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निजी स्कूलों को डीएम का अल्टीमेटम, सुधरे नहीं तो लाइसेंस निरस्त

मनमानी फीस पर पहली बार किसी अधिकारी ने समझी मजबूर अभिभावकों की पीड़ा, ऊंची कुर्सी पर बैठे अफसर सालों से देख रहे थे तमाशा

Amit Bhatt, Dehradun: ये स्कूल शिक्षा का मंदिर हैं या बिजनेस का अड्डा? इन्हें मनमर्जी से फीस बढ़ाने का अधिकार किसने दिया? आरटीई को भी ये नहीं मानते। एनसीईआरटी के सिलेबस को भी ये नहीं मानेंगे और मनमानी किताबें थोपेंगे। यूनिफॉर्म और किताबें अभिभावकों को कहां से और किस दाम पर लेनी हैं, ये भी यही तय करेंगे। ट्रस्ट की आड़ में आयकर चोरी से भी बाज नहीं आएंगे। जब बात जिम्मेदारी की होगी तो ऊंची कुर्सी पर बैठे अधिकारियों को भी अपने इशारों पर नचाकर साफ बच जाएंगे। लेकिन, पहली बार किसी अधिकारी ने न सिर्फ इन्हें आंख दिखाई है, बल्कि लाइसेंस निरस्त करने की साफ चेतावनी भी दी है। बात हो रही है जिलाधिकारी देहरादून सविन बंसल की। जिन्होंने नियम न मानने वाले स्कूलों पर कार्रवाई की पक्की तैयारी शुरू कर दी है। जिसकी शुरुआत शहर के 04 नामी बुक डिपो पर ताला जड़कर जा चुकी है।

निजी स्कूल संचालकों और प्रतिनिधियों के साथ बैठक में निर्देश जारी करते मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह।

जिलाधिकारी बंसल के निर्देश पर मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने शहर के विभिन्न स्कूल संचालकों के साथ बैठक की। इस दौरान स्कूलों के पांच वर्ष के फीस स्ट्रक्चर का परीक्षण भी किया गया। वार्ता में स्कूल संचालकों को सख्त हिदायत दी गई कि उन्हें राइट टू एजुकेशन (आरटीई) एक्ट का पालन करना होगा। स्कूल संचालकों को साफ-साफ कहा गया कि एक्ट के अनुसार स्कूल 03 वर्ष में अधिकतम 10 प्रतिशत की फीस वृद्धि कर सकते हैं। इसके साथ ही यदि 10 प्रतिशत की अधिकतम फीस बढ़ाई जा रही है तो स्कूल प्रशासन इसके पीछे के औचित्यपूर्ण कारण शिक्षा विभाग को अनिवार्य रूप से बताएंगे। मुख्य विकास अधिकारी ने स्कूल संचालकों को विभिन्न नियमों की जानकारी भी दी। साथ ही चेताया कि यदि इसके बाद भी मनमानी की बात सामने आई तो सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। बैठक में उपजिलाधिकारी हरि गिरी, मुख्य शिक्षा अधिकारी वीके ढौंडियाल, खंड शिक्षा अधिकारी हेमलता गौड़ समेत विभिन्न स्कूलों के संचालक और प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

अभिभावकों पर नहीं बना सकते निश्चित दुकान का दबाव
जिलाधिकारी सविन बंसल ने स्पष्ट किया कि कोई भी स्कूल अभिभावकों को निश्चित दुकान से यूनिफार्म या कापी-किताब खरीदने का दबाव नहीं बना सकते हैं। इस तरह की शिकायत मिलने पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही जिलाधिकारी ने कहा कि स्कूल संचालकों को राज्य सरकार के नियमों के बारे में भी बताया गया है। उन्हें हिदायत दी गई है कि वह एनसीईआरटी की पुस्तकों से ही पढ़ाई करवाएंगे। इस नियम का पालन न किए जाने पर भी कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी ने शिक्षा की आड़ में बिजनेस कर रहे संचालकों को चेताया कि स्कूल के समस्त खर्चों को निकालकर उनकी कुल जमा 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

मनमानी फीस बढ़ाने की शिकायत मिली सही, कार्रवाई की तैयारी
निजी स्कूलों की फीस की समीक्षा करते हुए जिला प्रशासन ने पाया कि दून के कई प्रतिष्ठित विद्यालयों ने वास्तव में मनमाने ढंग से फीस बढ़ाई है। जिसमें एन मैरी स्कूल को फीस स्ट्रक्चर को तत्काल दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए। वहीं, ज्ञानंदा स्कूल और सेंट जोजफ्स एकेडमी का फीस स्ट्रक्चर सही पाया गया है। यह भी तय किया गया कि समर वैली और अन्य निजी स्कूलों की समीक्षा बुधवार को की जाएगी।

छापे में पकड़े गए चारों बुक डिपो पर ताला
जिलाधिकारी के निर्देश पर जिन तीन बुक डिपो (नेशनल बुक डिपो, ब्रदर बुक डिपो, एशियन बुक डिपो और यूनिवर्सल बुक डिपो) पर छापेमारी की गई थी, उनमें भारी गड़बड़ी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की गई है। तीनों बुक डिपो पर तत्काल प्रभाव से ताला जड़ दिया गया है। जांच और कार्रवाई पूरी होने के बाद ही इनकी बहाली पर निर्णय लिया जाएगा।

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