Amit Bhatt, Dehradun: अरबों रुपये के दौलत राम ट्रस्ट की भूमि खुर्दबुर्द करने और अभिलेख गायब किए जाने के मामले में नगर निगम देहरादून के कार्मिकों पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। इस संबंध में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजीएम) देहरादून लक्ष्मण सिंह ने शहर कोतवाली पुलिस को आदेश जारी किया है।
सीजीएम कोर्ट ने यह आदेश अधिवक्ता रीता सूरी की याचिका पर की गई सुनवाई में क्रम में जारी किया। दरअसल, रीता सूरी अपने अधिवक्ता भाई राजेश सूरी की हत्या के दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने की लड़ाई लंबे समय से लड़ रही हैं। उनकी यह लड़ाई हाई कोर्ट और जिला कोर्ट में निरंतर जारी है।
सीजीएम कोर्ट के आदेश में दर्ज जानकारी के मुताबिक रीता सूरी के भाई ने माजरा स्थित दौलत राम ट्रस्ट की करीब 700 बीघा भूमि को खुर्द-बुर्द करने को लेकर तमाम अभिलेख एकत्रित कर लिए थे। राजेश सूरी की ओर से इस संबंध में हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका पर पैरवी कर वह ट्रेन से देहरादून लौट रहे थे।
ट्रेन से देहरादून आते हुए 30 नवंबर 2014 को राजेश राजेश सूरी की हत्या कर दी गई थी। तभी से रीता सूरी अपने भाई को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। रीता सूरी ने कोर्ट को बताया कि उनके भाई को नगर निगम के वादों की पैरवी के लिए नियुक्त किया गया था।
वह नगर निगम से अपने भाई की नियुक्ति और वेतन आदि के अभिलेख से लेकर उनकी छानबीन कर जुटाए गए जमीनों के अभिलेख मांग रही हैं। कोर्ट में वाद दायर करने और आरटीआई में आवेदन करने के बाद भी अभिलेख नहीं दिए जा रहे हैं। इन्हें गायब बताया जा रहा है।
रीता सूरी ने अपनी याचिका में कोर्ट को यह भी बताया कि उनके भाई राजेश सूरी ने नगर निगम में नियुक्ति के बाद दौलत राम ट्रस्ट के रूप में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला उजागर किया था। तभी से वह भूमाफिया और कुछ सफेदपोशों के निशाने पर आ गए थे। राजेश सूरी ने इसी घोटाले के संबंध में वर्ष 2007 में क्लेमेनटाउन थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई थी। लेकिन, हाईप्रोफाइल मामला होने के कारण जांच एजेंसियों के कोई कार्रवाई नहीं की।
प्रकरण पर सुनवाई करते हुए सीजेएम लक्ष्मण सिंह ने पाया कि रीता सूरी वर्ष 2021 से नगर निगम से अभिलेख मांग रही हैं। कोर्ट ने कहा कि आरोप के मुताबिक नगर निगम कार्यालय से राजेश सूरी से संबंधित और उनकी ओर से तैयार पत्रावलियों को जानबूझकर गायब किया गया है।
नगर निगम एक लोक उपक्रम है और यहां की पत्रावलियां लोक संपत्ति के दायरे में आती हैं। लिहाजा, प्रार्थना पत्र को स्वीकार किया जाता है। एसएचओ शहर कोतवाली को आदेशित किया जाता है कि वह मामले में दोषियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करें। साथ ही की गई कार्रवाई से न्यायालय को भी अवगत कराया जाए।