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जिस फुटेज पर लज्जा भंग की धारा बढ़ाई, उस पर लगा दी एफआर

एफआर लगाने के साथ ही शहर कोतवाली के विवेचकों ने फुटेज को केस डायरी से हटाया, सीजेएम कोर्ट ने एफआर को खारिज कर विवेचकों की जांच के आदेश दिए

Amit Bhatt, Dehradun: शहर कोतवाली में दर्ज किए गए जिस प्रकरण में पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपित पर अश्लील हरकत, लज्जा भंग करने की बदनीयत पर आईपीसी की धार 354 जोड़ी, उसी में बाद में खेल कर दिया गया। विवेचकों ने न सिर्फ सीसीटीवी फुटेज को केस डायरी से हटा दिया, बल्कि प्रकरण में एफआर (फाइनल रिपोर्ट) भी लगा दी। जबकि इस मामले में चार्जशीट दाखिल की जानी चाहिए थी।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) देहरादून लक्ष्मण सिंह की कोर्ट ने इस मामले में न सिर्फ कड़ा रुख करते हुए शहर कोतवाली पुलिस की एफआर को खारिज कर दिया। साथ ही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को संबंधित विवेचकों की जांच करने, गायब सीसीटीवी फुटेज की बरामदगी कराने और प्रकरण की उचित विवेचना के आदेश दिए हैं।

सीजेएम कोर्ट के आदेश का प्रमुख अंश।

नेशविला रोड निवासी एक महिला ने शहर कोतवाली में अपने पड़ोसी के विरुद्ध शिकायती पत्र दिया था। महिला ने आरोप लगाया कि आरोपित उसे एक माह से जान से मारने की धमकी दे रहा है व कहता है अब तू कुछ दिन की मेहमान है। एक फरवरी 2022 को आरोपित जान से मारने व हाथ काटने की धमकी दी। इसके बाद 27 फरवरी को आरोपित ने उन्हें देखकर अश्लील हरकतें शुरू कर दी। आरोपित यह शर्मनाक हरकत लगातार करने लगा और झूठे केस में फंसाने की धमकी देता है। इस मामले में शहर कोतवाली पुलिस ने तीन मार्च को आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।

एक विवेचक ने धारा बढ़ाई, दूसरे ने एफआर लगाई

सीसीटीवी फुटेज की जांच के बाद विवेचक मिथुन कुमार ने केस में धारा 354 की बढ़ोतरी की। धारा 354 महिलाओं से संबंधित होने के चलते विवेचना एसआइ हेमा बिष्ट व एसआइ नीमा ने की। कुछ समय बाद एसआइ नीमा ने केस में अंतिम रिपोर्ट लगा दी, जिसमें बताया कि आरोपित 80 वर्ष का बुजुर्ग है और शूगर का मरीज है। दोनों पक्षों का पुराना विवाद है। छेड़खानी, गाली गलौच जैसी घटना का विवेचना में कोई साक्ष्य प्राप्त नहीं हुआ। कोर्ट में दाखिल पत्रावली में सीसीटीवी फुटेज का कोई साक्ष्य (इलेक्ट्रानिक) उपलब्ध नहीं थे।

महिला ने एफआर पर दर्ज की आपत्ति, कोर्ट ने जांच बैठाई

महिला ने अंतिम रिपोर्ट पर आपत्ति जाहिर करते हुए सीजेएम कोर्ट में अपील की कि विवेचक ने वास्तविक तथ्यों के विपरीत जाकर अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की है। जबकि मामले में सीसीटीवी फुटेज व आरोपित की ओर से अपने सीसीटीवी कैमरे की दिशा पीड़ित के बेडरूम, गार्डन व बरामदे की तरफ किए जाने के फुटेज विवेचक को उपलब्ध कराए गए थे। सीजेएम लक्ष्मण सिंह ने इन्हीं तथ्यों पर गौर करते हुए एफआर को खारिज कर दिया और आगे की जांच व कार्रवाई के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए।

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