DehradunUttarakhandराजनीति

मसूरी में मतदाता माफिया, जिला प्रशासन ने पकड़ा बड़ा फर्जीवाड़ा, अब धमकाने का ऑडियो वायरल

ग्राम प्रधान भी बने शहरी क्षेत्र के मतदाता, कैंट बोर्ड समेत नगर पालिका और गांव की सूची में भी दर्ज मिले एक ही व्यक्तियों के नाम

Amit Bhatt, Dehradun: मसूरी नगर पालिका क्षेत्र में मतदाता सूची में जो फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है, वह इस ओर इशारा कर रहा है कि निकाय चुनाव में मतदाता माफिया बुरी तरह हावी होने की जुगत में हैं। जिलाधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी सोनिका के निर्देश पर मतदाता सूची के कड़े पुनरीक्षण कार्य में मतदाता सूची में ऐसी-ऐसी गड़बड़ी सामने आ रही है कि सुनकर ही आपकी आंखें खुली रह जाएंगी। ग्राम प्रधान तक को शहरी क्षेत्र का मतदाता बना दिया गया है और कुछ लोग ऐसे भी पकड़े गए हैं, जिनके नाम मसूरी नगर पालिका के अलग-अलग वार्ड में दर्ज होने के साथ ही कैंट बोर्ड और ग्रामीण क्षेत्र की मतदाता सूची में भी दर्ज हैं। अब जिला प्रशासन ने ऐसे मतदाताओं के नाम नगर पालिका की सूची से काटने शुरू किए तो चौतरफा हड़कंप की स्थिति है। यहां तक कि मतदाताओं के फर्जीवाड़े को जिला प्रशासन तक पहुंचाने वाले व्यक्तियों को खुलेआम धमकी तक दी जा रही हैं। धमकी का एक ऑडियो इन दिनों जमकर वायरल भी हो रहा है। साथ ही दो शिकायतकर्ताओं ने इस मामले में पुलिस को तहरीर भी दी है।

मतदाता सूची में फर्जीवाड़े को लेकर उपजिलाधिकारी मसूरी डॉ दीपक सैनी संबंधित मतदाताओं को नोटिस जारी कर सुनवाई के लिए भी बुला रहे हैं। वार्डवार चल रही सुनवाई में डुप्लीकेट मतदाताओं को साफ तौर पर कहा गया है कि यदि उन्हें पालिका क्षेत्र का मतदाता बने रहना है तो उन्हें ग्रामीण क्षेत्र से अपना नाम कटवाना पड़ेगा। इसका प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए डुप्लीकेट मतदाताओं को 10 दिन का समय दिया गया है। इसके अलावा उपजिलाधिकारी मसूरी ने निर्वाचक नामावली में सुधार की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। हालांकि, इसके लिए पूर्व में जो प्रस्तावक तय किए गए थे, वह किसी अनजाने या सामने दिख रहे किसी डर के कारण आगे आने से कतराने भी लगे हैं। मतदाता माफिया की भांति काम कर रहे कुछ लोग भय का माहौल बना रहे हैं।

फिर भी इस काम के लिए उपजिलाधिकारी को किसी प्रस्तावक की जरूरत नहीं पड़ेगी। कानूनी जानकारों के मुताबिक नगर पालिका अधिनयम 1916 की धारा 12च यह कहती है कि उपजिलाधिकारी को निर्वाचक नामावली में सुधार के लिए किसी प्रस्तावक की आवश्यकता नहीं है। वह स्वतः संज्ञान लेकर भी इस काम को संपन्न कर सकते हैं। ऐसे में उन उम्मीदवारों की उम्मीद को झटका लगता दिख रहा है, जो डरा-धमकाकर मतदाता सूची में फर्जीवाड़ा करने की जुगत में लगे हैं। प्रकरण में यश गुप्ता और परमवीर खरोला नाम के दो आपत्तिकर्ताओं ने पुलिस को तहरीर भी दी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि आपत्ति की सुनवाई के दिन कुछ लोगों ने उन्हें गोली मारने और घर व दुकान को जलाने की धमकी भी दी है। इस दौरान आपत्तियों की सुनवाई के दौरान जमकर हंगामा भी हुआ और मामला कोतवाली तक भी पहुंचा।

