पतंजलि पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी, कहा देश को धोखे में रखा, शेयर 4.5 प्रतिशत से अधिक तक लुढ़का
बाजार खुलने से पहले ही पतंजलि के शेयर में दिखने लगे थे कमजोरी के संकेत, मिडकैप कंपनियों में शीर्ष नुकसान वाले शेयरों में शामिल रही पतंजलि
Amit Bhatt, Dehradun: योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि कंपनी ने भ्रामक विज्ञापन जारी कर देश को धोखे में रखा। कोर्ट ने कहा ‘आप कैसे कह सकते हैं कि आपके उत्पाद रसायन आधारित दवाओं से बेहतर हैं’, आप कैसे कह रहे हैं कि बीमारी को ठीक कर देंगे?’ आप कोर्ट को उकसा रहे हैं और निरंतर विज्ञापन प्रसारित करवा रहे हैं। इसके बाद पतंजलि कंपनी के शेयर में करीब 4.5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखने को मिली। सुबह भारतीय शेयर बाजार में जब स्टॉक्स के रेट सेटल हुए तो पतंजलि का शेयर करीब 2.5 प्रतिशत पर ओपन हुआ। इसके बाद गिरावट बढ़ती चली गई। बुधवार को दोपहर डेढ़ बजे के आसपास गिरावट और बढ़ गई और कंपनी का शेयर 70 रुपये से अधिक की गिरावट के साथ 1551 रुपये के आसपास ट्रेड कर रहा था। हालांकि, पतंजलि के शेयर में निचले स्तर से हल्की रिकवरी भी देखने को मिली।
आइए पतंजलि आयुर्वेद के प्रकरण को समझते हैं कि कंपनी की किन बातों को लेकर सुप्रीम कोर्ट नाराज है। कंपनी के विज्ञापनों को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद और आचार्य बालाकृष्णन को ‘गुमराह करने वाले’ विज्ञापनों की पब्लिशिंग में शामिल रहने के लिए कोर्ट की अवमानना का नोटिस भी जारी किया। दरअसल, कंपनी के विज्ञापन कई मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर दिखाए जाते हैं, जिसमें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का मानना है कि गलत दावे के साथ विज्ञापन चलाए जाते हैं। इसी प्रकरण की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किया और जवाब देने के कंपनी और उनके मालिक बालकृष्ण को तीन हफ्ते का समय दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट की एक-एक करोड़ रुपये जुर्माने की चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए अमानुल्लाह की बेंच ने पहले के आदेशों का पालन नहीं करने के लिए आलोचना भी की। पिछले साल कोर्ट ने कंपनी को विज्ञापनों पर रोक लगाने का आदेश दिया गया था। नवंबर महीने में ही कोर्ट ने पतंजलि से कहा था कि अगर आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो जांच के बाद कंपनी के तमाम प्रोडक्ट्स पर एक-एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
केंद्र सरकार को दिए गए मॉनिटरिंग के निर्देश
पहले के आदेशों का हवाला देते हुए बेंच ने कहा कि कोर्ट की तमाम चेतावनियों के बाद भी कहा जा रहा है कि आपकी दवाएं केमिकल-युक्त दवाओं से बेहतर हैं। कोर्ट ने आयुष मंत्रालय से सवाल भी पूछा कि आखिर कंपनी के खिलाफ विज्ञापनों को लेकर क्या कार्रवाई की गई? हालांकि, सरकार की तरफ से एएसजी ने कहा कि इस बारे में डेटा एकत्रित किया जा रहा है। कोर्ट ने केंद्र सराकार के इस जवाब पर नाराजगी जताई और कंपनी के विज्ञापनों की मॉनिटरिंग करने का निर्देश दिया।
पतंजलि के विज्ञापनों के प्रसारण पर रोक, वकील ने मांगा समय
पतंजलि आयुर्वेद से जुड़े मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संस्था के विज्ञापन प्रकाशित करने पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही पतंजलि आयुर्वेद को अवमानना का नोटिस भेजा गया है। इस दौरान पतंजलि की तरफ से वरिष्ठ वकील विपिन सांघी पेश हुए। उन्होंने जवाब में कहा कि उन्हें और समय दिया जाना चाहिए।
यह ड्रग माफिया का प्रोपेगंडा, कोर्ट का सम्मान है: बाबा रामदेव
दूसरी तरफ योग गुरु बाबा रामदेव का भी पक्ष सामने आया है। उन्होंने मीडिया को दिए बयान में कहा कि वह देश के कानून और कोर्ट का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि उनके विरुद्ध ड्रग माफिया झूठा प्रोपेगंडा कर रहे हैं। यह सब कुछ जानबूझकर किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि पतंजलि के उत्पादों के बाद बड़ी संख्या में नागरिकों को राहत मिली है। पतंजलि किसी भी तरह का झूठ नहीं फैला रही है। उनके बेहतर काम के लिए अगर डेथ पेनाल्टी भी दी जाती है तो उन्हें मंजूर है। साथ ही दावा किया कि प्रमाणों और साइंटिफिक एविडेंस के साथ वह शोध कर रहे हैं। इसी आधार पर उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं।