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दून में ताबड़तोड़ टिकट बेचकर आयोजकों ने किया कर हजम, अब जीएसटी टीम ने कसा शिकंजा

राज्य कर विभाग ने बन्नू स्कूल ग्राउंड में सी वर्ल्ड कार्निवल कराने वाले आयोजकों से वसूल किए 1.5 लाख

Amit Bhatt, Dehradun: मेट्रो शहरों से कदमताल कर रहे दून शहर में तरह तरह के इवेंट आयोजित किए जाने लगे हैं। इवेंट संचालक दूसरे राज्यों से यहां आकर ताबड़तोड़ टिकट बेचकर मोटा माल कमाते हैं। जिनमें कुछ ऐसे भी हैं, जो टिकटों की बिक्री पर कर जमा कराने से पहले ही बोरिया बिस्तर समेटकर चलता बनते हैं। जबकि इस तरह के कार्यक्रमों पर 18 प्रतिशत की दर से कर जमा कराना होता है। हालांकि, अब राज्य कर विभाग (स्टेट जीएसटी) के अधिकारी इन पर पैनी नजर रख रहे हैं। ऐसा ही एक कार्यक्रम चंडीगढ़ की एक कंपनी ने सी वर्ल्ड कार्निवल के नाम से बन्नू स्कूल में प्रदर्शनी लगाई। यह कंपनी राज्य में पंजीकृत नहीं है, लिहाजा बड़ी संख्या में टिकट बेचे जाने के बाद भी राज्य को कर नहीं मिल पाया।

राज्य कर (स्टेट जीएसटी) विभाग को इसकी जानकारी मिली तो विशेष अनुसंधान शाखा (एसआइबी) के अधिकारियों ने जांच पड़ताल शुरू की। प्रदर्शनी संचालकों ने अपने बचाव में कहा कि आयोजन कुछ ही समय के लिए किया जा रहा है। हालांकि, राज्य में पंजीकरण या अस्थाई पंजीकरण और आयोजन के कर के दायरे में होने को लेकर पूछे गए सवालों का वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। जीएसटी अफसरों का शिकंजा कसता देख उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की और 1.5 लाख रुपए जमा करा दिए। यह कार्रवाई आयुक्त राज्य कर डा अहमद इकबाल के निर्देश और अपर आयुक्त (गढ़वाल) जोन पीएस डुंगरियाल के मार्गदर्शन में संयुक्त आयुक्त (एसआइबी/प्रशासन) एसएस तिरुवा की टीम ने की। कार्रवाई करने वाली टीम में उपायुक्त सुरेश कुमार, राम लाल जोशी, कंचन थापा, राज्य कर अधिकारी संगीता बिजल्वाण आदि शामिल रहे।

शिक्षण संस्थानों के कार्यक्रमों पर नजर
संयुक्त आयुक्त एसएस तिरुवा के मुताबिक तमाम शिक्षण संस्थानों में भी समय समय पर इवेंट कराए जाते हैं। अब ऐसे कार्यक्रमों की भी कराधान को लेकर जांच की जाएगी। ताकि कर जमा न करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाया जा सके। जल्द ही ऐसे कार्यक्रमों को लेकर जांच पड़ताल तेज की जाएगी।

दूसरी स्टेशनरी फर्म ने जमा कराए 76 हजार
राज्य कर विभाग के संयुक्त आयुक्त एसएस तिरुवा के मुताबिक कुछ समय पूर्व दो स्टेशनरी फर्मों की जांच की गई थी। जिसके क्रम में एक फर्म ने 1.51 लाख रुपए जमा कराए थे। अब दूसरी फर्म ने भी कर के रूप में 76 हजार रुपए जमा किए हैं।

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