बुरे फंसे जल जीवन के ठेकेदार, मार्च से अटके 2000 करोड़
ठेकदारों को नहीं हो पा रहा भुगतान, 80 से 95 प्रतिशत तक काम भी हो चुके पूरे

Amit Bhatt, Dehradun: जल जीवन मिशन के काम रहे ठेकदारों की हलक में जान है और जेबें सूखी। एक तरफ उन पर काम पूरे करने का दबाव है तो दूसरी तरफ वह पाई पाई को मोहताज हो रहे हैं। मार्च 2024 से ठेकेदारों को भुगतान ही नहीं किया गया है और यह आंकड़ा 2000 करोड़ रुपए को पार कर गया है। आगे कुंआ और पीछे खाई की स्थिति के खड़े देव भूमि जल शक्ति कांट्रेक्टर वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़े ठेकेदारों ने रविवार को अपनी पीड़ा बयां की।

रविवार को हरिद्वार बाईपास रोड स्थित एक होटल में पत्रकारों से रूबरू देव भूमि जल शक्ति कांट्रेक्टर वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अमित अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर घर तक नल पहुंचाने की मुहिम को ठेकदारों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन ने दिन रात काम कर आगे बढ़ाया। लेकिन, दूसरी तरफ वन भूमि हस्तांतरण में विलंब और जलाशयों के निर्माण में भूमि की समय पर उपलब्धता न होने से कार्य लेट होते चले गए। धरातलीय वस्तुस्थिति को प्रगति रिपोर्ट में दर्ज नहीं किया गया। जिसके कारण ठीकेदारों को भुगतान नहीं किया जा रहा है। इससे वित्तीय प्रगति बुरी तरह प्रभावित हो गई है।
जिसका सीधा असर ठेकेदारों पर पड़ रहा है। क्योंकि, अधिकारी उन पर काम पूरा करने का निरंतर दबाव बना रहे हैं। ठेकेदारों की वित्तीय स्थिति को लेकर अधिकारी उपेक्षा का भाव दिखा रहे हैं। बिगड़ती वित्तीय स्थिति के कारण ठेकेदार श्रमिकों, स्टाफ, मशीनरी और वेंडरों का भुगतान करने में भी असमर्थ हो गए हैं। क्योंकि, मार्च 2023 से जल जीवन मिशन का भुगतान बंद है। यह राशि 2000 करोड़ रुपए से अधिक पहुंच गई है। पत्रकार वार्ता में सचिन मित्तल, सूरत राम शर्मा, सुल्तान सिंह पवार, सुनील गुप्ता, सौरभ गुप्ता, संदीप मित्तल, शैलेंद्र मोहन भगत आदि उपस्थित रहे।
मिशन के 80 से 95 प्रतिशत तक काम पूरे
कांट्रेक्टर एसोसिएशन से जुड़े ठेकेदारों ने कहा कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत ठेकदार 80 से 95 प्रतिशत तक कम पूरे चुके हैं। इसके बाद भी भुगतान न किए जाने से ठेकेदार खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। एसोसिएशन के अध्यास अमित अग्रवाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रकरण में हस्तक्षेप कर भुगतान प्रक्रिया शुरू कराने की मांग की।
जनता का आक्रोश भी ठेकदारों को झेलना पड़ रहा
एसोसिएशन अध्यक्ष अमित अग्रवाल ने कहा कि जो कार्य अधूरे हैं, उनमें नलों में पानी न आने और सड़कों की भराई न होने के प्रकरण भी शामिल हैं। इससे जनता के आक्रोश का सामना भी ठेकेदारों को ही करना पड़ रहा है। इस समय सभी ठेकदार खुद को दोराहे पर खड़ा पा रहे हैं और उनकी स्थिति नाजुक हो चुकी है।
टीपीएस और सिक्योरिटी भी मनमर्जी से काटी जा रही
ठेकेदारों ने कहा कि उत्तराखंड में थर्ड पार्टी इवेल्यूएशन(टीपीई) और सिक्योरिटी के नाम पर मनमर्जी की कटौती भुगतान से की जा रही है। 10 से 20 प्रतिशत की ऐसी कटौती उत्तर प्रदेश में नहीं है। इसको लेकर निरंतर वार्ता भी की गई, पार बात नहीं बनी। इन सबको मिलाकर अभी तक भुगतान की बात की जाए तो आंकड़ा 50 प्रतिशत के करीब सिमटा है।