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रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में नामी अधिवक्ता विरमानी की जमानत डीजे कोर्ट से खारिज

पढ़िए पूरा आदेश: आरोपित अधिवक्ता कमल विरमानी की जमानत पर जिला जज प्रदीप पंत की कोर्ट में 23 सितंबर को की गई थी सुनवाई, फैसला रख लिया गया था सुरक्षित

Amit Bhatt, Dehradun: रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के मामले में 27 अगस्त से जेल में बंद दून के नामी अधिवक्ता कमल विरमानी की जमानत याचिका जिला जज प्रदीप पंत की कोर्ट ने खारिज कर दी है। आदेश में जिला जज की टिप्पणी अपने आप में अपराध की गंभीरता को इंगित कर देती है। जो इस प्रकार है। “यह इस प्रकृति का अपराध है कि जिससे लोगों की न्याय व्यवस्था पर से ही आस्था हट जाती है, क्योंकि वर्तमान अपराध के अंतर्गत जो कूटरचित दस्तावेज बनाये गये हैं. उनकी प्रमाणित प्रतिलिपियों को न्यायालय भी भारतीय साक्ष्य अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत 30 वर्ष प्राचीन होने के आधार पर सामान्य रूप से साबित करने की अपेक्षा नहीं रखता है। इन परिस्थितियों में इस प्रकृति के अपराध से न्याय प्रशासन की नींव पर प्रहार होता है और अभियुक्त का उसी न्याय प्रशासन का एक हिस्सा होने के कारण से ऐसे अपराध में संलिप्त होना और भी गम्भीर हो जाता है। इन परिस्थितियों में अभियुक्त द्वारा दिया गया जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त किये जाने योग्य है।

जमानत याचिका पर 23 सितंबर को सुनवाई की गई थी। बचाव व अभियोजन पक्ष की करीब ढाई घंटे की बहस सुनने के बाद जिला जज प्रदीप पंत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। जमानत याचिका पर बचाव पक्ष कीओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा, जबकि अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता गुरु प्रसाद रतूड़ी ने तर्क रखे थे।

जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता कमल विरमानी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने पैरवी करते हुए कहा था कि उनके मुवक्किल का नाम एफआईआर में नहीं है। उन्हें सह अभियुक्तों के बयान के आधार पर ही गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा भी उन्होंने जमानत की याचना करते हुए तमाम तर्क रखे थे।

दूसरी तरफ अभियोजन पक्ष की तरफ से जमानत को नामंजूर करने को लेकर प्रकरण में किए गए फर्जीवाड़े पर तमाम तर्क रखे गए। जिला शासकीय अधिवक्ता गुरु प्रसाद रतूड़ी ने तर्क दिया था कि रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के प्रकरण में अभी पूछताछ का क्रम जारी है। प्रकरण में आरोपित कमल विरमानी व कंवर पाल सिंह मुख्य अभियुक्त बनाए गए हैं।

यह मामला आमजन की संपत्ति को हड़पने से जुड़ा है। लिहाजा, प्रकरण में जमानत याचिका स्वीकार नहीं की जानी चाहिए। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जिला जज प्रदीप पंत ने जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिस पर बुधवार को निर्णय करते हुए जिला जज प्रदीप पंत ने गुण-दोष के आधार पर जमानत निरस्त कर दी। अब अधिवक्ता कमल विरमानी के पास जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर किए जाने की राह बची है।

प्रकरण में कब क्या हुआ
-रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के मामले में अधिवक्ता कमल विरमानी को 26 अगस्त 2023 को एसआईटी ने गिरफ्तार किया।
-27 अगस्त को सीजेएम लक्ष्मण सिंह की कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेजा गया।
-02 सितंबर को सीजेएम लक्ष्मण सिंह की कोर्ट ने जमानत याचिका ख़ारिज कर दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा।
-रिमांड 03 सितंबर की सुबह 10 बजे से 05 सितंबर की सुबह 10 बजे तक के लिए मंजूर की गई।
-23 सितंबर 2023 को जमानत याचिका पर डीजे कोर्ट में सुनवाई, फैसला सुरक्षित।
-27 सितंबर को जिला जज प्रदीप पंत की अदालत से जमानत याचिका खारिज।

 

रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में 10 आरोपित किए जा चुके गिरफ्तार, नौ मुकदमे दर्ज
रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में केपी सिंह की गिरफ़्तारी के साथ अब तक कुल 10 आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इनमें अब तक संतोष अग्रवाल, दीपचंद अग्रवाल, रजिस्ट्रार कार्यालय का पूर्व कर्मचारी डालचंद, अजय सिंह क्षेत्री, विकास पांडे, अधिवक्ता इमरान अहमद, पीलीभीत का रहने वाला मक्खन सिंह, अधिवक्ता कमल विरमानी, पूर्व मुंशी रोहताश सिंह और कंवर पाल सिंह (केपी सिंह ) का नाम शामिल है। साथ ही प्रकरण में अब तक नौ मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं।

डालचंद की जमानत भी खारिज

बुधवार को रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में अन्य आरोपित डालचंद की जमानत याचिका भी खारिज कर दी गई। डालचंद सब रजिस्ट्रार कार्यालय का पूर्व कर्मचारी है।

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