Amit Bhatt, Dehradun: प्रदेश सरकार की पहली ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण को लेकर चुनौतियों का अंत होता नहीं दिख रहा। 274 करोड़ रुपये की जिस बिल्डिंग के निर्माण का अनुबंध करीब दो साल पहले जनवरी 2022 में किया गया था, उसकी अब तक नींव तक नहीं डाली जा सकी है। अब परियोजना में डबल बेसमेंट और दो अतिरिक्त फ्लोर का प्रविधान किया गया तो लागत में 78 करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी का अंदेशा पैदा हो गया है। क्योंकि, कार्यदाई संस्था केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने नई दर पर काम करने की बात कही है। फिलहाल, किसी भी निर्णय से पहले मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु ने स्मार्ट सिटी कंपनी को परियोजना के एग्रीमेंट की शर्तों की समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं।
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण का अनुबंध कार्यदाई संस्था केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने कश्यपी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी के साथ जनवरी 2021 में कर दिया था। हालांकि, तब यह स्पष्ट नहीं था कि ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण कलेक्ट्रेट परिसर के पुराने भवनों को ढहाकर किया जाएगा या हरिद्वार रोड स्थित परिवहन निगम की क्षेत्रीय कार्यशाला की भूमि पर। इसको लेकर लंबी कसरत की गई और अंत में तय किया गया कि ग्रीन बिल्डिंग परिवहन निगम की भूमि पर ही बनाई जाएगी। करीब ढाई माह पहले स्मार्ट सिटी कंपनी ने परिवहन निगम की भूमि पर बेसमेंट की खोदाई के साथ निर्माण शुरू करवा दिया था। फिर यह प्रस्ताव तैयार कराया गया कि शहर में बढ़ रही पार्किंग की समस्या को देखते हुए बिल्डिंग में एक बेसमेंट की जगह दो बेसमेंट बनाए जाने चाहिए। इसके अलावा छह फ्लोर की बिल्डिंग की जगह आठ फ्लोर तैयार करने का निर्णय लिया गया। लेकिन, इस काम में सबसे बड़ी अड़चन यह आ रही कि इसमें बिल्डिंग की लागत में वर्तमान दर के आधार पर 78 करोड़ रुपये का इजाफा हो जाएगा।
लिहाजा, किसी भी प्रस्ताव पर आगे बढ़ने से पहले ग्रीन बिल्डिंग में किए गए अतिरिक्त प्रविधान को हाई पावर कमेटी (एचपीसी) के पास भेजा गया। मुख्य सचिव (एचपीसी के अध्यक्ष) डॉ एसएस संधु ने यह कहते हुए प्रस्ताव को लौटा दिया कि पहले इसे स्मार्ट सिटी कंपनी की बोर्ड बैठक से पास कराया जाए। प्रस्ताव को बोर्ड से पास कराने के बाद अब एचपीसी के सम्मुख रखा गया। मुख्य सचिव ने तमाम बिंदुओं पर गौर करने के बाद पाया कि वर्तमान दर पर काम कराने के चलते लागत में अत्यधिक बढ़ोतरी हो रही है। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से विचार-विमर्श करने के बाद आकलन किया गया कि पुरानी दरों पर ही काम कराए जाने की दशा में लागत में 78 करोड़ रुपये की जगह 38 करोड़ का ही इजाफा होगा।
मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु ने फिर सवाल उठाया कि किसी भी बात पर आगे बढ़ने से पहले ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण को लेकर कराए गए अनुबंध का भलीभांति अध्ययन कर लिया जाए। ताकि भविष्य में इस्टीमेट में संशोधन की नौबत न आए। उन्होंने इसकी जिम्मेदारी अपर सचिव लोनिवि विनीत कुमार को दी। फिलहाल इसी कशमकश के बीच परियोजना का निर्माण अस्थाई तौर पर बंद चल रहा है।
अनुबंध की शर्तों पर मंथन शुरू
मुख्य सचिव के निर्देश के क्रम में स्मार्ट सिटी कंपनी के अधिकारियों ने मंगलवार को केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ अनुबंध पर चर्चा की। अनुबंध की शर्तों पर स्थिति स्पष्ट कर दिए जाने के बाद इसे अपर सचिव लोनोवि विनीत कुमार के सुपुर्द किया जाएगा। जब सभी बातों का समाधान हो जाएगा, तब प्रस्ताव को दोबारा एचपीसी के समक्ष रखा जाएगा।
अतिरिक्त बेसमेंट से यह होगा फायदा
ग्रीन बिल्डिंग न सिर्फ जनता से जुड़े लगभग सभी जिला स्तरीय कार्यालयों को एक छत के नीचे लेकर आएगी, बल्कि तमाम कार्यों के लिए जनता को शहरभर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। इससे पार्किंग की समस्या भी कुछ हद तक दूर होगी। पार्किंग पर विशेष फोकस करते हुए बिल्डिंग में एक बेसमेंट की जगह दो बेसमेंट बनाने का निर्णय लिया गया है। पूर्व में इसकी लागत 274 करोड़ रुपये थी, जो अब 38 से 78 करोड़ रुपये के बीच बढ़ सकती है। हालांकि, इस अतिरिक्त खर्च के साथ 500 से 600 वाहनों के लिए पार्किंग की और जगह मिल जाएगी। और अतिरिक्त फ्लोर का भी फायदा मिल सकेगा।
परियोजना पर एक नजर
लागत, अनुमानित 274 करोड़ रुपये (संशोधन प्रस्ताव शामिल नहीं)
कुल तल, छह से आठ
निर्माण क्षेत्रफल, 06 हजार वर्गमीटर
भूखंड क्षेत्रफल, 19 हजार वर्गमीटर
कार्यदाई संस्था, केंद्रीय लोनिवि
निर्माण कंपनी, कश्यपी इंफ्रास्ट्रक्चर
कार्य पूरा करने की अवधि, 21 माह में (फिलहाल इस पर असमंजस)
ग्रीन बिल्डिंग की विशेषता
-1000 से 1200 के बीच वाहनों की पार्किंग मिलेगी
-100 किलो लीटर डेली (केएलडी) क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनेगा
-500 व्यक्तियों की क्षमता का सेमिनार हाल बनेगा
-बिल्डिंग ऊर्जा दक्ष होगी और रेन वाटर हार्वेस्टिंग के पुख्ता इंतजाम होंगे।