DehradunUttarakhand

आबकारी नीति में शराब सिंडिकेट पर चोट, मूल और स्थायी निवासियों के लिए खोले द्वार

स्कॉटलैंड की स्कॉच को टक्कर देगी उत्तरखंड की शराब, आबकारी नीति में किए गए प्रावधान

Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड की आबकारी नीति-2024 जारी कर दी गई है। सरकार ने आबकारी के राजस्व में करीब 11 प्रतिशत का इजाफा किया है। वर्ष 2023-24 में आबकारी विभाग का राजस्व लक्ष्य 4000 करोड़ रुपये था, जबकि अब इसे बढ़ाकर 4440 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इस नीति में पहली बार शराब सिंडिकेट पर चोट की गई है। शराब में माफिया की एंट्री बंद करते हुए सरकार ने प्रदेश के मूल और स्थायी निवासियों के लिए कारोबार के द्वार खोल गए हैं। प्रदेश में विदेशी मदिरा के थोक व्यापार को उत्तराखंड राज्य के मूल/स्थायी निवासियों के रोजगार के लिए भारत में निर्मित विदेशी मदिरा (IMFL) की आपूर्ति के थोक अनुज्ञापन/व्यापार (FL-2) अनुज्ञापन को उत्तराखंड के अर्ह नागरिकों को दिए जाने का प्राविधान किया गया है। साथ ही प्रदेश की जड़ीबूटियों, फूल, फलों और विभिन्न वनस्पतियों से शराब बनाने के लिए विभिन्न प्रावधान किए गए हैं। ताकि उत्तराखंड की शराब को न सिर्फ विश्वस्तरीय पहचान मिल सके, बल्कि इससे रोजगार व राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।
आबकारी नीति 2024 में भी शराब की दुकानों के नवीनीकरण का प्रावधान किया गया है। हालांकि, नवीनीकरण उन्हीं शराब कारोबारियों का किया जाएगा, जिनके देयक चुकता कर दिए गए हों। साथ ही इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) को भी आधार बनाया गया है। आइए जानते हैं, आबकारी नीति में प्रमुख रूप से किया प्रावधान किए गए हैं। इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए भी नीति में बहुत सी बातों का समावेश किया गया है।
आबकारी नीति 2024 के प्रमुख बिंदु
1. वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 के राजस्व लक्ष्य ₹ 4000 करोड़ के सापेक्ष 11% की वृद्धि के साथ वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए ₹ 4440 करोड़ का लक्ष्य दिया गया है।
2. पर्वतीय क्षेत्र में इनोवेशन और निवेश को प्रोत्साहन के लिए माइक्रो डिस्टिलेशन ईकाई की स्थापना का प्राविधान किया गया है। जिसे सूक्ष्म उद्योगों की श्रेणी में कम से कम क्षेत्रफल में स्थापित किया जा सकेगा जो कि आर्थिक रूप से सक्षम होने के साथ हिमालयी क्षेत्र की पर्यावरणीय मानकों के अनुकूल होने से स्थानीय पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
3. उत्तराखंड में संचालित आसवानी में उच्च गुणवत्ता की मदिरा निर्माण होने से एक ओर राजस्व में वृद्धि होगी वही राज्य में प्रचुर मात्रा में उगने वाली वनस्पतियों, जड़ी-बूटियों का उपयोग होने से स्थानीय किसानों हेतु आय के नए साधन उत्पन्न होगे एवं राज्य में निर्मित मदिरा को विश्वस्तर पर पहचान मिलेगी। राज्य की उच्च गुणवत्तायुक्त जड़ी-बूटियों, फलों, फूलों तथा हिमालय की जलवायु, वातावरणीय शुद्धता के कारण उच्च गुणवत्ता के जल स्रोत व अन्य कारकों के कारण विश्वस्तरीय सुगंधित मदिरा के मदिराप्रमॉल्ट के उत्पादन के हब के रूप में राज्य प्रतिष्ठित हो सकेगा। जिस प्रकार यूरोप में स्कॉटलैंड, इटली आदि विश्वस्तरीय मदिरा के लिए प्रतिष्ठित है उसी प्रकार हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड विश्वस्तरीय स्प्रिटामॉल्ट के उत्पादन केंद्र के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो सकेगा।
