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बिग ब्रेकिंग: शराब की ओवररेटिंग पर लाइसेंस होगा निरस्त, शराब के दाम भी नहीं बढ़ेंगे

कैबिनेट ने पास की आबकारी नीति 2025-26, राजस्व लक्ष्य बढ़कर 5060 करोड़ हुआ

Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड की आबकारी नीति 2025-26 पर राज्य कैबिनेट ने मुहर लगा दी है। आगामी वित्तीय वर्ष के लिए 5060 करोड़ रुपए का राजस्व लक्ष्य तय किया गया है। नई नीति में धामी सरकार ने शराब की ओवररेटिंग पर करारी चोट की है। शराब की ओवररेटिंग पर दुकान का लाइसेंस निरस्त करने का प्राविधान शामिल किया गया है। साथ ही डिपार्टमेंटल स्टोर/मॉडल शॉप को भी एमआरपी के दायरे में लाया गया है। वहीं, सरकार की मंशा है कि राजस्व प्राप्ति के लिए शराब के दाम लगभग यथावत रखे जाएंगे। हालांकि, एमआरपी पर वास्तविक निर्णय कंपनियों की ओर से ईडीपी (एक्स डिस्टिलरी प्राइस) देने पर किया जाएगा।

आबकारी नीति में तय किए गए राजस्व लक्ष्य का करीब 06 प्रतिशत दुकानों से प्राप्त किया जाएगा, जबकि करीब 03 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी से मिलेंगे। बाकी राजस्व इंपोर्ट फीस, डिस्टिलरी, बॉटलिंग आदि से वसूल किया जाएगा। इस नीति में राजस्व का लक्ष्य करीब 14 प्रतिशत बढ़ाया गया है। ऐसे में शराब कोटा करीब 04 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। आबकारी नीति के प्रमुख प्राविधान निम्नवत दिए जा रहे हैं।

पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड। फाइल फोटो

 

मद्यनिषेध क्षेत्र में प्रतिबंध
जनसंवेदनाओं को राजस्वहित से सर्वोपरि रखते हुए एवं धार्मिक क्षेत्रों की पूरे विश्व में विशेष महत्ता के दृष्टिगत मद्य निषेध क्षेत्र एवं उसके निकटवर्ती संचालित मदिरा की बिक्री करने वाले अनुज्ञापनों को बंद किए जाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है।

उप-दुकान की व्यवस्था का समापन
आबकारी नीति-2025 में वित्तीय वर्ष में वर्तमान संचालित उप दुकानों/Sub Shops की व्यवस्था को समाप्त किया गया है।

एचसी सेमवाल, आबकारी आयुक्त (उत्तराखंड)

मैट्रो मदिरा बिक्री व्यवस्था का समापन
नई नीति में राज्य में संचालित मैट्रो मदिरा बिक्री व्यवस्था को पूर्णतः समाप्त कर दिया गया है, जिससे व्यवसाय पारदर्शी रहे एवं उपभोक्ताओं को नियंत्रित एवं सुव्यवस्थित सेवाएँ उपलब्ध हो सकें।

ओवररेटिंग पर लाइसेंस निरस्त का प्रावधान
सरकार ने ओवररेटिंग की शिकायत पर सख्त कार्रवाई करते हुए मदिरा दुकानों के लाइसेंस रद करने का निर्णय लिया है। इस कदम से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा को प्राथमिकता देते हुए, अनियमित वसूली पर प्रभावी रोक लगाई जा सकेगी। इससे पहले बार बार ओवररेटिंग पर भी सिर्फ अधिकतम जुर्माने की व्यवस्था थी।

डिपार्टमेंटल स्टोर पर भी लागू होगी MRP
वर्ष 2013 में लागू की गई डिपार्टमेंटल स्टोर नियमावली के अंतर्गत इन प्रतिष्ठानों को मनमाने दाम वसूलने की लगभग असीम छूट प्राप्त थी। वर्तमान सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों को सर्वोपरि रखते हुए, डिपार्टमेंटल मेंटल स्टोर्स में अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) को अनिवार्य कर दिया है। साथ ही, ओवररेटिंग की शिकायत पर लाइसेंस निरस्त करने का प्रावधान भी लागू किया गया है, जिससे उपभोक्ता शोषण पर प्रभावी रोक लगाई जा सके।

