Uttarakhand

पहाड़ पर रेल: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन की पहली मुख्य सुरंग आरपार, लहराए गए तिरंगे

कर्णप्रयाग तक रेल लाइन का कार्य पूरा करने का लक्ष्य वर्ष 2025 तक रखा गया है, पहले यह लक्ष्य वर्ष 2024 था। कोरोना के कारण कार्य प्रभावित होने से आगे बढ़ी डेडलाइन

Digvijay Singh Shah, Dehradun: पहाड़ पर रेल का सपना अब हकीकत के और करीब आ गया है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में एक बेहद अहम पड़ाव को पहली बार पार कर लिया गया है। रेलवे की कार्यदाई संस्था रेल विकास निगम (आरवीएनएल) को पहली मुख्य सुरंग को आरपार करने (ब्रेक थ्रू) में बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। इस दौरान सुरंग की साइट पर तिरंगे लहराए गए और कामयाबी का उत्सव मनाया गया। रेल परियोजना की सुरंग संख्या 7, जो कि एक मुख्य सुरंग है, का संपूर्ण ब्रेक थ्रू हो गया है। ब्रेक थ्रू का अर्थ है कि जब कोई सुरंग दो ओर से खोदने पर बीच में मिल जाती हैं तथा आर-पार हो जाती है। इससे पहले भी 07 आंशिक ब्रेक थ्रू हो चुके हैं। यह सुरंग पौड़ी नाला तथा देवप्रयाग स्टेशन के बीच 1255 मीटर लंबी है। खुले स्थान की कमी के कारण देवप्रयाग स्टेशन का 122 मी लंबा प्लेटफार्म इस सुरंग के भीतर है।

इस ब्रेक थ्रू के साथ ही यह भी सपष्ट हो गया है कि ऋषिकेश से ब्यासी के बीच वर्ष 2026 तक रेल सेवा का संचालन शुरू कर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर रेलवे विकास निगम लिमिटेड के मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत सिंह यादव ने अपडेट देते हुए कहा कि परियोजना में 60 प्रतिशत टनल का कार्य पूरा किया जा चुका है। ऋषिकेश के अतिरिक्त इस परियोजना के अंतर्गत 12 रेलवे स्टेशन का निर्माण होना है। इन सभी का काम एक साथ शुरू करने की योजना है। पांच माह के भीतर इसके लिए टेंडर आमंत्रित कर लिए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि एक से डेढ़ किलोमीटर तक सभी स्टेशन में रेलवे यार्ड बनने हैं। देवप्रयाग और जनासु में प्लेटफार्म का कुछ हिस्सा टनल के भीतर तक निर्मित होगा। पूरी योजना में 19 ब्रिज बनाए जाएंगे, इन सभी ब्रिज को संबंधित नेशनल हाईवे से जोड़े जाने की योजना है। उन्होंने बताया कि परियोजना में सभी ट्रैक मॉडल होंगे। जिनमें ज्यादा मेंटेनेंस की जरूरत नहीं पड़ेगी। मानसून की स्थिति को देखते हुए पूरी परियोजना में अतिरिक्त ब्रिज बनाने की योजना पर भी काम चल रहा है। जिसमें मलबे से सुरक्षा के उपाय भी किए जाएंगे सभी जगह फायर फाइटिंग जोन हमेशा तैयार रहेंगे। मुख्य परियोजना प्रबंधक यादव ने बताया कि ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल परियोजना को पूर्ण करने का लक्ष्य दिसंबर 2024 निर्धारित था। कोरोना काल के कारण कार्य प्रभावित हुआ है। प्रयास हैं कि कर्णप्रयाग तक रेल लाइन का काम वर्ष 2025 तक पूरा कर दिया जाए।

रेल परियोजना का नक्शा।

परियोजना में मुख्यतः चार प्रकार की सुरंगे हैं
1. मुख्य सुरंगे (मेन टनल) 2. निकासी सुरंगे (एस्केप टनल)
3. एडिट सुरंगे जोकि मुख्य सुरंगों को रोड़ हेड से जोड़ती हैं
4. मुख्य सुरंग तथा निकासी सुरंग को प्रत्येक 350 मी से 400 मी के अन्तराल पर जोड़ने वाली सुरंगे।
इस प्रकार इस परियोजना में कुल सुरंगों की लम्बाई 213 किमी है। लार्सन एंड टुब्रो पैकेज 4 पर 9.1 मीटर व्यास वाले 2 हेरेनकेनचैट हार्ड रॉक टीबीएम तैनात करेगा। मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत सिंह यादव ने बताया कि पहले कोविड तथा वर्तमान में उच्च न्यायालय, उत्तराखण्ड की ओर से मशीनी खनन पर रोक के चलते सामग्री की कमी होने के कारण परियोजना अपने पूर्व में निश्चित दिसंबर 2024 के लक्ष्य से आगे बढ़कर दिसंबर 2025 में कर्णप्रयाग तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल मार्ग पर एक नजर
लंबाई: 125.20 किमी
प्रकार: सुरंगों और पुलों के साथ एटी-ग्रेड
गेज: ब्रॉड गेज
सुरंगों की संख्या: 17
पुलों की संख्या: 35
स्टेशनों की संख्या: 12
स्टेशन के नाम: ऋषिकेश, मुनि की रेती, शिवपुरी, मंजिलगांव, साकनी, देवप्रयाग, कीर्तिनगर, श्रीनगर, धारी, रुद्रप्रयाग, घोलतीर, गौचर और कर्णप्रयाग
परियोजना पूर्ण होने की समय सीमा: वर्ष 2025 तक
अनुमानित कुल लागत: 16,200 करोड़ रुपये
कार्यदाई संस्था: रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल)

