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उत्तराखंड का कौन अफसर कर रहा सीबीआई को परेशान, कोर्ट में हलफनामा दायर

सीबीआई ने कोर्ट में दाखिल हलफनामे में उत्तराखंड कैडर के अफसर पर लगाए आरोप

Amit Bhatt, Dehradun: सीबीआई से अच्छे-अच्छे अफसरों के पसीने छूटते तो देखा है, लेकिन सीबीआई को कोई अधिकारी परेशान कर दे यह पहली बार होता दिख रहा है। क्योंकि, सीबीआई का नाम भ्रष्ट अफसरों की नींद उड़ाने के लिए काफी होता है। ऐसा होना भी चाहिए, पर अब तो सीबीआई खुद किसी अधिकारी से पीछा छुड़ाने की स्थिति में नजर आ रही है। बात हो रही है उत्तराखंड कैडर के खांटी इमानदार माने जाने वाले आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की। देश की प्रमुख जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली उच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल करते हुए वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी पर बेवजह परेशान करने का आरोप लगाया है।

संजीव चतुर्वेदी, आईएफएस (उत्तराखंड)।

दरअसल, 30 जनवरी को दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से पारित आदेश का अनुपालन न करने पर आईएफएस संजीव चतुर्वेदी ने अवमानना याचिका दायर की थी। जिस पर 28 मार्च को जारी अवमानना नोटिस के जवाब में सीबीआई ने यह हलफनामा दायर किया। जिसमें सीबीआई ने संजीव चतुर्वेदी पर परेशान करने का आरोप लगाया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई को सभी तरह की जानकारी उपलब्ध कराने को कहा था। क्योंकि, पूर्व में एम्स दिल्ली में मुख्य सतर्कता अधिकारी पद पर रहते हुए संजीव चतुर्वेदी ने भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों से संबंधित जांच की जानकारी सीबीआई को भेजी थी।

इस दिशा में अपेक्षित परिणाम न मिलने पर संजीव चतुर्वेदी ने अवमानना याचिका दाखिल की। सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने बीते वर्ष सितंबर में सीबीआई के 02 वरिष्ठ अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किया था। अब अप्रैल के अंतिम सप्ताह में सीबीआई की ओर से दाखिल हलानामे में कहा गया कि याचिकाकर्ता प्रतिवादी एजेंसी को परेशान करने का काम कर रहे हैं। सीबीआई ने यह भी कहा की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। याचिकाकर्ता कानूनी उपायों का लाभ उठा रहे हैं। जिन्हें अवमानना कार्यवाही शुरू कराकर विफल नहीं किया जा सकता है।

संजीव चतुर्वेदी वर्ष 2002 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं। वर्तमान में वह उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में मुख्य वन संरक्षक पद पर तैनात हैं। वर्ष 2015 में उन्हें प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे पुरस्कार दिया गया। वह दूसरे सर्विंग ब्यूरोक्रेट हैं, जिन्हें इस सम्मान से नवाजा गया। इससे पहले किरण बेदी को यह पुरस्कार मिल चुका है। संजीव चतुर्वेदी को यह पुरस्कार सार्वजानिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने के लिए दिया गया।

भ्रष्टाचार पर प्रहार के लिए जाने जाते हैं संजीव
संजीव चतुर्वेदी ने एम्स के सीवीओ (चीफ विजिलेंस ऑफिसर) पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार के 200 से अधिक मामले उजागर किए। इनमें से 78 मामलों में सजा दी जा चुकी है। 87 मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और करीब 20 मामलों में सीबीआई की जांच शुरू हो गई है। संजीव चतुर्वेदी कहते हैं कि वह व्यवस्था में सुधार चाहते हैं और उसी के लिए कार्य कर रहे हैं। संजीव चतुर्वेदी जाने-माने व्हिसल ब्लोअर हैं। एम्स से हटाए जाने के बाद उन्होंने यह भी कहा गया था कि राजनीतिक कारणों से उन्हें हटाया गया है। उन्होंने करीब 3750 करोड़ रुपये की लागत से एम्स के विस्तार की योजनाओं में धांधली और कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने की कोशिश के विरुद्ध सवाल खड़े किए थे, जिस कारण उन्हें पद से हटना पड़ा। एम्स में आने के पहले संजीव चतुर्वेदी हरियाणा में तैनात थे। वहां भी उन्होंने भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर किए थे।

संजीव चतुर्वेदी का संक्षिप्त पत्र
-संजीव चतुर्वेदी ने वर्ष 1995 में मोतीलाल नेहरू इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी, इलाहाबाद से बीटेक किया था।
-वह वर्ष 2002 के आईएफएस अफसर हैं और उनका मूल कैडर प्रदेश हरियाणा है।
-पहली पोस्टिंग कुरुक्षेत्र में मिली, जहां उन्होंने हांसी बुटाना नहर बनाने वाले ठेकेदारों पर एफआईआर दर्ज करवाई।
-बतौर सीवीओ, एम्‍स में संजीव चतुर्वेदी ने अपने दो साल के कार्यकाल में 150 से ज्‍यादा भ्रष्‍टाचार के मामले उजागर किए।
-वर्ष 2014 में संजीव को स्‍वास्‍थ्‍य सचिव ने ईमानदार अधिकारी का तमगा दिया था।
-भ्रष्टाचार के विरुद्ध किए जाने वाले अपने कार्यों के कारण पांच साल में 12 बार संजीव चतुर्वेदी का स्थानांतरण हुआ।
-वर्ष 2009 में हरियाणा के झज्जर और हिसार में वन घोटालों का पर्दाफाश किया था।
-वर्ष 2009 में ही संजीव पर एक जूनियर अधिकारी संजीव तोमर को प्रताड़ित करने का आरोप लगा, हालांकि बाद में वह आरोप मुक्त हो गए।
-वर्ष 2007-08 में संजीव ने झज्जर में एक हर्बल पार्क के निर्माण में हुए घोटाले का पर्दाफाश किया, जिसमें मंत्री और विधायकों के अलावा कुछ अधिकारी भी शामिल थे।
-वर्ष 2010 में उन्होंने राज्य सरकार से तंग आकर केंद्र में प्रतिनियुक्ति की अर्जी दी थी। वर्ष 2012 में उन्हें एम्स के डिप्टी डायरेक्टर का पद सौंपा गया। उन्हें एम्स के सीवीओ पद की भी ज़िम्मेदारी सौंपी गई।

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