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रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में केपी-विरमानी गैंग के तीन और भूमाफिया गिरफ्तार  

इंग्लैंड निवासी एनआरआई महिला रक्षा सिन्हा की ढाई बीघा भूमि की फर्जी रजिस्ट्री बनाकर बेचने का है मामला

Amit Bhatt, Dehradun: रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में हैंडराइटिंग एक्सपर्ट अजय मोहन पालीवाल की गिरफ्तारी के साथ ही एसआईटी/पुलिस के हाथ पूरी साजिश का पर्दाफाश करने की मास्टर-की लग चुकी है। क्योंकि, फर्जी रजिस्ट्री तैयार करने के लिए अनुकूल जमीन खोजने, उसे बेचने और खरीदने वाले लोग अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन फर्जी रजिस्ट्री पर राइटिंग और जाली हस्ताक्षर करने वाला एक अकेला पालीवाल ही है। लिहाजा, इस कड़ी के पकड़ में आने के बाद पर्दे के पीछे छिपे बैठे भूमाफिया के नाम भी उजागर होने लगे हैं। क्योंकि, वह पालीवाल ही है, जिसने सभी के फर्जीवाड़े में अपने हुनर का जमकर दुरुपयोग किया। पालीवाल से ही पूछताछ के बाद पुलिस को राजपुर रोड पर इंग्लैंड निवासी एनआरआई महिला रक्षा सिन्हा की जमीन की फर्जी रजिस्ट्री तैयार करने वालों का पता चल पाया। जिसके आधार पर संजय कुमार शर्मा निवासी निवासी पंचेड़ा रोड निकट गोल्डन पब्लिक स्कूल थाना नई मंडी, मुज्जफरनगर उत्तर प्रदेश, ओमवीर तोमर निवासी B 220 सेक्टर 2, डिफेंस कॉलोनी देहरादून और सतीश कुमार निवासी 1728 जनकपुरी रुड़की रोड थाना सिविल लाइन, मुज्जफरनगर, उत्तर प्रदेश को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस के मुताबिक पकड़े गए तीनों आरोपित मुख्य अभियुक्त अधिवक्ता कमल विरमानी और केपी सिंह के ही गिरोह के हैं। प्रकरण में अब तक कुल नौ मुकदमों में 16 आरोपितों की गिरफ्तारी की जा चुकी है।
आरोपी हैंडराइटिंग एक्सपर्ट अजय पालीवाल।

हैंडराइटिंग एक्सपर्ट पालीवाल ने ऐसे खोले राज

छह अक्टूबर 2023 को गिरफ्तार किए गए अभियुक्त अजय मोहन पालीवाल से गहन पूछताछ में यह बात प्रकाश में आई कि अभियुक्त फॉरेन्सिक एक्सपर्ट था, जिसने अभियुक्त कमल विरमानी, केपी सिंह आदि के साथ मिलकर कई जमींनो के फर्जी विलेख पत्रों में फर्जी राइटिंग एवं हस्ताक्षर बनाए थे, जिसका प्रयोग कर अभियुक्तगणों द्वारा फर्जी तरीके से जमीनों को बेच कर करोड़ों रुपये कमाये गये। पूछताछ में अजय मोहन पालीवाल ने बताया कि केपी सिंह के कहने पर एनआरआई (अनिवासी भारतीय) महिला रक्षा सिन्हा की राजपुर रोड पर होटल मधुबन के सामने की भूमि के कूटरचित विलेख पत्र/रजिस्ट्री रामरतन शर्मा के नाम से बनाई गई। इसके बाद देहरादून निवासी ओमवीर व मुजफ्फरनगर निवासी सतीश व संजय को रजिस्ट्री दी गई। ताकि उसे बेचा जा सके।
ओमवीर ने दी थी जमीन के मालिक के विदेश में होने की जानकारी 
पुलिस के मुताबिक पूछताछ में सामने आया कि देहरादून निवासी ओमवीर का पूर्व से ही जमीनों के फर्जीवाड़े का आपराधिक इतिहास रहा है तथा पूर्व में कई विवादित जमीनो में भी इसकी संलिप्ता रही है। ओमवीर की जान पहचान सहारनपुर निवासी केपी सिंह से थी तथा ओमवीर भी देहरादून में विवादित व खाली पड़ी जमीनो पर नजर रखता था। ओमवीर की नजर राजपुर रोड मधुबन के पास स्थित दो-ढाई बीघा जमीन पर पड़ी। जिसके संबंध में जानकारी करने पर उसे ज्ञात हुआ कि उक्त जमीन विदेश में रहने वाली एनआरआई महिला रक्षा सिन्हा के नाम पर है, जो काफी वर्षों से देहरादून नहीं आई है। ओमवीर ने रक्षा सिन्हा की पूरी जानकारी निकाली तो उसे पता चला कि रक्षा सिन्हा के पिता पीसी निश्चल देहरादून में ही रहते थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी है ।
संजय के पिता के नाम बनाई गई फर्जी रजिस्ट्री, बाइंडर ने सब रजिस्ट्रार कार्यालय में दर्ज कराई
इस जमीन के बारे में ओमवीर के द्वारा केपी सिंह को बताया गया तथा केपी ने उक्त जमीन को उत्तराखंड के बाहर किसी बुजुर्ग व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड विलेख पत्र के माध्यम से करा देने का आश्वासन दिया। साथ ही इसके लिए ओमवीर को किसी बाहरी बुजुर्ग व्यक्ति को लाने की जिम्मेदारी दी गई। ओमवीर ने अपने परिचित सतीश के माध्यम से उसके दोस्त संजय मुजफ्फरनगर निवासी के  पिता रामरतन शर्मा को इसके लिए चुना। फिर केपी सिंह के माध्यम से भूमि के फर्जी विलेख पत्र/रजिस्ट्री तैयार की गई। भूमि को वर्ष 1979 में एनआरआई के पिता पीसी निश्चल से राम रतन के नाम विक्रय करना दिखाया गया। इसके पश्चात इनके द्वारा कूटरचित विलेख पत्र को सोनू, जो रजिस्ट्रार कार्यालय में बाइंडर का कार्य करता था, के माध्यम से रजिस्ट्रार कार्यालय में संबंधित रजिस्टरों पर लगा दिया गया।

