Uttarakhandआपदा प्रबंधन

सिलक्यारा के सहयोगियों को अर्नोल्ड डिक्स का ‘सलाम’, जारी किया वीडियो

अंडरग्राउंड टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने साल के अंतिम समय में अभियान का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष हिस्सा रहे सभी व्यक्तियों का किया धन्यवाद

Amit Bhatt, Dehradun: हम सभी बीते साल की खट्टी-मीठी यादों को दिल में बसाकर वर्ष 2024 के स्वागत के लिए तैयार खड़े हैं। साल 2023 के सबसे बड़ी घटना का जिक्र किया जाए तो उसमें सिलक्यारा सुरंग के हादसे को भुलाया नहीं जा सकता। क्योंकि, साल के अंतिम समय में जहां एक दुखद घटना सामने आई तो उसका सुखद अंत भी देखने को मिला। सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों की जान बचाने के लिए 17 दिनों का सबसे बड़ा रेस्क्यू चलाया गया और अभियान में प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रूप से जुड़े व्यक्तियों के लिए यह कभी न भूलने वाला सबक भी बन गया। इस अभियान में एस्केप टनल (निकासी सुरंग) बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सलाहकार के रूप में बुलाए गए अंडरग्राउंड टनलिंग एक्सपर्ट ऑस्ट्रेलिया निवासी प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स का योगदान भी अहम था। वह न सिर्फ अभियान से गहरे तक जुड़े, बल्कि उन्होंने उत्तराखंड राज्य के सुदूर उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा क्षेत्र की भौगोलिक, धार्मिक और संस्कृति की रीति-नीति के अनुरूप अपने काम को अंजाम दिया। वह लोकल बिलीफ (स्थानीय आस्था) के अनुरूप भी आगे बढ़ रहे थे। साल के अंतिम समय में उन्होंने इस सबसे बड़े अभियान में उनके पीछे और साथ खड़े रहे हर एक व्यक्ति का आभार जताया है। इस आभार को एक वीडियो के रूप में उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर बुधवार को अपलोड किया।

अर्नोल्ड ने सिलक्यारा के ग्रामीण क्षेत्र का जिक्र करते हुए कहा कि अभियान को सफल बनाने में उन ग्रामीणों की भी उतनी ही भूमिका थी, जितनी कि रेस्क्यू के सीधे मोर्चे पर डटी तमाम विशेषज्ञ एजेंसियों की। विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने के लिए तकनीक के साथ लोकल बिलीफ पर भी बल दिया था। स्थानीय आस्था के प्रतीक बाबा बौखनाग के मंदिर में भी वह निरंतर पूजा-अर्चना कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि जो कुछ भी सिलक्यारा जैसे जटिल मिशन में सभी के प्रयास से किया जा सका, वह किसी चमत्कार से कम नहीं है। वीडियो में टनलिंग एक्सपर्ट उन तमाम विशेषज्ञों का आभार भी व्यक्त कर रहे हैं, जिन्होंने दूर रहकर भी रेस्क्यू को सफल बनाने के लिए कई बार अपनी सलाह दी। इस कड़ी में वह विभिन्न स्वयं सेवकों के साथ ही एस्केप टनल के लिए मैनुअल खोदाई करने वाले रैट माइनर्स का धन्यवाद भी कर रहे हैं।

साथ ही उनकी वीडियो में एक व्यक्ति ट्राली के साथ नजर आ रहा है। जिसके बारे में वह जिक्र करते हैं कि उनका नाम तो नहीं जानते हैं, लेकिन उनकी ट्राली ने एस्केप टनल की खोदाई के बाद मिट्टी को तत्काल बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाई। उस शख्स का नाम हम आपको बताते हैं, वह दिल्ली निवासी सुरेंद्र राजपूत हैं। सुरेंद्र राजपूत सिलक्यारा में रेस्क्यू की जटिलता को समझते हुए स्वयं ही अभियान से जुड़े और स्वयं सेवक के रूप में ट्राली का विकल्प सुझाने के साथ ही इसे उपलब्ध भी करा दिया। इस अहम योगदान के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रैट माइनर्स के साथ सुरेंद्र राजपूत को भी सम्मानित कर चुके हैं।

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