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अब दून क्लब ने भारतीय परिधान पर प्रसिद्द समाजसेवी अनुराग को नहीं दिया प्रवेश

1878 में स्थापित दून क्लब अब भी ब्रिटिशकालीन मानसिकता की गिरफ्त में, कुछ दिन पहले बार एसोसिएशन के नौ बार अध्यक्ष रहे कंडवाल को नहीं दिया था प्रवेश

Amit Bhatt, Dehradun: भारत विविध सांस्कृतिक एकता का देश है। साथ ही उत्तराखंड जैसे तमाम राज्य अपनी संस्कृति और परंपरा के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। इसके बाद भी उत्तरखंड जैसे प्रदेश की राजधानी देहरादून में आज भी ब्रिटिशकालीन वह नियम प्रचलित हैं, जिनमें भारतीय वेशभूषा को हेय दृष्टि से देखा जाता था। बात हो रही है ब्रिटिशकाल (वर्ष 1878) में स्थापित दून क्लब यानी देहरादून क्लब की। इस क्लब में स्कर्ट के साथ तो प्रवेश किया किया जा सकता है, लेकिन धोती-कुर्ते या कुर्ता-पायजामा जैसे पारंपरिक भारतीय परिधान के साथ प्रवेश की अनुमति नहीं है।


पारंपरिक भारतीय परिधान में प्रसिद्द समाजसेवी अनुराग चौहान।

गुरुवार को रक्षाबंधन के अवसर पर प्रसिद्द समाजसेवी अनुराग चौहान अपने कुछ परिचित व मित्रों (संगीता सोफत, सत्यजीत अरोड़ा व अनुकृति बत्रा) के साथ दून क्लब जा रहे थे। अनुराग ने हमेशा की तरह भारतीय परिधान पहना था और इसी के चलते उन्हें न सिर्फ प्रवेश करने से रोक दिया गया, बल्कि अपमानित भी होना पड़ा। प्रसिद्द समाजसेवी और ह्यूमन फॉर ह्यूमैनिटी के संस्थापक अनुराग चौहान प्रवेश न दिए जाने से अपमानित महसूस नहीं कर रहे, बल्कि उन्हें अपमान इस बात का महसूस हो रहा है कि भारत जैसी सर्वाधिक गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था और तकनीक में नए कीर्तिमान स्थापित करने वाले देश में आज भी कुछ लोग या संगठन ब्रिटिशकालीन गुलाम मानसिकता से जकड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि दून क्लब का यह नियम हमारे संवैधानिक अधिकारों का हनन भी कर रहा है। जिन भारतीय पारंपरिक परिधानों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गर्व करते हैं, उन्हें पहनने को लेकर कोई कैसे पाबंदी लगा सकता है। उन्होंने कहा कि दून क्लब का भारतीय परिधानों को अपने प्रांगण में अनुमति न देना ऐसी मानसिकता का प्रमाण है, जिसे कोलोनियन शासन की समाप्ति के समय ही खत्म कर देना चाहिए था।

अमिताभ बच्चन कर चुके अनुराग की तारीफ, दून क्लब ने बस पहनावा देखा
बिग बी अमिताभ बच्चन समाज सेवा में किए जा रहे योगदान पर अनुराग चौहान की प्रशंसा कर चुके हैं। बेशक कोई भी व्यक्ति उसके काम से पहचाना जाता है और माना जाता है। लेकिन, दून क्लब ने अनुराग के योगदान को दरकिनार कर सिर्फ पहनावे के कारण प्रवेश नहीं दिया।

धोती-कुर्ते में सदस्य्ता का फॉर्म लेने क्लब गए थे पूर्व अध्यक्ष कंडवाल, लौटाए गए वापस
कुछ दिन पहले देहरादून बार एसोसिएशन के नौ बार के अध्यक्ष रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनमोहन कंडवाल दून क्लब गए थे, उन्हें सदस्य्ता का फॉर्म लेना था। लेकिन, धोती-कुर्ता और पहाड़ी टोपी पहने होने के कारण उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। इस पर अधिवक्ता कंडवाल खासे नाराज हो गए थे और उन्होंने ऐसे ड्रेस कोड को भारतीय परंपरा के विपरीत बताया था। इस घटना के बाद दून क्लब के अध्यक्ष सुनील मेहरा ने सफाई में कहा था कि समय-समय पर नियमों में बदलाव किए जाते रहे हैं। ड्रेस कोड को लेकर पहली बार आपत्ति की गई है। इस प्रकरण को प्रमुखता से क्लब हाउस की बैठक में रखा जाएगा।

इस पारंपरिक वेशभूषा में दून क्लब पहुंचे थे  देहरादून बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता मनमोहन कंडवाल।

 

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