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बड़ा खुलासा: गैरसैण में राजधानी बसी नहीं और अतिक्रमण पहले पसर गया

सूचना आयोग के निर्देश पर गठित संयुक्त जांच टीम ने पाया अतिक्रमण, संपूर्ण गैरसैण क्षेत्र में अतिक्रमण पर फिर भी नहीं की जांच

Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड में अतिक्रमण का दंश जाने कब समाप्त होगा। अस्थाई राजधानी देहरादून के बड़े हिस्से को सफेदपोशों ने वोट बैंक की फसल उगाने के लिए अतिक्रमण की भेंट चढ़ा दिया। अब गैरसैण में राजधानी का नया ख्वाब बना गया तो अतिक्रमण ने यहां भी पीछा नहीं छोड़ा। दून की तरह ही गैरसैण का भी बड़ा हिस्सा अतिक्रमण की चपेट में है। इस बात का खुलासा एक अपील की सुनवाई में उपजिलाधिकारी गैरसैण की ओर से गठित 06 सदस्यीय जांच टीम की रिपोर्ट में किया गया है। गंभीर यह भी कि सूचना आयोग के आदेश के बाद भी अतिक्रमण की जांच सिर्फ अपील से संबंधित सैनिक कालोनी के आसपास के नाले के क्षेत्र में ही की गई। जबकि आयोग के समक्ष अधिकारियों ने ही माना कि अतिक्रमण गैरसैण के बड़े हिस्स्से में है, लेकिन उसकी कोई जानकारी उनके पास नहीं है।

अतिक्रमण संबंधी यह सूचना वार्ड 03 सैनिक कालोनी गैरसैण निवासी राधाकृष्ण काला ने नगर पंचायत गैरसैण से आरटीआई में मांगी थी। तय समय के भीतर उचित सूचना न मिलने पर यह मामला सूचना आयोग पहुंचा। राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने इस पर सुनवाई करते विभिन्न अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया था। आयोग के ही निर्देश के क्रम में उपजिलाधिकारी गैरसैण ने तहसीलदार गैरसैण की अध्यक्षता में 06 सदस्यीय जांच टीम गठित कर अतिक्रमण को लेकर सर्वे करवाया। जिसमें पाया गया कि सैनिक कालोनी गैरसैण के पास के नाले की भूमि की जांच की गई।

जिसमें पाया गया कि ग्राम गैड की नॉन जेडए की खतौनी संख्या 83 की कृषि योग्य बंजर भूमि (खसरा 959 और रकबा 0.118 हेक्टेय) में 37.5 वर्गमीटर में महानंद ने दुकान के रूप में अतिक्रमण किया है, जबकि राधाकृष्ण ने भी 36 वर्गमीटर भूमि और दिनेश काला ने 29.4 वर्गमीटर भूमि पर अवैध कब्जा किया है। आयोग ने पाया कि अतिक्रमण की यह रिपोर्ट संपूर्ण गैरसैण की जगह सिर्फ अपीलकर्ता की शिकायत से संबंधित भूमि की है, जबकि ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैण में तमाम जगह अतिक्रमण किया जा रहा है। राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने यह भी पाया कि नगर पंचायत एवं राजस्व विभाग के पास अतिक्रमण का ब्यौरा नहीं है।

नगर पंचायत ने माना कि अतिक्रमण है, लेकिन उसकी जानकारी नहीं है। इसी के चलते गैरसैण में अतिक्रमण को हटाने के लिए कार्रवाई नहीं की गई। आयोग ने टिप्पणी करते हुए कहा कि उपजिलाधिकारी की ओर से गठित छह सदस्यीय समिति को संपूर्ण गैरसैण में अतिक्रमण का विवरण तैयार करना था, लेकिन टीम ने मात्र छोटे से भूभाग की रिपोर्ट तैयार कर कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। उपजिलाधिकारी को इस संबंध में लिखित आदेश दिए जाने के बाद भी अनुपालन न करना संदेह के घेरे में है। अधिकारियों ने संपूर्ण गैरसैण की जांच न किए जाने को लेकर तत्समय सामान्य निर्वाचन 2024 की व्यस्तता को बताया। साथ ही कहा गया कि वर्तमान में चारधाम यात्रा की व्यवस्था के मद्देनजर इस काम में अधिक समय लग सकता है।

योगेश भट्ट, राज्य सूचना आयुक्त (उत्तराखंड सूचना आयोग)

आयोग ने कहा कि प्रश्नगत अपील में स्पष्ट तौर पर प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी में खुलेआम अतिक्रमण की पुष्टि हुई है। बेहतर होता कि राजस्व विभाग एवं नगर विकास की संयुक्त टीम द्वारा आयोग के निर्देशों के क्रम में गैरसैंण में अतिक्रमण की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर प्रभावी कार्यवाही की संस्तुत की जाती। संयुक्त टीम द्वारा उप जिलाधिकारी द्वारा संपूर्ण गैरसैण का अतिक्रमण का ब्यौरा तैयार करने के निर्देश के बाद भी मात्र अपील से संबंधित सैनिक कॉलोनी के नाले पर अतिक्रमण की रिपोर्ट प्रस्तुत करने जांच टीम की मंशा पर ही सवाल खड़ा है। यह अत्यंत गंभीर विषय है, क्योंकि नगरीय क्षेत्रों में अतिक्रमण आज विकराल रूप ले चुका है तथा हर स्तर पर नियोजित विकास की राह में बाधक बना हुआ है। गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित होने के बाद नगर के रूप में विकसित होने की प्रक्रिया में है। ऐसे में वर्तमान में होने वाला अतिक्रमण भविष्य के लिए चुनौती है।

गैरसैंण में अतिक्रमण को नजरअंदाज किया जाना भविष्य के लिए सही संकेत नहीं है। गैरसैंण के भविष्य के लिहाज से वहां होने वाले अतिक्रमण को गंभीरता से लिए जाने की आवश्यकता है। प्रश्नगत अपील में संपूर्ण गैरसैण में अतिक्रमण का ब्यौरा तैयार कराना सूचना अधिकार अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए भी आवश्यक है। अतः उप जिलाधिकारी गैरसैण एवं अधिशासी अधिकारी को निर्देशित किया जाता है कि पूर्व में जारी निर्देशों के कम में गैरसैंण में अतिक्रमण की अद्यतन (अपडेट) स्थिति तैयार करते हुए अभिलेख के रूप में नगर पंचायत एवं राजस्व विभाग में संरक्षित की जाए। इस आदेश की प्रति प्रदेश के मुख्य सचिव के साथ ही सचिव राजस्व एवं सचिव शहरी विकास तथा जिलाधिकारी चमोली को को पृथक-पृथक रूप से गैरसैण के भविष्य के संभावित खतरों और चुनौतियों को संज्ञान में लाने के लिए भेजी जाए।

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