आपदा प्रबंधनउत्तराखंड

30 डिग्री से अधिक के ढाल पर बसे सभी भवनों का सुरक्षा ऑडिट कराएगी सरकार

प्रदेश के सभी जिलों में सात सदस्यीय समिति गठित करने पर विचार: डॉ प्रेमचंद अग्रवाल

Amit Bhatt, Dehradun: जोशीमठ आपदा से सीख लेने और समय पर आपदा प्रबंधन (प्री-डिजास्टर मैनेजमेंट) की दिशा में कदम बढ़ाने की दिशा में राज्य सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। इसके लिए प्रदेश के सभी जिलों में 30 डिग्री से अधिक ढाल पर बने भवनों का सुरक्षा आडिट कराया जाएगा। हालांकि, इससे कम ढाल होने व आपदा के लिहाज से सनवेदनशील होने की दशा में भी यह ऑडिट किया जाएगा। ताकि समय रहते भवनों की सुरक्षा के लिए कारगर कदम उठाए जा सकें। यह बात प्रदेश के आवास मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने कही।

डॉ प्रेमचंद अग्रवाल, आवास मंत्री, उत्तराखंड सरकार।

मंगलवार को जारी प्रेस बयान में आवास मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि जोशीमठ में भूधंसाव की घटना के बाद अब सरकार प्रदेश के समस्त जनपदों के डेंजर जोन के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति बनाने पर विचार कर रही है। यह समिति अपनी रिपोर्ट देगी, इसके बाद उन भवनों को सुरक्षित किया जाएगा।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने जानकारी देकर बताया कि धामी सरकार जोशीमठ आपदा के बाद राज्य के सभी जनपदों में वर्तमान में निर्मित ऐसे भवन, जो भूकंप, भू-स्खलन, भू-धंसाव, अतिवृष्टि आदि की दृष्टि से जोखिमभरे भवनों की श्रेणी में आते हैं, उन्हें चिह्नित कर सुरक्षित करने को मानक संचालन प्रक्रिया संबंधी प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने बताया कि समस्त जनपदों में भूकंप, भू-स्खलन, भू-धंसाव, अतिवृष्टि आदि जोखिम संभावित भवनों के चिन्हिकरण कर सुरक्षित करने को सात सदस्यीय समिति बनाने पर विचार कर रही है। डा. अग्रवाल ने बताया कि अपने-अपने जनपदों में जिलाधिकारी इस समिति की अध्यक्षता करेंगे, जबकि अन्य छह इसके सदस्य रहेंगे।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल ने बताया कि जिलाधिकारी के अलावा इन छह सदस्यों में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अथवा सचिव, संबंधित क्षेत्र के उपजिलाधिकारी, लोकनिर्माण विभाग अथवा सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता, सहायक भू-वैज्ञानिक (भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग), आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के निदेशक अथवा उनके द्वारा नामित प्रतिनिधि और संबंधित नगर निकाय के अधिशासी अधिकारी रहेंगे।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल इन सात सदस्यीय समिति में आवश्यकतानुसार किसी भी संबंधित विशेषज्ञ को आमंत्रित सदस्य के रूप में नामित किया जा सकता है। यह समिति प्रत्येक जनपद में ऐसे निर्मित भवन, जो जोखिम संभावित भवनों की श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि 30 डिग्री से अधिक ढाल पर निर्मित भवन, नदियों के अंतर्गत अथवा फ्लड जोन के अंतर्गत निर्मित भवन आदि ऐसे समस्त भवन जो असुरक्षित हों।

आवास मंत्री डा. अग्रवाल के अनुसार ऐसे असुरक्षित भवनों के चिह्नीकरण के बाद रेट्रोफिटिंग द्वारा सुरक्षित करने की कवायद या अन्य कार्रवाई की जा सकेगी। कुल मिलाकर सरकार का लक्ष्य है कि आपदा से पूर्व ही आपदा प्रबंधन के समुचित उपाय किए जा सकें। क्योंकि, जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है।

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