मनमानी

हरिद्वार नगर निगम में कंप्यूटर घोटाला, एफआईआर का पता नहीं

वर्ष 2017 और 2018 में सिटी मजिस्ट्रेट ने की थी जांच, 22 सीपीयू, 11 मॉनीटर, 31 यूपीएस और 41 मॉडेम पाए गए थे गायब, शासन ने दिए थे एफआईआर के निर्देश

Amit Bhatt, Dehraun: हरिद्वार नगर निगम में कंप्यूटर घोटाला सामने आया है। निगम कार्यालय से 22 सीपीयू, 11 मॉनीटर, 31 यूपीएस और 41 मॉडेम गायब कर दिए गए हैं। इसकी पुष्टि वर्ष 2017 व 2018 में दो अलग-अलग जांच में तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट कर चुके हैं। इस प्रकरण में शासन ने एफआईआर दर्ज कराते हुए दोषी कार्मिकों से वसूली करने के निर्देश दिए गए थे। एफआईआर का आज तक कहीं पता नहीं है। आरटीआई में मांगी गई सूचना के क्रम में सूचना आयोग पहुंचे मामले में राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने अधूरी सूचनाएं देने और हीलाहवाली पर लोक सूचना अधिकारी/लेखाधिकारी व विभागीय अपीलीय अधिकारी/सहायक नगर आयुक्त का जवाब तलब किया गया।

कंप्यटर घोटाले से संबंधित सूचना सुभाषघाट हरिद्वार स्थित गंगा दर्शन माई गिंदा कुंवर धर्मशाला के प्रबंधक रमेशचंद्र शर्मा ने हरिद्वार नगर निगम से मांगी थी। उन्होंने आरटीआई के आवेदन में कंप्यटर क्रय किए जाने, उनके गायब होने, पुलिस रिपोर्ट आदि की जानकारी मांगी थी। तय समय के भीतर उचित सूचनाएं न मिलने पर उन्होंने सूचना आयोग में अपील की।
अपील की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने पाया की हरिद्वार नगर निगम को आइटीडीए (इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट एजेंसी) ने जो कंप्यूटर व उसके सहायक उपकरण उपलब्ध कराए थे, वह गायब कर दिए गए हैं।

योगेश भट्ट, राज्य सूचना आयुक्त (उत्तराखंड सूचना आयोग)

इसकी पुष्टि न सिर्फ वर्ष 2017 में सिटी मजिस्ट्रेट रहे जय भारत सिंह ने की, बल्कि वर्ष 2018 तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट मनीष सिंह की जांच में भी की गई। जिनमें संस्तुति की गई कि वर्ष 2005 के बाद से जो भी कर्मचारी स्टोर कीपर के रूप में तैनात रहे हैं, उनसे वसूली की जाए। इसी प्रकरण में वर्ष 2018 में ही शासन (शहरी विकास विभाग) ने कंप्यूयटर गायब कर दिए जाने के मामले में एफआईआर कराने के निर्देश दिए थे। एफआईआर का तो पता नहीं चला, लेकिन निगम प्रशासन ने वर्ष 2018 में चार लिपिकों से महज 17 हजार 430 रुपये की वसूली कर पल्ला झाड़ लिया। यह सूचना भी तीन माह के विलंब से उपलब्ध कराई गई और शासन के निर्देश पर क्या कार्रवाई की, इसे छिपा दिया गया। दूसरी तरफ सहायक नगर आयुक्त ने करीब तीन माह के विलंब से प्रथम अपील का निस्तारण किया। सूचना आयोग ने दोनों अधिकारियों का जवाब तलब करते हुए अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को तय की है।

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