राजस्व लक्ष्य एवं उपलब्धियों
वित्तीय वर्ष 2023-24 में निर्धारित 4000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के विरुद्ध 4038.09 करोड़ रुपये का आबकारी राजस्व अर्जित किया गया। वित्तीय वर्ष 2024-25 हेतु 4439 करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित है. जिसके सापेक्ष वर्तमान सक लगभग 4000 करोड़ रुपये की प्राप्ति हो चुकी है। आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए वित्त विभाग, उत्तराखण्ड शासन द्वारा 5060 करोड़ रुपये का आबकारी राजस्व लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसे प्राप्त करने हेतु विभाग निरंतर प्रयासरत रहेगा।

द्विवर्षीय वित्तीय अवधि हेतु व्यवस्था
शराब व्यवसाय से जुड़े उत्तराखंड मूल एवं स्थायी निवासियों के विगत वर्षों में आर्थिक हानि के दृष्टिगत प्रस्तावित आबकारी नीति विषयक नियमावली, 2025 में आगामी दो वित्तीय वर्ष (2025-26 एवं 2026-27) के लिए मदिरा दुकानों के व्यवस्थापन हेतु नवीनीकरण का प्रावधान सम्मिलित है।

प्रदेशवासियों को प्राथमिकता
मदिरा व्यवसाय में प्रदेश के मूल एवं स्थायी निवासियों को प्राथमिकता दी गई है, जिससे राज्य के नागरिकों को स्वरोजगार एवं आर्थिक संबल प्राप्त हो सके।

दुकान आवंटन की प्रक्रिया
उत्तराखंड आबकारी नीति विषयक नियमावली 2025 के अंतर्गत मदिरा दुकानों का व्यवस्थापन नवीनीकरण उपरांत लॉटरी, प्रथम आवक प्रथम पावक तथा अधिकतम ऑफर जैसी पारदर्शी प्रक्रियाओं द्वारा किया जाएगा। मदिरा दुकानों के आवंटन की समस्त व्यवस्था पूर्व वर्ष के समान ही रहेगी।

पर्वतीय अंचल में वाइनरी को प्रोत्साहन
पहले पर्वतीय क्षेत्रों के कृषकों एवं बागवानों को अपनी उपज के लिए उपयुक्त बाजार न मिलने से भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता था। अब राज्य में उत्पादित फलों से बाइन तैयार करने वाली इकाइयों (वाइनरी) को अगले 15 वर्षों तक आबकारी शुल्क इत्यादि से मुक्त रखने का प्रावधान किया गया है। यह कदम न केवल कृषि एवं बागवानी को मजबूती देगा, बल्कि किसानों को आर्थिक सुरक्षा भी प्रदान करेगा।

निवेश हेतु निर्यात शुल्क में रियायत
राज्य में मदिरा उद्योग में निवेश को प्रोत्साहित करने हेतु निर्यात शुल्क (एक्सपोर्ट ड्यूटी) में कटौती की गई है, जिससे नवीन औद्योगिक इकाइयों की स्थापना संभव हो एवं प्रदेश में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसरों के साथ राजस्व में वृद्धि हासिल हो।

पर्वतीय अंचल में उद्योग संवर्धन
माल्ट एवं स्प्रिट उद्योगों को पर्वतीय अंचलों में आसानी से स्थापित करने हेतु विशेष सुविधाओं एवं अनुकूल प्रावधानों को शामिल किया गया है।

थोक मंदिरा अनुज्ञापन में राज्य निवासियों को लाभ
विगत वर्ष की भांति मदिरा निर्माता कंपनियों के स्थान पर उत्तराखण्ड राज्य के मूल एवं स्थायी निवासियों को थोक मदिरा अनुज्ञापन जारी किए जाने की व्यवस्था जारी रहेगी।

आसवनी इकाई एवं स्थानीय कृषि उत्पाद
प्रदेश में स्थापित आसवनी इकाइयों (डिस्टिलरी) को स्थानीय कृषि एवं बागवानी उत्पादों का प्रयोग करने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि किसानों को सीधा लाभप्रद हो और उनकी आय में बढ़ोतरी हो सके।

जागरुकता एवं जिम्मेवार मदिरा सेवन
आबकारी नीति-2025 में मदिरा के दुष्प्रभाव एवं रिस्पॉन्सिबल किसान को जागरूक बनाने के लिए में अनुशासित मदिरा सेवन के प्रतिकरण हो।

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