DehradunUttarakhand

लोनिवि इंजीनियर की नहीं लौट रही याददाश्त, कौन देगा गंभीर सवालों के जवाब?

लापता होने के 06 दिन बाद मिले अपर सहायक अभियंता अमित चौहान अब किसी को पहचान नहीं पा रहे, इंतजार की मुद्रा में विभाग, सालभर से वेतन भी नहीं मिल पा रहा था

Amit Bhatt, Dehradun: राष्ट्रीय राजमार्ग खंड देहरादून में तैनात अपर सहायक अभियंता अमित चौहान के लापता होने और फिर अचानक मिल जाने की कहानी फिलहाल अबूझ पहेली बन गई है। क्योंकि, लापता होने के 06 दिन बाद जब वह मिले तो किसी को पहचानने की स्थिति में नहीं थे। जिसके चलते उन्हें हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में भर्ती करा दिया गया था। अभी भी उनकी मानसिक दशा में अपेक्षित सुधार नहीं दिख रहा है। ऐसे में सहायक अभियंता को ऋषिकेश में बरामद किए जाने के बाद से पुलिस उनसे कोई पूछताछ नहीं कर पाई है। उनके परिजन और खुद लोनिवि/राजमार्ग यूनिट के अधिकारी भी इंतजार की ही मुद्रा में हैं।

दरअसल, अपर सहायक अभियंता 12 मई को शाम को जब ठेकेदार राजदीप परमार के साथ देहरदून स्थित घर से निकले थे तो वह सीधे उत्तरकाशी के डुंडा पहुंच गए थे। बताया जा रहा है कि राजदीप उन्हें अपनी कंपनी राजाजी कंस्ट्रक्शन के लंबित करीब 70-75 लाख रुपये के भुगतान के सिलसिले में साथ ले गए थे। अभियंता उस रात राजदीप के होटल राजाजी के ठहरे थे। इसी रात से उनका मोबाइल भी बंद आ रहा था। लेकिन, 13 मई की सुबह वह होटल के बाहर व पास के पेट्रोल पंप के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में देखे गए थे और फिर अचानक गायब हो गए थे। जिसके बाद तमाम जगह खोजबीन के बाद 18 मई को वह ऋषिकेश में मिल गए।

अपर सहायक अभियंता अमित चौहान अचानक कैसे गायब हो गए और 18 मई की दोपहर तक वह कहां रहे, इन तमाम सवालों के जवाब की तलाश सभी को है। लेकिन, अभियंता अभी किसी को भी पहचानने की स्थिति में नहीं हैं। यह महज एक संयोग है या इसके पीछे कोई गंभीर वजह है, यह जानना भी अभी किसी चुनौती से कम नहीं है। पुलिस अपने स्तर से जांच कर रही है, लेकिन बिना बयान के अधिकारी भी हाथ बांधे खड़े हैं। उनकी स्थिति को देखते हुए फिलहाल सभी अधिक दबाव देने से बच रहे हैं। सभी को उनके अस्पताल से स्वस्थ होकर वापस लौटने का इंतजार है।

सालभर से नहीं मिल पा रहा था वेतन, न अपील और न कार्रवाई
अपर सहायक अभियंता अमित चौहान जून 2023 के आसपास उत्तरकाशी के अस्थाई खंड चिन्यालीसौड़ से ट्रांसफर होकर देहरादून आए थे। लेकिन, पूर्ववर्ती कार्यालय से एलपीसी (लास्ट पे सर्टिफिकेट) जारी न हो पाने के चलते उन्हें वेतन नहीं मिल पा रहा था। पुराने खंड ने जानबूझकर उनका वेतन जारी नहीं किया और आगे भी इसे जारी करने की अनुमति नहीं दी। बताया जा रहा है कि अभियंता की सुपुर्दगी में कई ऐसे दस्तावेज थे, जिन्हें खंड में जमा कराया जाना चाहिए था। इन अभिलेखों के चलते कार्यों के भुगतान आदि को लेकर बाधा उत्पन्न हो रही थी।

गंभीर यह भी है कि सालभर से वेतन न मिलने के कारण अभियंता ने भी कोई अपील या पत्राचार नहीं किया और चिन्यालीसौड़ खंड ने भी अपने प्रयास को वेतन रोकने तक सीमित रखा। सिर्फ बीच में इतनाभर हुआ था कि पूर्ववर्ती खंड ने अपर सहायक अभियंता के वर्तमान तैनाती स्थल राजमार्ग खंड देहरादून को पत्र लिखकर अभिलेख लौटाने को कहा था। जाहिर सी बात है कि उन अभिलेखों में कुछ तो ऐसा था, जो उनकी सेवा पर विपरीत असर डाल सकता था। वजह चाहे जो भी हो, चिन्यालीसौड़ खंड को इस प्रकरण को अपने और अभियंता तक सीमित रखने की जगह उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाना चाहिए था।

इस मामले में उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ खंड के तत्कालीन अधिकारियों की भूमिका भी संदेह में है। यदि अभियंता इस तरह लापता न होते तो शायद अभी तक भी यह बात बाहर नहीं आ पाती कि खंड कार्यालय से कई अभिलेख गायब हैं। न ही यह बाहर आ पाता कि किसी अभियंता को इन अभिलेखों के चलते सालभर से वेतन नहीं मिल पा रहा है। बहुत संभव है कि लोक निर्माण विभाग चिन्यालीसौड़ खंड के अभिलेखों और वहां के भुगतान के मसलों को लेकर एक पृथक जांच शुरू कर सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button