4. विदेशी मदिरा की भराई (बॉटलिंग) के लिए आबकारी राजस्व एवं निवेश के दृष्टिगत प्रथम बार प्राविधान किए जा रहे है ताकि प्रदेश उपभोक्ता राज्य से उत्पादक एवं निर्यातक राज्य के रूप में स्थापित हो सके।
5. प्रदेश में विदेशी मदिरा के थोक व्यापार को उत्तराखंड राज्य के मूल स्थायी निवासियों के रोजगार के लिए भारत में निर्मित विदेशी मदिरा (IMFL) की आपूर्ति के थोक अनुज्ञापन / व्यापार (FL-2) अनुज्ञापन को उत्तराखंड के अर्ह नागरिकों को दिए जाने का प्राविधान किया गया है।
6. आबकारी राजस्य अर्जन की दृष्टि से प्रथम बार ओवरसीज मदिरा की आपूर्ति के लिये थोक अनुज्ञापन FL-2(O) का प्राविधान किया गया है जिससे कस्टम बॉण्ड से आने वाली ओवरसीज मदिरा के व्यापार को राजस्व हित में नियंत्रित किया जा सकेगा।
7. राज्य की कृषि/बागवानी से जुड़े कृषकों के हित में देशी शराब में स्थानीय फलों यथा कीनू, माल्टा, काफल, सेब, नाशपाती, तिमूर, आडू आदि का समावेश किया जाना अनुमन्य किया गया है।
8. मदिरा दुकानों का व्यवस्थापन नवीनीकरण, दो चरणों की लॉटरी, प्रथम आवक प्रथम पावक के सिद्धांत पर पारदर्शी एवं अधिकतम राजस्व अर्जन की दृष्टि से किया जाएगा।
9. नवीनीकरण उन्हीं अनुज्ञापियों का किया जाएगा, जिनकी समस्त देयताएं बेबाक हों और प्रतिभूतियां सुरक्षित हों।
10. आवेदक को आवेदन पत्र के साथ दो वर्ष का ITR दाखिल करना अनिवार्य होगा।
11. एक आवेदक सम्पूर्ण प्रदेश में अधिकतम तीन मदिरा दुकाने आवंटित की जा सकेगी।
12. प्रदेश के समस्त जनपदों में संचालित मदिरा दुकान के सापेक्ष उप दुकान खोले जाने की अनुमति राजस्व हित दी जा सकेगी।
13. देशी मदिरा दुकानों में 36 प्रतिशत v/v तीव्रता की मसालेदार शराब या 25 प्रतिशत v/v तीव्रता की मसालेदार एवं सादा मदिरा एवं विशेष श्रेणी की मेट्रो मदिरा की आपूर्ति के प्राविधान किए गए है।
14. विदेशी / देशी मदिरा के कोटे का अनतरण कोटे के अधिभार के 10% तक अनुमन्य होगा।
15. विदेशी मदिरा में न्यूनतम प्रत्याभूत ड्यूटी का निर्धारण कर मदिरा ब्राण्डों का मूल्य विगत वर्षों की भांति निर्धारित किया गया है, जिससे आबकारी राजस्व सुरक्षित रहे और उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर मदिरा उपलब्ध हो सके।
16. प्रदेश में पर्यटन प्रोत्साहन एवं स्थानीय रोजगार की दृष्टि से पर्वतीय तहसील एवं जनपदों में मॉल्स डिपार्टमेंटल स्टोर मे मदिरा बिक्री का अनुज्ञापन शुल्क रुपये 05 लाख (पांच लाख दुकान का न्यूनतम क्षेत्रफल 400 वर्गफुट का प्रविधान किया है।
17. विगत वर्ष से भिन्न स्टार कैटेगरी के अनुसार बार अनुज्ञापन शुल्क निर्धारित किया गया है, इसी प्रकार पर्यटन की दृष्टि से सीजन बार अनुज्ञापन शुल्क का प्रावधान किया गया है।
18. परंपरागत रूप से अवैध कच्ची शराब के उत्पादन क्षेत्रों में लगातार प्रभावी प्रवर्तन कार्यवाही करने तथा ऐसे क्षेत्रों में वैध मदिरा के विक्रय को प्रोत्साहन करने हेतु उप दुकान का प्राविधान किया गया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button