सिलक्यारा टनल के भीतर से चटकने की जोरदार आवाज, रेस्क्यू रोका
07 दिन से टनल के भीतर फंसे 41 श्रमिकों पर भारी गुजर रहे एक-एक दिन, 03 दिन में दो ऑगर मशीन खराब, अब इंदौर से लाई गई तीसरी मशीन
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Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में ऑल वेदर रोड की निर्माणाधीन टनल में फंसे 41 श्रमिकों (एक श्रमिक और पाया गया) को सुरक्षित बाहर निकालने की उम्मीदों को निरंतर झटका लग रहा है। हालांकि, केंद्र सरकार और राज्य सरकार की मशीनरी निरंतर राहत एवं बचाव कार्यों में जुटी है। अब यह जानकारी आई है कि टनल के भीतर से चटकने की जोरदार आवाज आई है। जिससे राहत और बचाव कार्य में लगी टीम भी दहशत में आ गई। दूसरी तरफ टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए एस्केप टनल (निकासी सुरंग) बनाने को जो हाईपावर ऑगर मशीन एयरलिफ्ट कर मंगाई गई थी, उसमें भी खराबी आ गई है। इससे पहले उत्तराखंड पेयजल निगम की ऑगर मशीन भी खराब हो चुकी है। अब इंदौर से बैकअप के लिए एक और ऑगर मशीन को एयरलिफ्ट किया गया है। कुल मिलकर राहत एवं बचाव कार्यो में पल-पल नई चुनौती पेश आ रही है।
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चारधाम राजमार्ग परियोजना (आलेवदर रोड प्रोजेक्ट) की सिलक्यारा टनल में रेस्क्यू अभियान के दौरान सुरंग के अंदर तब हड़कंप मच गया, जब सुरंग के अंदर सुरंग की चट्टान के चटकने की जोरदार आवाज गूंजने लगी। आननफानन में रेस्क्यू अभियान को रोकना पड़ा। इसके चलते शुक्रवार रात से सुरंग में आवाजाही प्रतिबंधित कर दी गई। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला ने कहा कि निर्माणदाई संस्था एनएचआइडीसीएल के अधिकारियों ने सुरंग के अंदर चटकने की आवाज आने की सूचना दी है। जो वहां मौजूद सुरक्षा कर्मियों, स्थानीय पुलिस और रेस्क्यू अभियान में जुटी टीम को बड़े पैमाने पर सुनाई दी। इसको लेकर आगे के रेस्क्यू के लिए विशेषज्ञों की आपात बैठक भी बुलाई गई। सुरंग में हुई इस घटना का खुलासा तब हुआ, जब शुक्रवार की रात एनएचआइडीसीएल ने प्रेस नोट जारी किया। जिसे जिला प्रशासन के अधिकारियों ने मीडिया में प्रसारित नहीं किया गया। देर रात तक कोई जानकारी भी साझा नहीं की गई। मीडिया में हलचल तेज होने के बाद जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला ने एनएचआइडीसीएल के प्रेस नोट में दी गई जानकारी की पुष्टि की।
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सिलक्यारा टनल में पहाड़ के चटकने की जोरदार आवाज के बाद रेस्क्यू को अस्थाई तौर पर रोकना पड़ा।
एनएचआइडीसीएल के प्रेस नोट में बताया गया कि सुरंग में चटकने की आवाज से सुरंग के अंदर काम कर रही टीम में दहशत की स्थिति पैदा हुई। इससे सुरंग में अफरातफरी भी मची। घटना के बारे में परियोजना के जीएम ने बताया कि ऐसी घटनाओं के मामले में दरार पड़ती है। सुरंग निर्माण के दौरान पहले भी ऐसी स्थिति सामने आई है। सिलक्यारा सुरंग में अतीत की घटनाओं और विशेषज्ञों की राय के अनुसार सुरंग के ढहने की भी आशंका है। सिलक्यारा की ओर से सुरंग के 150 मीटर से लेकर 203 मीटर तक पाइप पुशिंग की गतिविधि बंद कर दी गई है। इस क्षेत्र में देर रात को खोज बचाव टीम ने सुरक्षा के मद्देनजर ह्यूम पाइप बिछाने का कार्य शुरू किया। इसके अलावा सुरंग में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सभी अधिकारियों और विभिन्न विशेषज्ञों की आपात बैठक बुलाई गई।
टनल में हॉरिजेंटल के साथ वर्टिकल ड्रिंलिंग के विकल्प पर भी विचार, ओएनजीसी से भी मांगी मदद
सिलक्यारा टनल में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के रेस्क्यू में खड़ी हो रही चुनौती को देखते हुए विशेषज्ञ अब हॉरिजेंटल ड्रिलिंग (वर्तमान में गतिमान) के साथ ही वर्टिकल ड्रिलिंग पर भी विचार कर रहे हैं। ड्रिलिंग के कार्यों में विशेषज्ञता रखने वाले ओएनजीसी के ड्रिलिंग टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों से भी मदद मांगी जा रही है।
मीडिया में सही जानकारी के लिए बनानी होगी पारदर्शी व्यवस्था
शुक्रवार रात की घटना के बाद व इससे पहले भी यह बात सामने आई है कि रेस्क्यू के तमाम कार्यों की जानकारी मीडिया को नहीं दी जा रही है। इससे जनता तक सही जानकारी पहुंचने में समय लग रहा है और जनता का आक्रोश भी बढ़ रहा है। लिहाजा, यह मांग उठ रही है कि रेस्क्यू की जानकारी निरंतर अंतराल पर बुलेटिन जारी कर मीडिया को दी जाए। ताकि सरकारी मशीनरी के अथक प्रयास की सही जानकारी समय पर बाहर आ सके।
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टनल में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए ड्रिल कर मलबे को भेदकर इस तरह डाले जा रहे पाइप।
पांचवें पाइप को फिट करते समय आई खराबी
हाईपावर अमेरिकन ऑगर मशीन में उस समय खराबी की बात सामने आई, जब रेस्क्यू टीम एस्केप टनल की ड्रिलिंग के लिए पांचवां पाइप जोड़ रही थी। इस समय एस्केप टनल की खुदाई 30वें मीटर के लिए की जा रही थी। जबकि, श्रमिकों के जीवन और मौत के बीच की कुल दूरी 60 मीटर की है। यानि करीब आधे सफर में काम को अस्थाई तौर पर रोकना पड़ गया। ज्ञात हो कि टनल में श्रमिक दीपावली की सुबह 09 नवंबर सुबह 05 बजे से फंसे हुए हैं। टनल के भीतर प्रवेश मार्ग से करीब 275 मीटर पर भूस्खलन के चलते मलबे से इसका बड़ा हिस्सा बाधित हो रखा है। इसी मलबे को भेदकर ऑगर मशीन से एस्केप टनल बनाने का काम गतिमान था।