एनआरआई की जमीन का सौदा 3.10 करोड़ में

इसके पश्चात ओमवीर ने जमीन को मार्केट में बिकने लिए ग्राहक खोजने शुरू कर दिए। पूर्व से ही इस प्रॉपर्टी की अच्छी जानकारी रखने वाले देहरादून निवासी मनोज तालीयान को उक्त प्रॉपर्टी के संबंध में जानकारी होने पर उसने रामरतन शर्मा, उसके पुत्र संजय शर्मा से मुजफ्फरनगर में मिलकर जमीन का सौदा कराने की बात कही। सौदा ग्रीन अर्थ सोलर पावर लिमिटेड के साथ 3 करोड़ 10 लाख में तय कराया। साथ ही एग्रीमेंट के 1 करोड़ 90 लाख रुपये संजय सिंह को दिए गए। जिसमें से पूर्व में तय अनुसार संजय सिंह को 66 लाख, ओमवीर को 96 लाख व सतीश को 38 लाख रुपये के करीब की धनराशि मिली। इससे पहले कि यह डील पूरी हो पाती और शेष राशि का भुगतान हो पाता, रजिस्ट्री फर्जीवाड़े का प्रकरण उजागर हो गया।
ओमवीर सिंह का है आपराधिक इतिहास, यह मुकदमे दर्ज 
1- मु.अ.सं. 27/14 धारा 420,467,467,120बी भादवि थाना क्लेमनटाउन जनपद देहरादून
2- मु.अ.सं. 29/15 धारा 364,302,201,120बी,34 भादवि थाना क्लेमनटाउन जनपद देहरादून
3- मु.अ.सं. 36/17 धारा 406,420,120बी, 323,504,506 भादवि थाना क्लेमनटाउन, जनपद देहरादून
आरोपितों को पकड़ने वाली टीम  
1- निरीक्षक राकेश कुमार गुसांई (प्रभारी निरीक्षक कोतवाली नगर)
2- निरीक्षक नन्द किशोर भट्ट प्रभारी एसओजी
3- उ.नि. प्रदीप सिंह रावत, व0उ0नि0 कोतवाली नगर
4. उ.नि. मनमोहन नेगी (एसआईटी)
5.- उ.नि. हर्ष अरोड़ा (SOG)
6- उ.नि. अमित मोहन ममगई (विवेचक)
7- हे.का. किरण  (SOG)
8- कानि. ललित, देवेन्द्र , पंकज , आशीष शर्मा  (SOG)
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, अजय सिंह।

जमीन फर्जीवाड़े में दून पुलिस जड़ तक जाकर सभी सक्रिय गैंग का पर्दाफाश करेगी,कुछ अन्य लोगो का भी इस तरह संगठित गैंग बनाकर लंबे समय से  देहरादून में जमीनों की धोखाधड़ी करना प्रकाश में आया है। प्रारंभिक साक्ष्यों  व लगातार सामने आ रहे ऐसे प्रकरणों से ऐसा लगता है कि जमीन धोखाधड़ी में कहीं न कहीं, जो अवैध अकूत संपत्ति ऐसे अपराधियों द्वारा अर्जित की गई है, उसके पीछे कई अन्य बड़े अपराध भी अपराधियों द्वारा किए जाने की संभावना है, जिनकी गहनता से विस्तृत जांच कर ऐसे सभी अपराधियों की संपत्ति को जब्त कराने के साथ-साथ ऐसे अपराधियों द्वारा प्रताड़ित सभी पीड़ितों को न्याय दिलाना दून पुलिस की प्राथमिकता है।

अजय सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, देहरादून

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