Amit Bhatt, Dehradun: प्रचार सामग्री की आपूर्ति करने वाली फर्म ने राज्य के सूचना एवं लोक संपर्क विभाग से 18 करोड़ रुपये का भुगतान तो प्राप्त किया, लेकिन जब कर जमा करने की बारी आई तो चोरी के तरीके खोज लिए। इस फर्म ने कर हजम करने के लिए दिल्ली की बोगस फर्मों से माल की फर्जी खरीद दिखाई। इस फर्जी खरीद पर आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) के रूप में 1.72 करोड़ रुपये अवैध तरीके से विभाग से उल्टे प्राप्त कर लिए। जब फर्म की जांच की गई तो पता चला कि फर्म ने सिर्फ 30 लाख रुपये का कर जमा कराया है, लेकिन इसके बदले 1.72 करोड़ रुपये का आइटीसी अब तक फर्जी ढंग से प्राप्त भी कर लिया था।
राज्य कर (स्टेट जीएसटी) विभाग के उपायुक्त विनय पांडे, सहायक आयुक्त मनमोहन असवाल, टीका राम चन्याल की टीम ने आयुक्त डा अहमद इकबाल व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर फर्म की रेकी करने के साथ ही गोपनीय जांच भी की। साथ ही रिटर्न के डाटा का गहन विश्लेषण भी किया गया। राज्य कर विभाग के अधिकारियों ने पाया कि फर्म ने सूचना एवं लोक संपर्क विभाग से 18 करोड़ रुपये का भुगतान प्राप्त करने के बाद भी महज 30 लाख रुपये का टैक्स अदा किया है। इसके साथ ही टैक्स बचाने के लिए जो फर्जी खरीद और उस पर टैक्स जमा किया जाना दिखाया, उसके बदले विभाग से 1.72 करोड़ रुपये उल्टे आइटीसी (इनपुट टेक्स क्रेडिट) के रूप में प्राप्त कर लिए।
अधिकारियों ने जब गहनता से प्रकरण का परीक्षण किया तो यह बात सामने आई कि दून की फर्म ने जीएसटी चोरी के उद्देश्य से दिल्ली की कुकह फर्मों से फर्जी खरीद दिखाई है। दिल्ली की फर्मों की जांच में यह बात भी सामने आई कि जिनसे फ्लैक्स की खरीद दिखाई गई है, वह तो टायर का कारोबार करती हैं। इन फर्मों के पास इनवॉइस के मुताबिक बेचे गए माल का कोई प्रमाण था ही नहीं। साथ ही दून की फर्म के किसी वाहन ने माल के परिवहन के लिए संबंधित टोल प्लाजा को भी पार नहीं किया था। इससे स्पष्ट हो गया यह सब कुछ टैक्स चोरी के लिए किया गया है। दूसरी तरफ फर्म के घोषित स्थल पर किसी तरह का कारोबार भी होता नहीं पाया गया। हालांकि, कर चोरी पकड़े जाने की स्थिति में फर्म स्वामी ने 33.20 लाख रुपये मौके पर ही जमा करा दिए और शेष राशि शीघ्र जमा कराने का भरोसा दिलाया है। कार्रवाई करने वाली टीम में राज्य कर अधिकारी असद अहमद, अलीशा बिष्ट, ईशा, गजेंद्र सिंह भंडारी, शैलेंद्र चमोली, निरीक्षक हेमा पुंडीर आदि शामिल रहे।
बोगस बिल देने वाली दिल्ली की फर्में खुद भी बोगस
राज्य कर अधिकारियों की जांच में दिल्ली की फर्मों की कलई भी खुल गई। जिन फर्मों ने स्वयं टायर का कारोबार दिखाते हुए फ्लैक्स आदि के बिल दून की फर्म को दिए थे, वह भी फर्जी निकलीं। क्योंकि, ये फर्में टायर का कारोबार भी फर्जी फर्मों के माध्यम से कर रही थीं। यानी कि फर्जीवाड़े की यह जड़ें एक नेटवर्क के रूप में जुड़ी हैं।
हरिद्वार में भी छापेमारी, जमा कराए गए 20 लाख
राज्य कर विभाग की विशेष अनुसंधान शाखा हरिद्वार ने विभिन्न फर्मों पर कार्रवाई करते हुए 20 लाख रुपये का कर जमा करवाया। शेष राशि की वसूली अर्थदंड और ब्याज के साथ करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
बोगस बिलिंग और फर्जी इनपुट का लाभ उठाकर कर चोरी करने वाली फर्मों को चिह्नित किया जा रहा है। सभी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए हैं। साथ ही करदाताओं से अपील की गई है कि वह समय से रिटर्न दाखिल करते हुए कर जमा कराएं। यदि किसी तरह की तकनीकी अड़चन पेश आ रही है तो हेल्पलाइन नंबर 1800120122277 पर संपर्क किया जा सकता है।