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प्रशासन के छापे में पकड़ी गई 20 किताबों में डुप्लीकेसी, नहीं मिले आइएसबीएन, आंखें सभी ने दिखाई, दम दिखा गए डीएम बंसल

छापेमारी के दौरान इंटरनेशनल स्टैंडर्ड बुक नंबर या तो मिले नहीं या फर्जी नंबर पाए गए दर्ज, क्यूआर कोड के रूप में दर्ज इसी नंबर से होती है लेखक, पुस्तक के नाम, मूल्य और प्रकाशक आदि की पूरी जानकारी

Amit Bhatt, Dehradun: शहर के विभिन्न बुक डिपो पर प्रशासन की छापेमारी में एक बड़ा गड़बड़झाला भी उजागर होता दिख रहा है। छापेमारी में न सिर्फ अभिभावकों के साथ की जा रही मनमानी और जीएसटी की चोरी पकड़ी गई, बल्कि फर्जी (डुप्लीकेट) किताबों की बिक्री का काला सच भी सामने आ रहा है। क्योंकि, नेशनल बुक हाउस, ब्रदर बुक डिपो और एशियन बुक डिपो में बिना आइएसबीएन (इंटरनेशनल स्टैंडर्ड बुक नंबर) की किताबों की बिक्री भी पाई गई। तीनों बुक डिपो में ऐसी किताबों की संख्या 20 थीं। जिनमें या तो आइएसबीएन था ही नहीं या गलत नंबर दर्ज किया गया था। जिसका सत्यापन आनलाइन संभव नहीं हो पाया। इस सख्त कार्रवाई से एक बात यह भी निकलकर सामने आई है कि अभिभावकों से मनमानी को लेकर प्रत्येक नए शिक्षा सत्र में आंखें तो सभी अफसर दिखाते रहे, लेकिन छापेमारी और एफआईआर का दम सिर्फ जिलाधिकारी सविन बंसल ने दिखाया। इससे पहले कभी बुक डिपो संचालकों पर इतनी सख्त कार्रवाई नहीं की गई। प्रदेश में भी कहीं इस तरह का सख्त रुख सामने नहीं आ पाया।

आइएसबीएन (इंटरनेशनल स्टैंडर्ड बुक नंबर) एक बार कोड की भांति किताबों पर लिखा होता है। इस नंबर से किसी भी किताब के लेखक, पुस्तक के मूल नाम, मूल्य, प्रकाशक का नाम और पृष्ठों की संख्या तक की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। वर्ष 2007 तक यह 10 अंकों का होता था, जबकि अब इसकी संख्या 13 होती है। इतने स्पष्ट मानक के बाद भी बिना आइएसबीएन या फर्जी नंबर के किताबों की बिक्री राजधानी दून में किया जाना गंभीर बात है। यह किताबें लगभग विद्यालयी शिक्षा की लगभग सभी कक्षाओं से संबंधित हैं। यानि लगभग सभी कक्षाओं में डुप्लीकेट या चहेते प्रकाशकों की किताबों का धंधा चलाया जा रहा है। ताकि उन्हें मनमर्जी के दाम पर बेचा जा सके। जिससे यह भी पता चलता है कि इस कारगुजारी को स्कूल प्रशासन का भी समर्थन रहता है।

स्कूल के नाम की कापी भी बेच रहे बुक डिपो
क्रास रोड स्थित एशियन बुक डिपो में दून कैंब्रिज स्कूल और सनराइज एकेडमी के नाम की कापी (नोट बुक) की बिक्री भी पाई गई। जिससे यह अंदेशा गहरा जाता है कि स्कूल कापी की खरीद के लिए निर्धारित बुक डिपो को अधिकृत कर अभिभावकों पर दबाव बनवा रहे हैं। छापेमारी से इतर भी कई स्टेशनरी संचालक ऐसा अवश्य कर रहे होंगे। जिनका नंबर भी देर-सबेर लग जाएगा।


दून के बुक डिपो पर छापे के दौरान जांच करती प्रशासन की अलग-अलग टीम।

बिना आइएसबीएन या फर्जी नंबर की किताबों की स्थिति
नेशनल बुक हॉउस (डिस्पेंसरी रोड)
-जूलियस सीजर गाइड
-साहित्य सागर
-हिंदी व्याकरण गरिमा
-एकांकी संचय
-जूलियस सीजर बुक
-ट्रेजर चेस्ट (कक्षा 09 और 10)
-ट्रेजर चेस्ट नोट (कक्षा 09)
-ट्रेजर चेस्ट नोट (कक्षा 09 और 10)
-अल्ट्रा ब्राइट लर्निंग
-माय कलरिंग

एशियन बुक डिपो (क्रॉस रोड)
-साहित्य सागर अभ्यास
-केमेस्ट्री लैब मैनुअल
-वसुधा
-जावा मेड सिंपल

ब्रदर बुक डिपो (सुभाष रोड)
-एकांकी संचय
-ट्रेजर चेस्ट
-आइडीज (फ्रेंच भाषा की पुस्तक)
-आनंदम संस्कृत पाठ्य
-प्रवाह
-जूलियस सीजर वर्क बुक
-डिफ़्रेन्ट्स स्ट्रोक्स
-द एसेंस आफ लाइफ मोरल वैल्यू

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