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2686 करोड़ दांव पर, इंजीनियर ने ही उठाए सीवरेज प्रोजेक्ट पर सवाल

देहरादून सीवरेज प्रोजेक्ट के हाल पर अब तक की सबसे बड़ी कवरेज, विवेकानंद एन्केल्व में दोबारा उधेड़ी जाने लगी सड़क, जानिए क्या हुई चूक

Amit Bhatt, Dehradun: राजधानी देहरादून में सड़कों पर खुदाई का एक अंतहीन सिलसिला सा चल पड़ा है। विकास और भविष्य की सुविधाओं के नाम पर नागरिक इसे बर्दाश्त भी कर सकते हैं। बशर्ते प्रत्येक काम सलीके से किए जाएं। लेकिन, यहां तो जिस सड़क को सालभर पहले खोदा गया है, उसके हाल अब भी जस के तस हैं या और बदतर हो चुके हैं। बात सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है, क्योंकि अब सवाल सड़कों की बदहाली का सबब बनी सीवरेज परियोजना के भविष्य को लेकर भी उठने लगे हैं। यह सवाल स्वयं एक इंजीनियर ने उठाए हैं। जो लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) से अधिशासी अभियंता पद से रिटायर हैं। वह विवेकानंद एन्केल्व फेज-दो, स्ट्रीट नंबर-1 के निवासी हैं। उन्होंने जो आकलन अपने क्षेत्र में चल रहे सीवरेज प्रोजेक्ट का किया है, वह सभी क्षेत्रों के लिए एक केस स्टडी भी बन सकता है।

रिटायर्ड अधिशासी अभियंता वीरेंद्र सिंह पुंडीर ने विवेकानंद एन्क्लेव में सीवर लाइन बिछाने के कार्य में गंभीर खामी पकड़ी है। जिससे उत्तराखंड अर्बन सेक्टर डेवलपमेंट एजेंसी (यूयूएसडीए) 2686 करोड़ रुपये के निर्माणाधीन और 2766 करोड़ रुपये के प्रस्तावित सभी तरह के कार्यों की नए सिरे से समीक्षा या मॉनिटरिंग कराए जाने की जरूरत को भी बल मिलता है। विवेकानंद एन्क्लेव के काम पर वापस लौटते हुए बताते हैं कि रिटायर्ड अधिशासी अभियंता पुंडीर के मुताबिक घरों के पर्सनल और सड़क पर इंस्पेक्शन चैंबर के बीच 04 मीटर लंबी लाइन बिछाई जा रही है।

इसमें गड़बड़ यह है कि इस 04 मीटर की लाइन को 30 सेंटीमीटर का ढाल देकर डाला गया है। जिससे इंस्पेक्शन चैंबर से यह लाइन जुड़ने की जगह अधिक नीचे चली गई है। यह ढाल 12 सेंटीमीटर होती तो बात बन जाती। इससे यह भी पता चलता है कि साइट पर श्रमिकों के पास मापन के लिए कोई उपकरण नहीं हैं। सिर्फ अंदाजे से ढाल दिया जा रहा है। साथ ही साइट पर चल रहे कार्यों में सक्षम अधिकारियों की मॉनिटरिंग का अभाव भी उजागर हो रहा है।

यह खामी उजागर हो जाने के बाद अब यूयूएसडीए की टीम दोबारा से सड़क खोद रही है। पर्सनल चैंबर तोड़ डाले गए हैं और सीवर लाइन को भी फिर से अधिक गहराई में डाले जाने की बात की जा रही है। इस तरह की कार्यप्रणाली से न सिर्फ जनता को अप्रत्यक्ष रूप से प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है, बल्कि सरकारी धन और समय का दुरुपयोग भी किया जा रहा है। बार-बार के कार्यों के दौरान यातायात में जो व्यवधान पैदा हो रहा है, वह अलग तरह की परेशानी खड़ी कर रहा है।

लोनिवि के रिटायर्ड अधिशासी अभियंता ने इस संबंध में यूयूएसडीए के परियोजना प्रबंधक को पत्र लिखकर कई सवाल भी पूछे हैं। उन्होंने कहा है कि ढाल मापने के लिए किन-किन उपकरणों का प्रयोग किया जा रहा है। क्या वर्किंग ड्राइंग बनाई जा रही है। क्योंकि, मौके पर ऐसा कुछ नहीं दिख रहा। यदि ड्राइंग बनाई जा रही है तो क्या उस पर अनुमोदन प्राप्त किया जा रहा है या समय-समय पर साइट पर उसका परीक्षण किया जा रहा है। नहीं तो बाद में ठेकेदार चलता बनेंगे और जनता सिर पीटती रह जाएगी।

ऐसा ही काम होता रहा तो फेल हो जाएगा सिस्टम, ओवरफ्लो होने लगेंगी लाइनें
यदि विवेकानंद एन्क्लेव की तरह ही बाकी जगह भी काम का हाल मिला तो इससे पूरी परियोजना के भविष्य में असफल होने की आशंका बढ़ जाएगी। हम कोई यूयूएसडीए की बुराई नहीं कर रहे हैं। बल्कि, यह अपेक्षा कर रहे हैं कि धरातल पर जो भी काम किए जा रहे हैं, उनमें फूलप्रूफ प्लानिंग की जाए। निरंतर मॉनिटरिंग की व्यवस्था बनाई जाए। वास्तविक आधार पर जनता का फीडबैक लिया जाए। शिकायतों को तुरंत सुना जाए और समाधान निकाला जाए।

यूयूएसडीए के कार्यों की कंसल्टेंसी का जिम्मा टीसीएस जैसी प्रतिष्ठित कंपनी को दिया गया है। यदि कहीं खामी की बात सामने आ रही है तो संबंधित व्यक्ति लिखित में शिकायत दे सकते हैं। हो सकता है कि क्षेत्र में पूर्व में किसी अन्य विभाग ने काम किया हो। वर्तमान में सभी कार्यों में थर्ड पार्टी निगरानी की जा रही है। एजेंसी सभी शिकायतों का पुख्ता तरीके से समाधान करने का प्रयास कर रही है।
चंद्रेश कुमार, कार्यक्रम निदेशक (यूयूएसडीए)।

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