क्या बदल रही है आबकारी की परिपाटी, पर्वतीय मूल के अधिकारी आ रहे आगे
धामी सरकार में कार्मिकों के तबादलों में दिख रहा उत्तराखंड के हितों का संरक्षण, राज्य के प्रति लगाव को प्राथमिकता, मुख्यालय में जमे अफसरों को भी दिखाई फील्ड की राह
Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड के आबकारी महकमे में हमेशा में उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों के बड़े शराब कारोबारियों का सीधा दखल रहा है। जाहिर है ऐसे में मुख्य पदों पर अधकारियों की ताजपोशी से लेकर शराब नीति तक में एक खास गठजोड़ का हतस्क्षेप देखने को मिलता रहा है। हालांकि, पिछले कुछ समय से प्रदेश की धामी सरकार इस गठजोड़ को दरकिनार कर प्रदेश के हित में नीति और नीयत को स्पष्ट करने में लगी है। वर्तमान की आबकारी नीति में भी इसकी साफ छाप देखने को मिली, तो बुधवार को जब आबकारी अधिकारियों के बड़े स्तर पर तबादले किए गए तो उसमें भी पहाड़ और पहाड़ के प्रति लगाव रखने वाले अधिकारियों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश दिखी है। दूसरी तरफ एक जगह पैर जमाए बैठे अधिकारियों को संदेश देने की कोशिश की गई है कि सरकार के लिए लॉबी से ज्यादा प्रदेश का हित मायने रखता है। इसमें राजधानी के मोह में ही मुख्यालय में जमे 04 अधिकारियों को फील्ड में हाथ-पैर खोलने के लिए भेज दिया गया है।
उत्तराखंड शासन की ओर से किए गए उपायुक्त से लेकर जिला आबकारी अधिकारी और सहायक आयुक्तों के स्थानांतरण सूची पर गौर करें तो राजधानी देहरादून के जिले में टिहरी के जिला आबकारी अधिकारी कैलाश बिंजोला को लाया गया है। जबकि देहरादून में तैनात जिला आबकारी अधिकारी राजीव चौहान इस जिम्मेदारी पर बने रहने को लेकर आश्वस्त थे। कुछ समय पहले भी एक मामले के चलते उन्हें कुछ समय के लिए हटा दिया गया था, लेकिन अपने प्रभाव के बल पर वह दोबारा बने रहने में सफल रहे। हालांकि, ताजा स्थानांतरण आदेश में उन्हें उत्तरकाशी भेजकर सरकार ने साफ संदेश भी दिया है।
अन्य कई जिलों की कमान में भी उत्तराखंड मूल के अधिकारियों की पैठ लंबे समय बाद देखने को मिली है। नैनीताल के जिला आबकारी अधिकारी नाथू राम जोशी को भी ऊधमसिंहनगर जैसे अहम जिले की कमान सौंपी गई है। लंबे समय से आबकारी मुख्यालय में अटैच रहीं तेज तर्रार अधिकारी सहायक आयुक्त रेखा जुयाल का अटैचमेंट समाप्त कर उन्हें मुख्यालय में ही सहायक आयुक्त के रूप में खुला हाथ दिया गया है। ताकि वह प्रदेश के राजस्व के हित अधिक स्वछंद निर्णय ले सकें। इसी तरह जिला आबकारी अधिकारी बागेश्वर मीनाक्षी टम्टा को नैनीताल जैसे बड़े जिले की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं, लक्ष्मण सिंह को रुद्रप्रयाग की अपेक्षा अधिक बड़ा जिला टिहरी दिया गया है।
आबकारी अधिकारियों के स्थानांतरण में सरकार ने कामकाज और क्षमता के पैमाने को भी नजरंदाज नहीं किया है। यही कारण है कि राजधानी में जमे कुछ अधिकारियों को दूर दराज की सैर कराकर सीधी जवाबदेही से भी बांधा गया है। आबकारी मुख्यालय में उपायुक्त की कुर्सी पर जमे विवेक सोनकिया को ऊधमसिंहनगर और नैनीताल का परिक्षेत्र देने के साथ ही उच्च न्यायालय में विभाग के विरुद्ध दायर वादों की जिम्मेदारी भी लाद दी गई है। जिला आबकारी अधिकारी उत्तरकाशी संजय कुमार को भी उच्च न्यायालय से संबंधित जिम्मेदारी सौंपने के साथ ही संयुक्त आयुक्त कार्यालय कुमाऊं से भी अटैच किया गया है। इसी तरह आबकारी मुख्यालय से सहायक आयुक्त राजेंद्र लाल, दुर्गेश्वर त्रिपाठी, दीपाली शाह को भी फील्ड में भेजा गया है। जिसका सीधा मतलब यह है कि अधिकारियों को हर हाल में अपनी परफॉर्मेंस देनी ही होगी।