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उत्तराखंड में बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा, 03 फर्मों ने 2.78 करोड़ रुपये का टैक्स किया हजम

सेंट्रल इंटेलिजेंस यूनिट ने देहरादून, चंबा और रुद्रपुर में की छापेमारी, सामने आया फर्जी बिलों से आईटीसी हड़पने का मामला

Amit Bhatt, Dehradun: 31 मार्च को वित्तीय वर्ष की समाप्ति हो रही है। इससे पहले राज्य कर (स्टेट जीएसटी) विभाग अधिक से अधिक टैक्स जमा कराने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा है। खासकर कर चोरों की कुंडली बांची जा रही है। क्योंकि, जीएसटी लागू होने के बाद ऐसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसमें कारोबारी फर्जी खरीदकर दिखाकर उस पर अदा किए गए फर्जी जीएसटी को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के रूप में प्राप्त कर दे रहे हैं। राज्य कर विभाग मुख्यालय की सेंट्रल इंटेलिजेंस यूनिट (सीआईयू) ने देहरादून, चंबा और रुद्रपुर की 03 फर्मों पर छापा मारा। ये फर्में अपनी कर देता को फर्जी आईटीसी से समायोजित कर रही थीं। इस तरह तीनों फर्मों ने सरकार को 2.78 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया। हालांकि, अधिकारियों की जांच के बाद फर्मों ने मौके पर 66.1 लाख रुपये जमा कराए हैं।

सीआईयू (मुख्यालय) ने आयुक्त राज्य कर डॉ अहमद इकबाल के निर्देश पर वर्क कांट्रेक्ट से जुड़ी फर्मों के ई-वे बिल और जीएसटी पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों की जांच की। पता चला कि संबंधित फर्म कारोबार के मुकाबले या तो बेहद कम कर जमा कर रही हैं या उसका समायोजन आइटीसी से कर रही हैं। ये फर्में ऐसे प्रतिष्ठानों से माल की खरीद दिखा रही थीं, जिनका कोई खरीद बैकअप नहीं है। साथ ही ये फर्में ऐसी वस्तुओं/सेवाओं की आपूर्ति कर रही थीं, जिसमें वे पंजीकृत ही नहीं हैं। जिन वाहनों से ईवे बिल बनाए गए, उन्होंने संबंधित टोल प्लाजा को भी पार नहीं किया। वह किसी और रुट पर पाए गए।

प्राथमिक रूप से फर्जी आइटीसी से 2.78 करोड़ रुपए की कर चोरी पाई गई। कार्रवाई के बाद संबंधित फर्मों से मौके पर 66.1 लाख रुपए जमा कराए गए। अवशेष राशि की वसूली भी शीघ्र की जाएगी। कार्रवाई करने वाली टीम में उपायुक्त विनय पांडे, निखिलेश श्रीवास्तव, विनय ओझा, सहायक आयुक्त योगेश रावत, मनमोहन असवाल, रजनीकांत शाही, राज्य कर अधिकारी ईशा, गजेंद्र भंडारी, शैलेंद्र चमोली, हेमा नेगी आदि शामिल रहे।

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