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भूगर्भ की कार्बन-डाइऑक्साइड बता रही सोने का पता

भूगर्भ के तरल पदार्थ खनिज की खोज में सहायक,वाडिया में शुरू हुई जियो-रिसर्च स्कालर्स मीट में प्रस्तुतिकरण के लिए रखा गया खनिजों की खोज को आसान बनाने वाला शोध पत्र

Usha Gairola, Dehradun: वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में शुरू हुई तीन दिवसीय सातवीं जियो-रिसर्च स्कालर्स मीट एक ऐसे शोधपत्र को प्रस्तुतिकरण में शामिल किया गया है, जो देश के भीतर खनिजों की खोज की दशा और दिशा बदल सकता है। ‘हाइड्रोथर्मल फ्लूड्स एंड लिंक्ड एक्सप्लोरेशन स्ट्रेटेजी’ नामक इस शोध में बताया गया है कि किस तरह इन फ्लूड्स (तरल पदार्थों) के माध्यम से विभिन्न खनिजों का पता लगाया जा सकता है। इस शोध पत्र को बुधवार को प्रस्तुत किया जाएगा।

खनिज की खोज के लिए लगाया गया उपकरण।

वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डा राजेश शर्मा के मुताबिक भूगर्भ में तमाम हाइड्रोथर्मल फ्लूड्स (तरल रूप में गैस या अन्य पदार्थ) न सिर्फ खनिजों की पहचान में मददगार साबित हो रहे हैं, बल्कि यह खनिजों को एक जगह एकत्रित करने या एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में भी सहायक हो रहे हैं। उत्तराखंड समेत देश के विभिन्न हिस्सों में किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है। इसमें यह पता चला है कि जिन फ्लूड्स में साल्ट की मात्रा अधिक है, वहां अधिक खनिज हो सकते हैं।

खनिज की खोज के लिए लगाए गए उपकरण से भूगर्भ में दिखाई देते खनिज तत्व।

राजस्थान में किए गए अध्ययन में पाया गया है कि जहां साल्ट भूगर्भ की भीषण ऊष्मा में उबलने की स्थिति में हैं, वहां टंगस्टन मिलने की संभावना प्रबल है। इसी तरह हिमालय के विभिन्न हिस्सों समेत उत्तराखंड के आराकोट, ब्यासी क्षेत्र में टैल्कम (पाउडर) बनाने वाले खनिज की उपलब्धता का भी पता चला। इन क्षेत्रों में अध्ययन में पाया गया कि भूगर्भ में जहां भी तो तरह के फ्लूड्स निम्न घनत्व में पाए जा रहे हैं, वहां टैल्कम की उपलब्धता अधिक है। विभिन्न हिमालयी क्षेत्रों में ही लैड, जिंक व कापर की उपलब्धता का पता भी इसी माध्यम से चल पाया है।

सांकेतिक चित्र।

जहां कार्बन-डाइआक्साइड फ्लूड्स के रूप में, वहां पाया जा रहा सोना
वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डा राजेश शर्मा के मुताबिक भूगर्भ के फ्लूड्स से ही सोने जैसे बेशकीमती खनिज की उपलब्धता का भी पता लगाया गया है। यह शोध संस्थान के विज्ञानियों ने किसी निजी कंपनी के लिए किया, लिहाजा इसका स्रोत नहीं बताया गया है। डा शर्मा ने सिर्फ इतनी जानकारी सार्वजनिक की है कि जहां भी कार्बन-डाइआक्साइड (co2) फ्लूड्स के रूप में निकल रही है, वहां सोना मिलने की संभावना प्रबल है। कार्बन-डाइआक्साइड न सिर्फ सोने की उपलब्धता की दिशा में कारगर साबित हो रही है, बल्कि यह सोने को एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित करने में भी सक्षम है।

खनिज की खोज होगी सस्ती
वाडिया संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डा राजेश शर्मा के मुताबिक भूगर्भ के फ्लूड्स से खनिजों की पहचान आसान होने के बाद सरकार को खनिजों की खोज में अत्यधिक श्रम, समय और धन खर्च नहीं करना पड़ेगा।

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