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग सुरंग पैकेज और ठेकेदार
अनुबंध और दायरा डिजाइन सलाहकार सिविल ठेकेदार
सुरंग पैकेज-1 (6+015 से 18+444): 6+015 से 6+800 (ढालवाला) के बीच तटबंध, सुरंग संख्या 01 (10850 मीटर), तटबंध शिवपुरी स्टेशन भाग यार्ड च 17+650 से 18+444 और बॉक्स पुलिया – 4 नग लोम्बार्डी इंजीनियरिंग लिमिटेड – इटालफेर एसपीए जेवी मैक्स-एचईएस जेवी
सुरंग पैकेज- 2 (18+601 से 33+097): सुरंग संख्या 02 (6460 मीटर), पुल संख्या 03 (गुलर) गुलर पर तटबंध (600 मीटर), सुरंग संख्या 03 (6720 मीटर), लघु पुल 2 संख्या, और एम्बैकमेंट। बायसी स्टेशन पार्ट यार्ड (450 मीटर) युकसेल प्रोजेक्ट एएस-आईसीटी लार्सन एंड टुब्रो (एल एंड टी)
सुरंग पैकेज- 3 (33+097 से 47+360): सुरंग संख्या 05 (9760 मीटर) पुल संख्या 6 (गंगा नाला) जियोडेटा – लुई बर्जर ग्रुप जेवी नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी (एनईसी)
सुरंग पैकेज- 4 (47+360 से 63+117): तटबंध देवप्रयाग स्टेशन भाग यार्ड (240 मीटर), लघु पुल-1 सुरंग संख्या 08 (15100 मीटर), जनासू में तटबंध (300 मीटर) तुमास इंडिया प्रा. लिमिटेड मैसर्स अल्टिनोक मुसाविर्लिक मुहेंडिस्लिक एएस (जेवी) लार्सन एंड टुब्रो (एल एंड टी)
सुरंग पैकेज- 5 (63+414 से 73+001): सुरंग संख्या 11 (9000 मीटर), पुल संख्या 10 (धारी इन), तटबंध धारी स्टेशन यार्ड (750 मीटर), लघु पुल 1 संख्या, पुल संख्या 11 (धारी) बाहर) एन/ए नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी (एनईसी)
सुरंग पैकेज- 6 (73+489 से 83+899): बीजी सुरंग संख्या 11 (9050 मीटर) एईसीओएम सोंगडा-रिथविक जेवी
सुरंग पैकेज- 7ए (83+899 से 91+288): सुरंग संख्या 12 (7080 मीटर), पुल संख्या 12 (नरकोटा) एईसीओएम मैक्स – वह जे.वी
सुरंग पैकेज- 7बी (83+899 से 101+339): सुरंग संख्या 13 (9420 मीटर), तिलानी स्टेशन पार्ट यार्ड (700 मीटर) और माइनर ब्रिज-1 नंबर एईसीओएम मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल)
सुरंग पैकेज- 8 (101+339 से 116+911): ब्रिज नंबर 13 (तिलानी आउट), ब्रिज नंबर 14 (घोल्टिर इन), टनल नंबर 14 (6460 मीटर), तटबंध घोल्टिर स्टेशन यार्ड (550 मीटर), माइनर ब्रिज 1 नंबर, सुरंग नंबर 15 (7160मी), 9एम्ब। गौचर स्टेशन यार्ड (1100 मीटर), माइनर ब्रिज-2 नंबर लोम्बार्डी इंजीनियरिंग लिमिटेड -इटलफेर एसपीए जेवी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल)
सुरंग पैकेज-9 (117+365 से 125+200): पुल संख्या 16 (सिवाई नाला), सुरंग संख्या 16 (6400 मीटर), तटबंध सिवई स्टेशन यार्ड (950 मीटर), सुरंग 16ए (480 मीटर) तुमास इंडिया प्रा. लिमिटेड मैसर्स अल्टिनोक मुसाविर्लिक मुहेंडिस्लिक एएस (जेवी) हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी – दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड (एचसीसी – डीबीएल) जेवी

नोट: इस परियोजना को राष्ट्रीय रणनीतिक महत्व का माना जाता है और इसे केंद्र सरकार के प्रगति (प्रो एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन) पोर्टल पर ट्रैक किया जा रहा है। तैयार होने पर, यह हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र में यमुनोत्री, गंगोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ के चार धाम मंदिरों तक कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने में मदद करेगा। इसके मार्ग में, 105.47 किमी (84.24%) में 35 पुल और 17 सुरंगें होंगी, जिसमें 15.1 किमी लंबी सुरंग भी शामिल है, जो देवप्रयाग और लछमोली के बीच देश की सबसे लंबी सुरंगों में से एक है।

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