Amit Bhatt, Dehradun: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और इससे जुड़े संस्थान देश के रक्षा अनुसंधान की रीढ़ हैं। इस लिहाज से डीआरडीओ और इससे जुड़े सभी प्रतिष्ठान बेहद संवेदनशील माने जाते हैं। इसके बाद भी इसके ब्रह्मोस प्रतिष्ठान के भीतर बिना एंट्री के एके-47 जैसे हथियार और बम आते हैं और इंडो-रसिया सेक्रेसी जैसे दस्तावेज बाहर चले जाते हैं। यह सब होता है उस दिन, जब ब्रह्मोस के पूर्व सीईओ सुधीर मिश्रा रिटायर होकर अपना सामान साथ ले जाते हैं। इस प्रकरण के बाद उन्हें डीरडीओ की राजा रमन्ना चेयर सौंपने की तैयारी भी शुरू कर दी जाती है। हालांकि, इस प्रकरण को आपके प्रिय न्यूज पोर्टल roundthewatch.com पर कवर किए जाने के बाद चेयर पर ताजपोशी रोक दी जाती है।
फिर मामला यहीं समाप्त नहीं हो जाता है। क्योंकि, लंबे समय से एक शिकायत पर बारीकी से निगाह बनाने वाली आईबी और स्वयं ब्रह्मोस का मौजूदा प्रशासन भी खासा सक्रिय और संवेदनशील हो गया है। इसी बीच यह बात भी सामने आती है कि मामला सिर्फ संवेदनशील दस्तावेजों और 20 पेंटिंग के बाहर जाने का नहीं है। न ही बात पूर्व सीईओ के कार्यालय से एके-47 व बम व 100 बोतल विदेशी ब्रांड की शराब भी मिलने तक सीमित है। इन सबके बीच जो प्रक्रिया अपनाई गई, उस पर भी सवाल उठ रहे हैं।
अब यह बात सामने आई है कि जिस दिन रिटायरमेंट के बाद ब्रह्मोस के पूर्व सीईओ के कार्यालय से सामान बाहर गया, उस दिन वहां के सीसीटीवी कैमरे खराब पाए गए। इसे महज एक संयोग मानने को रक्षा और जांच एजेंसियों का तंत्र तैयार नहीं है। कार्यालय के एंट्रेंस वाले भाग पर एक एक्सरे मशीन भी लगी थी। सूत्रों के मुताबिक सामान को एक्सरे से तो नहीं गुजारा गया, लेकिन इस पर लगे कैमरों ने बहुत कुछ रिकॉर्ड कर लिया था। बाद में इसकी फुटेज भी निकाली गई। जिसे एक पेनड्राइव में सुरक्षित किया गया।
सूत्रों की मानें तो इस फुटेज की कॉपी ब्रह्मोस एयरोस्पेस के वर्तमान महानिदेशक (डीजी) अतुल दिनकर राने ने अपने पास रखी है, जबकि पेन-ड्राइव को डीआरडीओ के चेयरमैन डॉ समीर वी कामत को फाइल पर लगाकर भेज दी गई थी। इस फुटेज के क्रम में अब तक क्या कार्रवाई की गई है, यह बाहर आना बाकी है। फिर भी ब्रह्मोस के सीसीटीवी कैमरों का इस तरह खराब पाया जाना गंभीर जरूर है। यदि नहीं होता तो कैमरों की जिम्मेदारी उठाने वाले कार्मिक को ब्रह्मोस से बाहर का रास्ता नहीं दिखा दिया जाता।