कौन धमका रहा शिकायतकर्ता को? कौन नहीं होने देना चाहता स्वच्छ चुनाव?
इन दिनों धमकी का एक ऑडियो खूब वायरल हो रहा है। जिसमें एक व्यक्ति शिकायतकर्ता को धमका रहा है। धमकी इसलिए दी जा रही है, क्योंकि शिकायतकर्ता ने नगर निकाय की मतदाता सूची का फर्जीवाड़ा जिला प्रशासन के समक्ष उजागर किया है। धमकाने वाला व्यक्ति कह रहा है कि अपना मकान बचा लेना। आपको बता दें कि मसूरी नगर पालिका परिषद की मतदाता सूची में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। फर्जीवाड़े के कुछ उदाहरण भी आपके सम्मुख प्रस्तुत किए जा रहे हैं। जो पूरी व्यवस्था पर सवाल भी उठाते हैं। हालांकि, जिला प्रशासन बिना किसी दबाव के अपने काम में लगा है।

फर्जीवाड़े के प्रमुख उदाहरण, गंभीर है मामला
सरोज रावत धनोल्टी विधानसभा क्षेत्र में टकारना गांव की प्रधान हैं। इसके बाद भी उनका नाम मसूरी पालिका के वार्ड-07 में मतदाता के रूप में दर्ज है। इसी तरह तुनेठा गांव के प्रधान गोविंद सिंह का नाम पालिका के वार्ड-05 की मतदाता सूची में भी अंकित पाया गया है। पालिका के वार्ड-03 के मतदाता श्रीपाल रावत धनोल्टी विधानसभा के अंतर्गत घंडियाला गांव के प्रधान हैं। वहीं, सरतली की क्षेत्र पंचायत सदस्य मीनाक्षी का नाम वार्ड-06 की मतदाता सूची में दर्ज पाया गया है। गैड़ के क्षेत्र पंचायत सदस्य नरेंद्र का नाम भी शहरी मतदाता सूची में पाया गया है। ऐसे तमाम ग्रामीण भी हैं, जो गांव के साथ शहर के मतदाता भी बने बैठे हैं।

पालिका, कैंट और पंचायत तीनों जगह हैं मतदाता
जिला प्रशासन की पकड़ में आया गड़बड़झाला बताता है कि निकाय और पंचायत के चुनावों को प्रभावित करने के लिए मतदाताओं की डुप्लीकेसी का खेल चल रहा है। जानकर हैरानी होती है कि निकाय के वार्ड-07 की मतदाता सूची में दर्ज नाम रामेश्वर प्रसाद का नाम पालिका के ही वार्ड-06 के साथ लंढौर कैंट और बडोन गांव में भी अंकित है। पालिका के ही वार्ड-07 में दर्ज नाम सुशीला देवी, साहिल सागर के मामले में भी यही स्थिति पाई गई है।

होटल सेवाय के नाम पर दर्ज मतदाताओं पर सवाल
जिला प्रशासन को होटल सेवाय के नाम पर 22 व्यक्तियों की सूची मिली थी। जिन्हें होटल का कर्मचारी बताकर मतदाता सूची में नाम जोड़े गए थे। अब होटल प्रबंधन ने लिखकर दिया है कि संबंधित व्यक्ति होटल के कर्मचारी हैं ही नहीं। यह जानकारी बाहर आने के बाद मतदाताओं के साथ ही कुछ उम्मीदवारों में खलबली की स्थिति है। बताया यह भी जा रहा है कि जांच में किसी भी तरह की गंभीर अनियमितता की स्थिति में एफआइआर भी दर्ज कराई जा सकती हैं। यदि ऐसा होता है कि मतदाता सूची के फर्जीवाड़े में शामिल तमाम नाम बाहर आ जाएंगे।

दोराहे पर खड़े हैं मतदाता, उम्मीदवार साध रहे व्यक्तिगत हित
प्रशासन के सामने फर्जीवाड़ा उजागर हो जाने के बाद अब डुप्लीकेट मतदाताओं के नाम कटने का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में प्रशासन ने विकल्प दिया है कि जो लोग शहरी क्षेत्र की सूची में जुड़े रहना चाहते हैं, उन्हें अन्यत्र की सूची से 10 दिन के भीतर नाम कटवाकर प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। यदि लोग ऐसा करते हैं तो उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में मिल रही सुविधाओं से वंचित होना पड़ेगा। अधिकतर ग्रामीण मतदाता ओबीसी क्षेत्र से हैं। ऐसे में न सिर्फ उनकी मूल पहचान समाप्त हो जाएगी, बल्कि वहां मिलने वही सुविधाओं से भी हाथ धोना पड़ेगा। बताया जा रहा है कि उम्मीदवार अपना हित पूरा करने के लिए मतदाताओं को ग्रामीण क्षेत्रों से नाम कटवाने का दबाव बना रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button