कर दिए जाने के बाद श्रमिकों को आसानी से बाहर निकलने को लेकर भी तैयारियां की जा रही हैं। इसके लिए एसडीआरएफ व एनडीआरएफ ने मॉकड्रिल की। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने कहा कि करीब 60 मीटर लंबी इस एस्केप सुरंग से जब श्रमिकों को बाहर निकाला जाएगा तो वह एक ट्रॉली स्ट्रक्चर के माध्यम से बाहर आएंगे। जिसमें सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों को एक-एक कर बाहर निकाला जाएगा। इस एस्केप सुरंग में पाइप वाली बिजली की लड़ी भी लगाई जाएगी। जो लंबी एस्केप सुरंग में लाइट का काम भी करेगी।
बोल्डर या किसी मेटल के टकराने में ड्रिलिंग में आई बाधा, अब किया समाधान
बताया जा रहा है कि किसी बोल्डर या मेटल आने के कारण ड्रिलिंग में कुछ रुकावट आ गई थी। इसके लिए ऑगर की बिड को निकालकर डायमंड बिड लगाने का कार्य किया गया। नवयुग कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर राजेश पंवार ने कहा कि भूस्खलन वाले स्थान पर दो मशीने भी दबी हुई हैं, लेकिन दोनों मशीन दोनों किनारे की ओर हैं। हालांकि, अब रुकावट को दूर कर काम दोबारा शुरू कर दिया गया है। जिस स्थान पर भूस्खलन हुआ है, उस स्थान से लेकर सुरंग के अंदर की ओर ढलान है। एस्केप सुरंग बनाने में इससे मदद मिलेगी। सुरंग बनाने में काफी आसानी होगी और तेजी से एस्केप सुरंग बनेगी। जिससे फंसे श्रमिक निकल पाएंगे।