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अधिवक्ता विरमानी की जमानत खारिज, पुलिस को मिली रिमांड

वरिष्ठ अधिवक्ता कमल विरमानी के पूर्व मुंशी रोहताश की भी दो दिन की रिमांड पुलिस को मिली, रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में कमल विरमानी 27 अगस्त व उसका पूर्व मुंशी रोहताश 22 अगस्त से हैं जेल में बंद

Amit Bhatt, Dehradun: मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लक्ष्मण सिंह की अदालत ने रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में गिरफ्तार वरिष्ठ अधिवक्ता कमल विरमानी की जमानत याचिका खारिज कर दी है।

इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपित अधिवक्ता को दो दिन की पुलिस रिमांड में भेजने के भी आदेश दिए। कोर्ट ने आरोपित विरमानी के पूर्व मुंशी रोहताश को भी दो दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा है। यह आदेश भी जारी किए गए हैं कि यदि विरमानी चाहे तो वह अपने अधिवक्ता को अपने साथ रख सकता है, लेकिन विवेचनाधिकारी आरोपित के अधिवक्ता को जितनी निश्चित दूरी बताएंगे वह उतनी निश्चित दूरी पर या कम से कम 50 मीटर की दूरी पर रहेंगे। साथ ही वह विवेचना में कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं करेंगे।
आरोपित विरमानी की जमानत याचिका और एसआईटी के पुलिस रिमांड के प्रार्थना पत्र पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लक्ष्मण सिंह ने शुक्रवार को सुनवाई शुरू की थी। दोनों पक्षों की दलीलों के बाद अदालत ने निर्णय सुरक्षित रखा था। शनिवार को पुलिस ने आरोपित कमल विरमानी और उसके पूर्व मुंशी रोहताश को दोपहर करीब 12 बजे कोर्ट के समक्ष पेश किया। इस दौरान विवेचक राकेश कुमार गुसांई ने अदालत में दलील दी कि आरोपित कमल विरमानी 27 अगस्त व उनके पूर्व मुंशी रोहताश 22 अगस्त से न्यायिक हिरासत में हैं। आरोपितों को आमने सामने बैठाकर पूछताछ करनी जरूरी है।

उन्होंने अदालत को बताया कि आरोपितों ने अपने बयानों में बताया है कि फर्जीवाड़े से जुड़े दस्तावेज व पत्रावलियां उन्होंने सरकारी कार्यालय की फाइलों में रखे हैं। दस्तावेज व पत्रावलियां बरामद करने के लिए कमल विरमानी व रोहताश का दो दिन का पुलिस रिमांड दिया जाए। इस पर आपत्ति जताते हुए आरोपित कमल विरमानी के अधिवक्ता एसके धर ने कहा कि विरमानी ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है कि वह मामले से जुड़े दस्तावेज बरामद कराएगा। विवेचक ने ऐसे किसी विशिष्ठ स्थान का उल्लेख नहीं किया है, जिसकी पहचान आरोपितों से ही कराई जानी संभव है। आरोपित वरिष्ठ अधिवक्ता है, जिसके घर, कार्यालय व चैंबर को सभी लोग जानते हैं। पुलिस ने प्रकरण से संबंधित दस्तावेज बरामद कर लिए हैं। इसलिए आरोपितों का अनावश्यक पुलिस रिमांड लिया जा रहा है। इसलिए प्रार्थनापत्र खारिज किया जाए।
दूसरी ओर आरोपित रोहताश के अधिवक्ता एमएस पंत ने बताया कि रोहताश मुंशी का काम करता था। उसकी ओर से जो कुछ किया गया है वह अपने बॉस के निर्देशों के अनुपालन में किया गया है। उसके कब्जे में किसी प्रकार का कोई दस्तावेज व प्रकरण से संबंधित कोई वस्तु नहीं है। बिना वजह उसकी पुलिस रिमांड की मांग की गई है। इस दौरान शासकीय अधिवक्ता ममता और बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं के बीच जोरदार बहस हुई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने फैसला लंच के बाद तक सुरक्षित रख लिया।

अदालत ने विवेचक की ओर से प्रस्तुत प्रार्थनापत्र स्वीकार करते हुए कमल विरमानी व रोहताश को तीन सितंबर की सुबह 10 बजे से पांच सितंबर सुबह 10 बजे तक पुलिस रिमांड स्वीकृत कर दी। पुलिस को यह भी आदेश जारी किए गए हैं कि रिमांड के दौरान आरोपितों के खानपान का पूरा ध्यान रखते हुए उनके साथ किसी भी प्रकार का शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न नहीं किया जाएगा।

सांकेतिक तस्वीर

केपी को दून लाने के लिए दाखिल किया गया प्रार्थना पत्र
रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के सूत्रधार व सहारनपुर जेल में बंद भूमाफिया कुंवरपाल को बी वारंट पर देहरादून लाने के लिए पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस की ओर से शनिवार को अदालत में प्रार्थनापत्र दायर कर दिया है। कोर्ट के आदेश पर आरोपित को बी वारंट पर देहरादून लाया जाएगा। उससे पूछताछ के बाद फर्जीवाड़े से कई कड़ियां जुड़ने की संभावना है। अब तक हुई जांच में सामने आया है कि कुंवरपाल देहरादून आकर अधिवक्ता कमल विरमानी के चैंबर में ही जमीनों की फर्जी रजिस्ट्रियां तैयार करता था। इसके बाद सब रजिस्ट्रार कार्यालय के स्टाफ के साथ मिलकर असली रजिस्ट्रियां बाहर व फर्जी रजिस्ट्रियां जिल्द में लगा दी जाती थी।

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