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अफसरों को चुभ रही आरटीआइ, न सूचना दे रहे न भर रहे जुर्माना  

नगर निगम देहरादून नहीं दे रहा अपना अफसरों पर जुर्माने और उसकी वसूली की जानकारी, वित्त अधिकारी पर लगाया 10 हजार का जुर्माना 

Amit Bhatt, Dehradun: भ्रष्टाचार पर चोट करने और पारदर्शी व्यवस्था लागू करने के लिए लाया गया आरटीआई एक्ट उत्तराखंड के तमाम अधिकारियों को चुभ रहा है। यही कारण है कि अधिकारी पहले तो सूचना से कन्नी काटते हैं और जब उन पर जुर्माना लगाया जाता है तो उसे जमा कराने से भी परहेज किया जाता है। नगर निगम देहरादून इसका जीता जागता उदाहरण बन रहा है। यहां के अधिकारी भी आरटीआइ में मांगी गई सूचना देने में आनाकानी कर रहे हैं। जब सूचना आयोग ऐसे अधिकारियों पर जुर्माना लगा रहा है तो उसे जमा भी नहीं किया जा रहा। अब नगर निगम पर लगाए गए जुर्माने और उसकी स्थिति की सूचना मांगी गई तो इस पर भी अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए। इस मामले में राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने नगर निगम के वरिष्ठ वित्त अधिकारी भरत चंद्रा पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
चमन विहार देहरादून निवासी सुधीर गोयल ने नगर निगम से सूचना आयोग की ओर से लगाए गए जुर्माने और उनकी स्थिति की सूचना मांगी थी। इस बार भी नगर निगम के लोक सूचना अधिकारी ने पुराना ढर्रा नहीं छोड़ा और सूचना देने में परहेज किया। प्रकरण जब अपील के रूप में सूचना आयोग पहुंचा तो राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया। निगम को दो अवसर दिए जाने के बाद भी जुर्माने पर स्थिति स्पष्ट नहीं की जा सकी।
जिसके बाद सूचना आयोग की ओर से अपीलार्थी सुधीर गोयल को यह जानकारी दी गई कि नगर निगम पर कितनी अपील में जुर्माना लगाया गया है। मूल अनुरोध पत्र की तिथि के मुताबिक 18 अपील/शिकायतों (वैसे अब तक कुल 24) की सूची उपलब्ध कराई गई। जिसमें पाया गया कि सिर्फ 03 प्रकरण में नगर निगम ने जुर्माना जमा कराया है। 07 प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट से स्टे प्राप्त किया गया है और 08 प्रकरणों पर क्या हुआ, इस बारे में निगम ने आयोग को अवगत ही नहीं कराया है।
राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि यह स्थिति अत्यंत खेदजनक है। इससे पता चलता है कि अगर निगम आरटीआइ एक्ट में प्रति संवेदनहीन है। इस मामले में लेखा अनुभाग से भी जवाब मांगा गया। पूछा गया कि जब जुर्माने की राशि संबंधित अधिकारी के वेतन से काटे जाने का नियम है तो ऐसा क्यों नहीं किया गया। पता चला कि नगर निगम में आयोग के निर्देशों के अनुपालन के लिए जानकारी को अपेक्षित रूप में साझा भी नहीं किया जा रहा या गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। साथ ही अधिकारियों ने आयोग के नोटिस के क्रम में वरिष्ठ वित्त अधिकारी भरत चंद्रा ने संतोषजनक जवाब भी प्रस्तुत नहीं किया। लिहाजा, उन पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। इस राशि को तीन माह की अवधि समाप्त होने पर दो समान किश्तों में राजकोष में जमा कराया जाएगा।
पंजिका में दर्ज करें आदेश, किया जाए संरक्षण
सूचना आयोग ने नगर निगम के लोक सूचना अधिकारी को निर्देश दिए कि वह उन अपीलों/शिकायतों को पंजिका में अपडेट करेंगे, जिन पर आयोग की तरफ से जुर्माने या क्षतिपूर्ति के आदेश दिए गए हैं। इसके लिए एक माह का समय देते हुए आयोग को भी अवगत कराने को कहा गया है।

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