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एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज के एचओडी और 02 प्रोफेसर पर एफआईआर

पीडियाट्रिक्स के पीजी छात्र दिवेश गर्ग की आत्महत्या के मामले में पिता रमेश चंद गर्ग की तहरीर पर पटेलनगर पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा

Amit Bhatt, Dehradun: एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज के एमडी के छात्र डॉ दिवेश गर्ग (पीजी चिकित्सक) की आत्महत्या के मामले में पुलिस ने पीडियाट्रिक्स विभाग के एचओडी उत्कर्ष शर्मा, प्रोफेसर आशीष सेठी और प्रोफेसर बिंदु अग्रवाल पर मुकदमा दर्ज किया है। इन पर छात्र दिवेश को प्रताड़ित कर आत्महत्या के लिए विवश करने का आरोप है। यह आरोप मृतक छात्र के पिता पलवल हरियाणा निवासी रमेश चंद गर्ग ने लगाए हैं। उनकी तहरीर पर ही पटेलनगर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है।

मृतक पीजी चिकित्सक डॉ दिवेश के पिता ने पुलिस को दी तहरीर में कहा कि उनके बेटे दिवेश (27 वर्ष) का दाखिला एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज में सितंबर 2023 में कराया गया था। जिसके लिए तत्काल फीस के रूप में 37.95 लाख रुपए जमा कराए गए थे। अक्टूबर 2023 से उनके बेटे ने कॉलेज में पढ़ाई शुरू कर दी थी। तहरीर में लगाए गए आरोप के मुताबिक कुछ समय बाद ही एचओडी उत्कर्ष शर्मा, प्रोफेसर आशीष सेठी और प्रोफेसर बिंदु अग्रवाल व प्रबंधक कमेटी ने दिवेश का उत्पीड़न शुरू कर दिया था।

रमेश चंद गर्ग के मुताबिक 104 डिग्री के बुखार के बाद भी उनके बेटे से 36-36 घंटे काम कराया गया और ढंग से सोने तक नहीं दिया गया। रमेश चंद के मुताबिक उनके बेटे ने बीच में एक-दो बार यह बात उन्हें बताई भी, लेकिन उन्होंने इसे अधिक गंभीरता से नहीं लिया। दिसंबर 2023 में उनके बेटे ने दोबारा उन्हीं बातों को दोहराते हुए कहा कि उक्त लोग उसे मानसिक रूप से बहुत परेशान कर रहे हैं। तब दिवेश ने कहा था कि उसे यहां से ले जाओ, लेकिन रमेश चंद ने कहा कि वह कॉलेज/विश्वविद्यालय आ रहे हैं और प्रिंसिपल सर व एचओडी से बात करेंगे।

इस बातचीत के अगले दिन रमेश चंद अपने भतीजे भूपेश गर्ग के साथ कॉलेज पहुंचे और प्रिंसिपल आरके वर्मा के साथ ही एचओडी उत्कर्ष शर्मा से भी मिले। तब दोनों ने आश्वासन दिया कि दिवेश को भविष्य के कोई परेशानी नहीं होगी। उस आश्वासन के बाद रमेश अपने भतीजे के साथ लौट आए। 17 मई 2024 को उनके बेटे का कॉल आया और रोते हुए कहा कि एचओडी उत्कर्ष ने दूसरी बार उसकी थीसिस रिजेक्ट कर दी है। पास करने के लिए उससे 05 लाख रुपए की मांग करने का आरोप भी तहरीर में लगाया गया है।

पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत में रमेश चंद ने यह भी उल्लेख किया है कि कॉलेज कैंपस में दिवेश को मरीजों के सामने गाली दी गई और उसका अपमान किया गया। तब दिवेश ने पिता को बताया कि उसे यहां से ले जाओ, नहीं तो वह आत्महत्या कर लेगा। इसके बाद 17 मई को रात 9.45 पर उन्हें एचओडी डॉ उत्कर्ष का कॉल आया और उन्होंने दिवेश के इमरजेंसी में भर्ती होने की जानकारी दी। जबकि रात करीब 10.40 पर जब उन्होंने एचओडी को कॉल किया तो शव को मोर्चरी में रखवाने की जानकारी दी गई।

साक्ष्य मिटाने का भी आरोप
तहरीर में दिवेश के पिता ने आरोप लगाते हुए कहा कि छात्रों ने उन्हें बताया कि घटना वाली रात दिवेश के कमरे की लाइट बंद करवाकर 15-20 मिनट सफाई करवाई गई। आरोप लगाया गया कि इस कृत्य में साक्ष्यों को नष्ट किया गया है। तहरीर में दर्ज इन आरोपों के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। उधर, पुलिस उस वीडियो की पड़ताल भी शुरू कर सकती है, जो दिवेश की मौत के बाद आक्रोशित छात्रों के कॉलेज प्रबंधन के साथ वार्तालाप के दौरान बनाई गई थी। इसमें छात्र गंभीर आरोप लगाते हुए तमाम बातों का उल्लेख कर रहे हैं।

कालेज प्रबंधन ने मामले की निष्पक्षता से जांच की मांग की
श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज के प्राचार्य ने एसएसपी को पत्र लिखकर पीजी डाक्टर दिवेश गर्ग की खुदकुशी मामले में निष्पक्षता से जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि डाक्टर दिवेश के सभी मोबाइल फोन की कॉल, व्हाट्सएप कॉल डिटेल व व्हाट्सएप चैट की जांच जाए। डॉ दिवेश के निजी फेसबुक अकाउंट, इंस्टाग्राम व अन्य इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म की भी जांच हो। इसके साथ ही डॉ दिवेश के परिजनों के मोबाइल नंबरों, दोस्तों व कालेज के साथियों की कॉल डिटेल, व्हाट्सएप कॉल डिटेल व चैट्स की भी जांच की जाए।

क्योंकि, डॉ दिवेश के पिता ने पुलिस को दी तहरीर में स्वयं इस बात की जानकारी दी है कि दिवेश ने उनसे 17 मई 2024 की सुबह 10 बजे फाेन कर आत्महत्या की बात बताई थी। इसके अलावा कहा गया कि श्री महंत इंदिरेश अस्पताल की इमरजेंसी के लैंडलाइन नंबर पर एक फाेन आया, जिसने स्वयं का परिचय डा. दिव्या के रूप में दिया और डा. दिवेश की महिला मित्र बताया। डा. दिव्या दिवेश की इमरजेंसी में हालत जानना चाहती थी और उसके कथनानुसार डा. दिवेश गर्ग के नियमित संपर्क में थी। लिहाजा, इन सभी बातों का समावेश करते हुए जांच की जानी चाहिए।

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